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    गोरखपुर राप्ती तट पर प्रतिमा विसर्जन ने भरा बच्चों का 'गुल्लक', हो गई दिवाली की तैयारी

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 01:29 PM (IST)

    गोरखपुर में राप्ती तट पर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए बने कृत्रिम तालाब बच्चों के लिए खजाना साबित हुए जहाँ उन्होंने सिक्के जमा किए। नगर निगम ने तालाबों की सफाई की जिसमें 50 कर्मचारी लगे रहे और कचरा निकाला गया। ग्रामीणों ने साड़ी-चुनरी और बांस-बल्ली भी इकट्ठा किए जिनका उपयोग वे अपनी जरूरतों के लिए करेंगे। निगम ने तालाबों को पूरी तरह से साफ़ कर दिया।

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    कृत्रिम तालाब से पैसा निकालते स्थानीय बच्चे

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राप्ती तट पर मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए बनाए गए कृत्रिम तालाब ने बच्चों के गुल्लक भर दिए। सोनी, ममता, रोहन, महेश समेत आसपास के इलाकों के कई बच्चे रविवार को इस तालाब में गोता लगाकर चढ़ावा के रूप में चढ़ाए गए सिक्के निकालने के लिए जुटे रहे।

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    रविवार सुबह तक तो कई बच्चों ने 1000 से डेढ़ हजार रुपये तक के सिक्के इकट्ठा कर लिए थे। हालांकि यह थोड़ा सा जोखिम भरा काम भी था क्योंकि विसर्जन के बाद इसमें कई नुकीले वस्तुएं भी प्रतिमाओं के साथ विसर्जित की गई थी। संयोग अच्छा था कि किसी भी बच्चे को कोई चोट नहीं आई। दूसरी तरफ नगर निगम की टीम कृत्रिम तालाब की सफाई में जुटी रही।

    मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए नगर निगम की ओर राप्ती नदी के तट पर तीन, डोमिनगढ़ और महेशरा में एक-एक कुल पांच कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं। इन तालाबों में करीब 1300 प्रतिमाएं विसर्जित की गई। नगर निगम की ओर से प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

    वहीं विसर्जन के बाद तालाबों से अपशिष्ट पदार्थों को निकालने के लिए भी निगम की टीम शुक्रवार से ही लगी हुई थी। निगम के करीब 50 कर्मचारियों ने तालाब से प्रतिमाओं के ढांचे के लिए लगाए गए बांस-बल्ली, लकड़ी के टुकड़े और पुआल निकाल कर एक तरफ इकट्ठा कर दिया। रविवार दोपहर बाद कृत्रिम तालाबों को पूरी तरह से साफ कर दिया गया।

    रविवार दोपहर तालाबों की सफाई करा रहे नगर निगम के सफाई सुपरवाइजर राम गोपाल मिश्रा ने बताया कि पिछले तीन दिनों के दौरान छह ट्रैक्टर ट्राली से प्रतिमाओं के अपशिष्ट को लगातार निकालने का काम चला है। पहले और दूसरे दिन तो इन ट्रालियों से करीब 10-10 फेरों में अपशिष्टों को निकाला गया। रविवार को भी करीब 30 ट्राली बांस-बल्ली, पुआल आदि निकलकर किनारे रखे गए। रविवार को तालाब पूरी तरफ साफ कर दिए गए।

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    साड़ी-चुनरी सब इकठा कर ले गए ग्रामीण

    प्रतिमाओं के विसर्जन के बाद आसपास के ग्रामीण कृत्रिम तालाब से साड़ी-चुनरी, पूजा की अन्य सामग्रियों के अलावा बांस-बल्ली सब इकट्ठा कर ले गए। रविवार दोपहर कुछ ग्रामीण ठेले पर लाद कर बांस-बल्ली आदि ले जाते दिखे।

    राम अवतार और निर्मला ने बताया कि नगर निगम के द्वारा तालाब से निकाल कर किनारे रखे गए बांस-बल्ली और लकड़ी को काटकर झोपड़ी बनाने से लेकर जरूरत के अन्य चीजों के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसी लिए इसे ले जा रहे हैं।