Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संस्कृत बोलना सिखाएगा गोरखपुर विश्वविद्यालय, छह महीने चलाएगा कोर्स

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 11:35 AM (IST)

    गोरखपुर विश्वविद्यालय ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की है। विश्वविद्यालय श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ में संस्कृत अध्ययन केंद्र स्थापित किया है, जहाँ छह महीने का संस्कृत भाषा का कोर्स चलाया जाएगा। इस कोर्स में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को संस्कृत बोलना सिखाया जाएगा। प्रवेश शुल्क 1200 रुपये है और कक्षाएं ऑफलाइन होंगी।

    Hero Image

    गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोध पीठ l जागरण

    डाॅ. राकेश राय, जागरण, गोरखपुर। भारतीय धरोहर, परंपरा और प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की मूल आधारभूत भाषा संस्कृत को अधिक से अधिक व्यापक बनाने और उसके लिए आम जनमानस को जागरूक करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण पहल की है। विश्वविद्यालय की ओर से श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ में संस्कृत अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस कार्य में विश्वविद्यालय को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस अध्ययन केंद्र से छह महीने का संस्कृत का कोर्स चलाया जाएगा। कोर्स के प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को संस्कृत बोलना सिखाया जाएगा। इस कोर्स को सर्टिफिकेट कोर्स इन संस्कृत लैंग्वेज नाम दिया गया है। संस्कृत में इसे ‘संस्कृत-भाषा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम’ कहा जाएगा।

    हर इच्छुक व्यक्ति के लिए यह पाठ्यक्रम सहज हो, इसके लिए प्रवेश का शुल्क मात्र 1200 रुपये रखा गया है। कोर्स की कक्षाओं को मोड पूरी तरह आफलाइन होगा। यानी प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को संस्कृत सीखने के लिए अध्ययन केंद्र तक आना होगा।

    इसके लिए सप्ताह में तीन दिन देना होगा क्योंकि इसकी कक्षाएं केवल सप्ताह में केवल तीन दिन ही संचालित होंगी। कक्षाओं का समय शाम पांच से छह बजे रखा गया है ताकि संस्कृत सीखने के इच्छुक पेशेवर लोगों को भी कोर्स की कक्षाओं के लिए छुट्टी न लेनी पड़े। प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष निर्धारित की गई है। अधिकतम आयु का कोई मानक नहीं है।

    यह भी पढ़ें- गोरखपुर में सीएम योगी ने भरा SIR प्रक्रिया का फॉर्म, इस बूथ पर करते हैं मतदान

    केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से इस पाठ्यक्रम के संचालन के लिए फैकल्टी की नियुक्ति की जा चुकी है। प्रशिक्षक के तौर पर नीपा चौधरी को तैनात किया गया है, जो संस्कृत भाषा शिक्षण में विशेष दक्षता रखती हैं।

    विद्यार्थियोें को मिलेंगे आठ क्रेडिट
    वैसे तो यह कोर्स सभी के लिए है लेकिन विद्यार्थियोें को इसका विशेष लाभ मिलेगा। उन्हें संस्कृत सीखने का अवसर मिलने के अलावा प्रमाण-पत्र के साथ आठ क्रेडिट भी मिलेगा, जो उनके मूल कोर्स में जुड़ेगा। अन्य लोगों को कोर्स के लिए विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।

    शैक्षणिक पृष्ठभूमि नहीं रखेगी मायने : डा. कुशल
    विश्वविद्यालय के गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ के उप निदेशक व पाठ्यक्रम के संचालक डा. कुशल नाथ मिश्र के अनुसार कोर्स को इस तरह से बनाया गया है कि विभिन्न शैक्षिक पृष्ठभूमि वाले विद्यार्थी सरलता से संस्कृत भाषा को समझ सकें। बातचीत में इसका प्रयोग सीख सकें। यानी कला व विज्ञान सभी वर्ग के लोग इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं।

    डा. कुशल ने बताया कि प्रवेश शुरू हो चुका है। करीब एक दर्जन लोगों ने प्रवेश ले लिया है। एक बैच 60 विद्यार्थियों का होगा। विद्यार्थियों की संख्या में बैच की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। आनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को सरल रखा गया है। यदि किसी विद्यार्थी को फार्म भरने में कोई समस्या आती है तो वाट्सएप नंबर 7029970381 पर संदेश भेजकर सहायता प्राप्त की जा सकती है।

    संस्कृत अध्ययन केंद्र की स्थापना से गोरखपुर विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा के संरक्षण व संवर्धन को नई गति मिलने की उम्मीद है। यह पहल न केवल विद्यार्थियों बल्कि शोधकर्ताओं और संस्कृत प्रेमियों के लिए भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। अध्ययन केंद्र मेंं आधुनिक शिक्षण पद्धतियों के साथ संस्कृत ज्ञान की प्राचीन परंपरा को समाहित करने का प्रयास किया जाएगा।

    -


    प्रो. पूनम टंडन, कुलपति, दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय