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    UPPCL: निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का हल्ला बोल, UP के इस शहर में जनता के बीच बताएंगे खामियां

    Updated: Wed, 16 Apr 2025 12:30 PM (IST)

    बिजली निगम के अभियंता और कर्मचारी निजीकरण के दुष्प्रभावों से जनता को अवगत कराने के लिए बुधवार से अभियान चलाएंगे। वे उपभोक्ताओं को निजीकरण के नुकसान और बिलों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि बिजलीकर्मियों का उत्पीड़न किया गया तो देशव्यापी आंदोलन होगा। समिति जनता के बीच जाएगी और निजीकरण की खामियां बताएगी।

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    जनता के बीच जाएंगे, निजीकरण की खामियां बताएंगे। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बिजली विभाग के अभियंता और कर्मचारी अब जनता को निजीकरण के खतरों से अवगत कराएंगे। बुधवार से, वे लोगों तक पहुंचकर उन्हें बताएंगे कि कैसे बिजली कंपनियों का निजीकरण उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है, और इससे उनके बिजली बिलों पर क्या असर पड़ेगा। इसके साथ ही, कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।

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    निजीकरण का विरोध देशभर में

    विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण का मामला अब पूरे देश में फैल चुका है। इस निर्णय का हर जगह विरोध हो रहा है। दिल्ली में एक सम्मेलन में, 20 राष्ट्रीय महासंघों ने उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया।

    उत्पीड़न पर देशव्यापी आंदोलन

    महासंघों ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण के विरोध में आंदोलन कर रहे बिजलीकर्मियों का उत्पीड़न किया गया, तो पूरे देश के करोड़ों कर्मचारी आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

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    कंसल्टेंट की नियुक्ति पर सवाल

    पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि कंसल्टेंट की नियुक्ति की सच्चाई अब सामने आ चुकी है, इसलिए तत्काल नियुक्ति रद्द की जानी चाहिए। बिजली जैसी आवश्यक सेवा का निजीकरण जनता के हित में नहीं है।

    बिजली का निजीकरण। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    जनता पर आर्थिक बोझ

    निजीकरण से उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, रोजगार की अनिश्चितता बढ़ेगी और सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होगी। निजी कंपनियां केवल अपने लाभ के बारे में सोचती हैं, जबकि सरकार की जिम्मेदारी जनता का कल्याण करना है।

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    जागरूकता अभियान और ज्ञापन

    समिति जनता को जागरूक करेगी और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा ताकि उन्हें निजीकरण के खतरों से अवगत कराया जा सके।