पुलिस की गश्त के बाद भी खौफ में क्यों जी रहा यूपी का ये गांव? सूरज ढलते ही पसर जा रहा सन्नाटा
पिपराइच के महुआचाफी गांव में हुई घटना के बाद लोग दहशत में हैं। पुलिस गश्त कर रही है फिर भी शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है। महिलाएं खेत जाने से डर रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक तस्कर नहीं पकड़े जाते सुरक्षा संभव नहीं है। ग्रामीण पुलिस की लापरवाही से नाराज़ हैं और स्थायी पुलिस पिकेट की मांग कर रहे हैं।

संवाद सूत्र, चरगांवा। पिपराइच के महुआचाफी गांव में सोमवार की रात हुई वारदात के छह दिन बीत गए, लेकिन गांव के लोग अब भी दहशत और खौफ की गिरफ्त से बाहर नहीं आ सके हैं। पुलिस की लगातार गश्त व चौकसी के बाद भी यहां का माहौल ऐसा है कि शाम ढलते ही हर दरवाजे पर सन्नाटा पसर जा रहा है। गांव की महिलाएं खेत-खलिहान अकेले जाने से डर रही हैं।
लोग साफ कह रहे हैं कि जब तक फरार तस्कर और उनके स्थानीय साथी नहीं पकड़े जाते, चैन और सुरक्षा की बात करना बेमानी है।
गांव के रामसूरत कहते हैं, मेरा मकान मुख्य सड़क पर है। पहले बाहर सोते थे, लेकिन अब घर के भीतर चले जाते हैं।
डर है कि तस्कर कभी भी लौट सकते हैं। गुजराती देवी रोते हुए बताती हैं कि दीपक हमेशा आशीर्वाद लेकर कहता था कि वह डाक्टर बनकर गांव का नाम रोशन करेगा, लेकिन पशु तस्करों ने उसका सपना ही छीन लिया। दारा सिंह चौहान की आवाज भी रोष से भर उठती है।
उनका कहना है यहां स्थायी पुलिस पिकेट लगनी ही चाहिए, वरना लोग चैन से जी नहीं पाएंगे। गांव की चानमत्ती देवी का आरोप है कि जंगल छत्रधारी पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी भी घटना के जिम्मेदार हैं। जब भी तस्करों की शिकायत की गई, उन्होंने फटकार लगाकर भगा दिया।
अगर गंभीरता से लेते तो दीपक की जान बच सकती थी। माधुरी देवी का कहना है कि अब डर इस कदर बैठ गया है कि शाम को कोई मकान बाहर से बंद होकर ही रहता है। श्रीमती देवी का दर्द और गुस्सा साफ झलकता है उनका कहना है कि पुलिस की लापरवाही से हमारा बेटा चला गया। जिम्मेदारों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
गांव में स्ट्रीट लाइट और पुलिस चौकसी
गांव के प्रधान ने जगह-जगह स्ट्रीट लाइट लगवाने की पहल शुरू कर दी है। इसके बावजूद ग्रामीणों का कहना है कि डर केवल रोशनी से नहीं मिटेगा। तस्कर अब भी फरार हैं और स्थानीय सहयोगियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सुरक्षा के लिहाज से पीएसी और पुलिस के जवान लगातार गश्त कर रहे हैं, लेकिन गांव की हवा अब भी मातम और खौफ से भरी है।
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