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    SIR In UP: गोरखपुर में तीन लाख से अधिक वोटर ‘गुम’, वोटर लिस्ट से होंगे बाहर

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 10:38 AM (IST)

    गोरखपुर में मतदाता सूची के पुनरीक्षण में तीन लाख से अधिक मतदाताओं के नाम गायब पाए गए हैं, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने ...और पढ़ें

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    एसआइआर अभियान में सामना आया दोहरे व बाेगस वोटरों का आंकड़ा। जागरण

    अरुण चन्द, गोरखपुर। जिले में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान के दौरान मतदाता सूची की बड़ी खामियां सामने आ रही हैं। बीएलओ द्वारा घर-घर सत्यापन में यह तथ्य उभरकर आया है कि करीब तीन लाख से अधिक वोटर ऐसे हैं जो अपने पते पर मिल ही नहीं रहे। जिले में पंजीकृत लगभग 36 लाख मतदाताओं में से इतने लोगों का गायब होना निर्वाचन व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। इन सभी के नाम मतदाता सूची से हटने तय हैं।

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    बीएलओ की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे सबसे अधिक दोहरे, बोगस, शिफ्टेड और मृतक वोटरों की संख्या शहर और ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में दिख रही है। यहां बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता पाए गए हैं जो या तो अब इस पते पर नहीं रहते या फिर उनके नाम दो या उससे अधिक जगह की मतदाता सूची में दर्ज हैं। निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार बड़ी संख्या में लोग नौकरी, पढ़ाई या व्यवसाय के लिए शहर में रहते हुए शहर का वोटर बन गए थे।

    लेकिन, अब एसआइआर अभियान में उन्हें एक ही जगह वोटर चुने जाने की बाध्यता है। ऐसे में कई लोग अपने मूल गांव, नगर पंचायत या दूसरे जिलों के पते से ही प्रपत्र भर रहे हैं, जिसके कारण शहर की मतदाता सूची से उनका नाम कटना तय है।

    यह भी सामने आया है कि कुछ लोग काफी पहले गांव वापस लौट चुके थे, कुछ परिवार अन्य शहरों में शिफ्ट हो गए, जबकि कई मतदाता मृत्युपरांत भी सूची में दर्ज थे। अब इन सभी को गैरहाजिर/ट्रेस नाट फाउंड की श्रेणी में चिह्नित किया जा रहा है।

    अभी बीएलओ का सत्यापन अभियान जारी है, इसलिए बोगस और दोहरे वोटरों की वास्तविक संख्या अभियान के पूर्ण होने के बाद ही पूरी तरह स्पष्ट होगी। हालांकि, अब तक प्राप्त सूचनाओं से यह तय माना जा रहा है कि जिले की कुल मतदाता संख्या में 3.24 लाख से अधिक की कमी दर्ज होगी।

    निर्वाचन विभाग अभियान को ‘मतदाता सूची शुद्धिकरण’ की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया मान रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मतदाताओं को सूची में बनाए रखना न केवल चुनावी पारदर्शिता को प्रभावित करता है, बल्कि मतदान प्रतिशत और चुनावी प्रबंधन पर भी नकारात्मक असर डालता है।

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    एसआइआर अभियान से यह भी साफ हुआ है कि शहर में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग वास्तव में अन्य जिलों/पंचायतों के मूल निवासी हैं, जिन्होंने सुविधा के अनुसार शहर का पता जोड़कर वोटर कार्ड बनवा लिया था। अब सत्यापन की प्रक्रिया में उनकी दोहरी प्रविष्टियां उजागर हो रही हैं, जिसके कारण शहर की मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटेंगे।
    अभियान के बाद जिले की मतदाता सूची में बड़ा बदलाव देखने की संभावना है, जिससे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।

    22 साल में बढ़ गए 10 लाख वोटर
    वर्ष 2003 की मतदाता सूची में कुल 26.68 लाख मतदाता थे। यह संख्या अब बढ़कर 36.66 लाख हो गई है। इस दौरान पांच-पांच लाख पुरूष और महिला मतदाता बढ़े। निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003 के बाद प्रत्येक विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ से दो लाख वोटरों की संख्या बढ़ी।


    एसआइआर अभियान के दौरान अब तक 2025 की मतदाता सूची में दर्ज 36 लाख वोटरों में से करीब 9 प्रतिशत मतदाता मौके पर नहीं मिले हैं। इनमें से कई मतदाता या तो दूसरे जगह शिफ्ट हो गए या इनकी डंबल एंट्री थी या फिर मर चुके हैं। इनके नाम वोटर लिस्ट से काटे जाएंगे।

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    - विनीत सिंह, उप जिला निर्वाचन अधिकारी