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    Cyber Crime: अमीर बनने का लालच दे रहा अपराध का दाग, ऑनलाइन गेम की कमाई में फंस रहे युवा

    By Jitendra PandeyEdited By: Vivek Shukla
    Updated: Sun, 23 Nov 2025 08:00 AM (IST)

    युवा ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से अमीर बनने के लालच में अपराध के रास्ते पर जा रहे हैं। कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की चाहत उन्हें गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल कर रही है। साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि हो रही है, जिससे निपटने के लिए जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। माता-पिता को भी अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जितेन्द्र पाण्डेय, गोरखपुर। इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध एविएटर सहित कई दर्जन आनलाइन गेम आजकल युवाओं को तेजी से अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इन गेमों में कम रुपये लगाकर हजारों और लाखों रुपये जीतने का लालच दिया जाता है। इसी चक्कर में कई युवा दिन-प्रतिदिन इन गेमों के आदी होते जा रहे हैं। शुरू में छोटी-मोटी रकम जीतने पर उन्हें लगता है कि वे आसानी से बड़ी कमाई कर सकते हैं।

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    इसके बाद वे लाखों रुपये दांव पर लगाने लगते हैं, इस उम्मीद में कि करोड़ों कमाएंगे। लेकिन, उनका खाता फ्रीज हो जा रहा है और उन पर अपराध का दाग भी लग जा रहा है। साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि इन प्लेटफार्मों पर दिखाई देने वाली जीत के रुपये वास्तव में सुरक्षित नहीं होते। कई बार यह रकम साइबर ठगी से जुड़े खातों से ट्रांसफर की जाती है।

    अधिकांश युवाओं को इस बात की बिल्कुल जानकारी नहीं होती कि उनके अकाउंट में आने वाली धनराशि का स्रोत क्या है। जब वे उत्साह में रकम निकालने या पुनः गेम में लगाने लगते हैं, तभी असली मुसीबत खड़ी हो जाती है।

    बैंक खाता अचानक फ्रीज होने पर जब युवा बैंक शाखा पहुंचते हैं, तब उन्हें पता चलता है कि उनके खाते में आए रुपये साइबर फ्राड से जुड़े मामलों के थे। पुलिस द्वारा दर्ज मुकदमों के आधार पर उनके खाते फ्रीज कर दिए गए हैं। कई मामलों में युवाओं को जांच का सामना करना पड़ रहा है और वे खुद को निर्दोष साबित करने में परेशान हैं।

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    ऑनलाइन गेम से कमाए, अब झेल रहे परेशानी

    शहर के एक सरकारी कर्मचारी को ऑनलाइन गेम खेलने की आदत पड़ी। शुरू में वह 300 रुपये लगाकर चार से पांच हजार रुपये कमाए। बाद में मोटी रकम कमाने के चक्कर में उन्होंने 15 से 30 हजार रुपये लगाने शुरू कर दिए, इससे काफी रुपये भी कमाए, लेकिन एक दिन उनके खाते से रुपये निकलने बंद हो गए। जब वह बैंक पहुंचे तो पता चला कि पुलिस ने उनका खाता फ्रीज कर दिया है।

    इसके पीछे के कारणों को जब वह जानना चाहे तो सामने आया कि तेलंगाना के दो थानों और हरियाणा के एक थाने में उनके विरुद्ध कार्रवाई हुई है। गेम में जीते गए जो रुपये उनके खाते में आ रहे थे वह साइबर फ्राड के थे। तभी से वह परेशान हैं। खाता फ्रीज से वह रुपये भी नहीं निकाल पा रहे हैं, जबकि यह उनका सैलरी अकाउंट है।

    एक नंबर के रुपये लेकर भेजते हैं दो नंबर का

    साइबर कमांडो व विशेषज्ञ उपेंद्र सिंह बताते हैं कि भारत सरकार ने सभी तरह के ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बाद भी फ्रॉड लालच देकर गेम खेला रहे हैं। इसलिए लालच में न पड़े, इतनी आसानी से रुपये नहीं कमाए जा सकते। ये फ्रॉड स्काई पंट, वन वेट, जेटेक्स, वी गेमिंग, लकी जेड, वन एक्सवर्ड, क्रेक्स फारचून, एविएटर जैसे अन्य गेम युवक और युवतियों खेला रहे हैं।

    लोगों को यह जानना होगा कि जैसे ही वे इस गेम को डाउनलोड करते हैं और अपना मेल आइडी या मोबाइल फोन नंबर डालते हैं तो उनका सारा डाटा साइबर ठगों के पास चला जाता है। इसके बाद वे गेम खेलने वालों से एक नंबर में रुपये लेते हैं और जो गेम जीतता है उसे दो नंबर यानी साइबर ठगी से कमाए रुपये देते हैं। इसमें भी फ्रॉड को फायदा होता है। जब वे गेम खेलाते हैं तो खेलने वालों की संख्या दर्जनों या सैकड़ों में होती है।

    इसमें जीतने वालों की संख्या एक या दो की होती है। इससे उनके खाते में एक नंबर के रुपये ज्यादा पहुंचते हैं और जीतने वाले एक-दो लोगों को वह साइबर फ्रॉड के रुपये भेज देते हैं। जैसे ही ये रुपये खाते में पहुंचते हैं, वे पुलिस की नजर में आ जाते हैं और कार्रवाई शुरू हो जाती है। वहीं साइबर फ्रॉड बच निकलता।

    ऑनलाइन उपलब्ध गेम पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। भारत सरकार और प्रदेश सरकार ने इस पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। अगर कोई खेलता है तो वह भी आरोपित है। इसके अलावा साइबर अपराधी विदेश में बैठकर इस तरह के गेम को खेला रहे हैं, अधिक रुपये कमाने के लालच में लोग इसे खेल रहे हैं और अपना पूरा डाटा तो उन्हें दे ही रहे हैं, साथ में साइबर फ्राड के रुपये अपने खाते में लेकर पुलिस की नजर में अपराधी बन रहे हैं। इसके चक्कर में न पड़ें और किसी अनजान को अपना डाटा न दें।

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    -सुधीर जायसवाल, पुलिस अधीक्षक, अपराध।