अब सफर में नहीं बनेगा स्लीपर का टिकट, जुर्माना लगाकर अगले स्टेशन पर उतार देगा टीटीई, वेटिंग वालों का क्या…?
आरक्षित कोचों विशेषकर शयनयान में अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगाने के उद्देश्य से रेलवे प्रशासन ने सफर के दौरान स्लीपर टिकट बनाने पर रोक लगा दी है। टिकट चेकिंग स्टाफ (टीटीई) प्लेटफार्म पर या ट्रेन में जरूरत पड़ने पर सिर्फ जनरल टिकट बना सकेंगे। अनियमितता पर यात्रियों पर जुर्माना लगाएंगे। इससे आरक्षित कोच में सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।
प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर। आरक्षित कोचों में अब अनावश्यक भीड़ नहीं होगी। कन्फर्म टिकट के यात्री आराम से अपनी सीटों पर बैठ सकेंगे, बर्थों पर सो सकेंगे। कोचों में चढ़ने के लिए गेट पर किचकिच नहीं करनी पड़ेगी।
आरक्षित कोच में जनरल या बिना टिकट के पकड़े जाने पर नियमानुसार यात्री पर जुर्माना लगाकर अगले स्टेशन पर उतार देंगे। रेलवे की इस व्यवस्था से कन्फर्म टिकट के यात्रियों को सहूलियत तो मिलेगी ही ट्रेनों में चोरी, छिनैती और जहरखुरानी जैसी घटनाओं पर भी रोक लगेगी।
स्लीपर कोच में बैठ जाते थे जनरल यात्री
आरक्षित टिकटों की बुकिंग रेलवे के अधिकृत काउंटरों और आइआरसीटीसी के वेबसाइट से ही होती है। कन्फर्म टिकट नहीं मिलने पर कुछ यात्री प्लेटफार्म पर पहुंचकर टीटीई से स्लीपर का टिकट बनवाकर शयनयान श्रेणी के कोच में प्रवेश कर जाते हैं।
कुछ यात्री जनरल टिकट लेकर स्लीपर कोच में बैठ जाते हैं। टीटीई के मिलने पर स्लीपर का टिकट बनवाकर कोच में यात्रा करने का अधिकार प्राप्त कर लेते हैं। शयनयान श्रेणी के कोचों में एक तो वेटिंग टिकट के यात्री पहले से ही भरे पड़े रहते हैं, ऊपर से अधिकतर यात्री टीटीई से स्लीपर का टिकट बनाकर कोच में घुस जाते हैं।
ऐसे में कन्फर्म टिकट के यात्रियों की मुश्किलें बढ़ जाती है। कन्फर्म टिकट होने के बाद भी लोग अपनी बर्थ पर भी ठीक से बैठ भी नहीं पाते। गेट पर चढ़ना और टॉयलेट तक पहुंचना दुश्वार हो जाता है।
आरक्षित कोचों में सिर्फ कन्फर्म टिकट के यात्री
गर्मी की छुट्टियों और त्योहारों में तो रेलवे की यात्रा पहाड़ चढ़ने जैसी हो जाती है। एसी कोच का वेटिंग 200 और स्लीपर का 300 से अधिक हो जाता है। ऑफ सीजन में भी 10 अगस्त को 12555 गोरखधाम में स्लीपर का 100 और एसी थर्ड का 49 वेटिंग है। यह तब है जब नियमानुसार आरक्षित कोचों में सिर्फ कन्फर्म टिकट के यात्री ही सफर कर सकते हैं।
वेटिंग टिकट के बनानी होगी नई गाइडलाइन
क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति के सदस्य अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि आखिर रेलवे मनमाने ढंग से वेटिंग टिकट ही जारी क्यों करता है। वेटिंग टिकट को लेकर भी रेलवे को नई गाइडलाइन बनानी होगी। अब तो जनरल काउंटरों से नजदीक वाले स्टेशनों के लिए स्लीपर टिकटों की बुकिंग भी बंद हो गई है।
कोविड काल से पहले बांद्रा एक्सप्रेस में गोरखपुर से लखनऊ, मौर्य एक्सप्रेस में गोरखपुर से छपरा तथा दादर एक्सप्रेस में गोरखपुर से वाराणसी तक के लिए स्लीपर के टिकट मिल जाते थे। इस व्यवस्था के बंद होने से स्थानीय यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। रेलवे की आय तो बढ़ जा रही, लेकिन यात्री परेशान हो रहे हैं। यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने पर विचार करना होगा।
फिलहाल, रेलवे प्रशासन ने सिर्फ स्लीपर टिकट बनाने पर ही रोक नहीं लगाई है, बल्कि आरक्षित कोचों में चढ़े वेटिंग टिकट के यात्रियों को भी उतारने के लिए निर्देशित कर दिया है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर सहित छपरा और गोंडा में आरक्षित कोचों से वेटिंग टिकट के यात्रियों को उतारने की व्यवस्था शुरू हो गई है।
यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सतत प्रयास किया जाता है। पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न ट्रेनों में सामान्य श्रेणी के कोचों की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिससे सामान्य श्रेणी में यात्रा करने वालों को सहूलियत मिलेगी।
-पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूर्वोत्तर रेलवे
आरक्षित वेटिंग टिकटों की भी तय होगी सीमा
ट्रेनों की स्लीपर कोच घट गए, एसी कोच बढ़ गए। इसके बाद भी कोचों का वेटिंग टिकट पुराने नियमों से जारी हो रहे। इसके चलते कोचों में वेटिंग टिकट के यात्रियों की भीड़ बढ़ जा रही। ऐसे में अब आरक्षित वेटिंग टिकटों की सीमा भी तय होगी। रेलवे बोर्ड और क्षेत्रीय रेलवे स्तर पर इसको लेकर मंथन चल रहा है।
एसी और जनरल कोच की अलग-अलग होगी ट्रेनें
एसी, स्लीपर और जनरल कोच वाली ट्रेनों में ही वेटिंग टिकट के यात्रियों की भीड़ समस्या आती है। ऐसे में रेल मंत्रालय एसी, स्लीपर और जनरल कोच वाली अलग-अलग रेक की ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है। अंत्योदय एक्सप्रेस की तरह जनरल और हमसफर की तरह एसी ट्रेन चलाई जाएंगी। रेलवे बोर्ड और जोनल रेलवे स्तर पर इसको लेकर चर्चा चल रही है।
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