नेपाल सीमा पर रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठ का हाई अलर्ट, SIR अभियान से अवैध नागरिकों में डर
नेपाल सीमा पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है। भारत में चुनाव आयोग के विशेष अभियान (एसआइआर) से डरकर अवैध विदेशी नाग ...और पढ़ें

सतीश पांडेय, गोरखपुर। नेपाल सीमा पर अवैध घुसपैठ को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है। नेपाल राष्ट्र के गृह मंत्रालय और सीमा पर तैनात नेपाल सशस्त्र प्रहरी बल (एपीएफ) ने आशंका जताई है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक नेपाल में घुसने की कोशिश कर सकते हैं।इस इनपुट के बाद नेपाल सीमा पर निगरानी दोनों तरफ से बढ़ा दी गई है।
अभिसूचना इकाई की नेपाल शाखा ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर विस्तृत रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय (लखनऊ) को भेजी है।सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भारत के 12 राज्यों में चल रहे भारतीय चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआइआर) अभियान ने अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों में डर पैदा कर दिया है।
पहचान उजागर होने, दस्तावेजों की जांच और संभावित कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ये लोग नेपाल को अस्थायी शरणस्थली के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति पर काम कर सकते हैं। इसी आशंका को देखते हुए नेपाल एपीएफ ने सीमा से लगे सभी बार्डर आउट पोस्ट (बीओपी) को अलर्ट पर रखा है।खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, अवैध घुसपैठ की कोशिश करने वाले लोग फर्जी या संदिग्ध पहचान पत्र-जैसे आधार,पैन कार्ड और अन्य दस्तावेजोंके सहारे सीमा पार करने का प्रयास कर सकते हैं।
खुफिया एजेंसी को मिले इनपुट के अनुसार एसआइआर प्रक्रिया पूरी होने तक नेपाल में छिपने और बाद में नई पहचान के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रहे हैं। यही कारण है कि सीमा पर आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान और दस्तावेजों की गहन जांच के निर्देश दिए गए हैं।
नेपाल की राजधानी काठमांडू के बुढानीलकंठ और लसुनटार इलाकों में पहले से ही करीब 600 से 700 रोहिंग्या के अस्थायी कैंप होने की जानकारी सामने आई है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि इन इलाकों में कुछ इस्लामिक संगठनों और संस्थाओं के माध्यम से उन्हें संसाधन, संरक्षण और सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
नेपाल में पहले से मौजूद यह रोहिंग्या नेटवर्क नए घुसपैठियों को सीमा पार कराने में मदद कर सकता है।अभिसूचना इनपुट में यह भी सामने आया है कि तथाकथित एजेंट और स्थानीय संपर्क सीमावर्ती गांवों, जंगलों और आबादी से दूर इलाकों को अस्थायी ठिकाने के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके बाद मौका देखकर घुसपैठ कराई जा सकती है। इसी खतरे को देखते हुए सीमा से सटे इलाकों में पैदल गश्त, नाइट पेट्रोलिंग, स्थानीय सूचना तंत्र और तकनीकी निगरानी को सक्रिय किया गया है।भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी सीमा पर हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

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