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    Indian Railways News: ट्रेनों की ढाल बनेगा 'कवच', नहीं होगी आपस में टक्कर

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 07:17 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद 'कवच' प्रणाली की अहमियत बढ़ गई है। पूर्वोत्तर रेलवे में 1,441 रूट किमी पर 'कवच' लगाने के लिए बजट स्वीकृत है। यह प्रणाली ट्रेनों को टक्कर से बचाती है, लोको पायलटों को अलर्ट करती है, और ऑटोमेटिक ब्रेक लगाती है। कोहरे में भी यह सिग्नल की जानकारी देती है और दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है। यह आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ मिलकर काम करती है और पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।

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    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। छत्तीसगढ़ के जयरामनगर और गोतरा स्टेशन के बीच बिलासपुर रेल खंड में ट्रेन सुरक्षा प्रणाली यानी 'कवच' कार्य कर रहा होता तो शायद मंगलवार को पैसेंजर ट्रेन और खड़ी मालगाड़ी में आपस में टक्कर नहीं हुई होती। दस यात्री असमय काल के गाल में नहीं समाते। यद्यपि, इस रेख खंड पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम कार्य कर रहा है, लेकिन 'कवच' पूरी तरह लागू नहीं है।

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    आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ 'कवच' ही ट्रेनों की ढाल बनेगा। सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह पुख्ता करने के लिए रेलवे को आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ कवच लगाना ही पड़ेगा।

    फिलहाल, पूर्वोत्तर रेलवे में आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ 'कवच' लगाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। 1,441 रूट किमी रेलमार्ग पर 'कवच' लगाने के लिए 492.21 करोड़ रुपये बजट स्वीकृत है। प्रथम चरण में पूर्वोत्तर रेलवे के 558 रूट किमी पर कवच लगाने का कार्य किया जाएगा, जिसमें लखनऊ मंडल के सीतापुर सिटी-बुढ़वल जंक्शन, बुढ़वल जंक्शन-गोरखपुर कैंट, मानक नगर-लखनऊ जंक्शन-मल्हौर एवं बाराबंकी-बुढ़वल जंक्शन तथा वाराणसी मंडल के गोरखपुर कैंट-गोल्डिनगंज खंड शामिल है।

    मुख्य रेलमार्ग छपरा-बाराबंकी में टावर लगाने का कार्य प्रगति पर है। गोरखपुर कैंट-छपरा ग्रामीण के मध्य टावर लगाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पूरी तरह स्वदेशी 'कवच' एक रेलखंड के एक सेक्शन में एक रेल लाइन पर ट्रेनों की टक्कर नहीं होने देगा।

    दो ट्रेनों के आमने-सामने या आगे-पीछे होने पर स्वत: इमरजेंसी ब्रेक लग जाएगा। 'कवच' लोको पायलटों की सभी गतिविधियों की भी निगरानी करेगा। किसी भी प्रकार की चूक होने या एक सेक्शन में दूसरी ट्रेन के आते ही आडियो व वीडियो के माध्यम से लोको पायलटों को अलर्ट कर देगा।

    कोहरे में भी लोको पायलटों को सिग्नल की जानकारी देता रहेगा। लोको पायलटों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने या लाल सिग्नल पार करने पर आटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। कवच उपकरण ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। समपार फाटकों पर भी स्वत: सीटी बजती रहेगी। दुर्घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगेगा।

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    आटोमेटिक सिग्नल के साथ कार्य करता है 'कवच'
    'कवच' आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ मिलकर कार्य करता है। आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगने के साथ ही कवच सिस्टम भी लगना आरंभ हो गया है। लोको पायलट अपने केबिन में सिग्नल लाइव देखते रहेंगे। कोहरे में भी ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं होंगा। ट्रेनें निर्बाध गति से चलती रहेंगी। बाराबंकी-छपरा रूट पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम भी तेजी के साथ लग रहा है।

    लोको पायलटों को करता है सतर्क, लग जाएगा आटोमेटिक ब्रेक
    कवच सिस्टम प्रत्येक एक किलोमीटर पर लग रहे आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के सिग्नल, पटरियों, इंजन के कैब और इंजन के नीचे तथा स्टेशन मास्टर के पैनल में लगाया जा रहा है, जो एक सेक्शन में चलने वाली ट्रेन की गति समेत इंजन और सिग्नल की प्रत्येक गतिविधियों को रीड (पढ़ता) करता रहेगा।

    रेड सिग्नल होने, निर्धारित से अधिक गति होने, लोको पायलटों की सक्रियता नहीं होने तथा एक सेक्शन यानी एक किमी के अंदर दूसरी ट्रेन के आते ही कवच सक्रिय हो जाएगा। सबसे पहले वह लोको पायलटों और स्टेशन मास्टर को अलर्ट करेगा। फिर इमरजेंसी ब्रेक लगा देगा। कवच के तहत लोको पायलट इंजन के कैब में एक सेक्शन की सभी गतिविधियों को लाइव देखते रहेंगे।

    पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है कवच
    कवच सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक पर तैयार किया गया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं कवच का परीक्षण किया है। चार मार्च, 2022 को रेलमंत्री ने ट्रेन में बैठकर कवच प्रणाली का परीक्षण किया था। परीक्षण की सफलता के बाद रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे स्तर पर इस प्रणाली का प्रयोग करने के लिए अनुमति प्रदान कर दी है।