इंश्योरेंस फर्जीवाड़े में आयुष चिकित्सक और मैनेजर गिरफ्तार, गोरखपुर सहित तीन अस्पतालों पर पुलिस की नजर
गोरखपुर के डिसेंट हॉस्पिटल में 1.20 करोड़ की बीमा ठगी का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने आयुष डॉक्टर अफजल अंसारी और मैनेजर ताहीर खान को गिरफ्तार किया जो फर्जी दस्तावेजों से क्लेम पास कराते थे। डॉ. अफजल खुद को एमबीबीएस सर्जन बताते थे। जांच में पता चला कि गोरखपुर समेत तीन जिलों के आठ अस्पताल संदिग्ध हैं और साइबर सेल खातों की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता,गोरखपुर। डिसेंट हाॅस्पिटल में 1.20 करोड़ रुपये की इंश्योरेंस ठगी मामले में पुलिस की जांच अब और गहराती जा रही है। शुक्रवार को रामगढ़ताल पुलिस ने दो और आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इनमें गगहा के नर्रे बुजुर्ग निवासी डॉ. अफजल अंसारी व दूसरा अस्पताल का मैनेजर ताहीर खान शामिल हैं।
खास बात यह है कि डाॅ. अफजल के पास केवल आयुष की डिग्री है, लेकिन खुद को एमबीबीएस सर्जन बताकर वह फर्जी मरीजों की फाइलों पर हस्ताक्षर करता था। वहीं ताहीर खान, जो अस्पताल संचालक शुमशुल कमर का छोटा भाई है, पूरे फर्जीवाड़े का मैनेजर था और इंश्योरेंस एजेंटों से सीधी डीलिंग करता था।
नौ सितंबर को बजाज आलियांज जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारियों ने रामगढ़ताल थाना पुलिस को तहरीर दी थी। आरोप था कि डिसेंट और एपेक्स हास्पिटल के नाम पर फर्जी मरीज भर्ती दिखाकर करोड़ों की रकम निकाल ली गई।
जांच में सामने आया कि बीमा धारकों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाए गए और कूटरचित बैंक खाते खोलकर 1 करोड़ 80 लाख 672 रुपये की ठगी की गई। खास बात यह रही कि एपेक्स नाम का हास्पिटल तो शहर में अस्तित्व में ही नहीं है।
रामगढ़ताल थाना प्रभारी नितिन रघुनाथ श्रीवास्तव ने बताया कि गिरफ्तार डा. अफजल अंसारी के पास सिर्फ आयुष की डिग्री है। उसके हस्ताक्षर पर ही बीमा कंपनियां क्लेम पास कर देती थीं।
कई मरीज तो ऐसे मिले जिन्होंने अस्पताल का नाम तक नहीं सुना, लेकिन उनके नाम पर लाखों का क्लेम उठाया गया। पुलिस का कहना है कि डॉ. अफजल लंबे समय से इस खेल में शामिल था और अस्पताल प्रबंधन व एजेंटों से सांठगांठ कर मोटी रकम की हेराफेरी कर रहा था।
पूरे खेल में मैनेजर ताहीर खान की भूमिका भी उतनी ही अहम निकली। संचालक शुमशुल कमर का छोटा भाई होने के कारण ताहीर सीधे एजेंटों के संपर्क में था। बीमा क्लेम पास कराने के लिए फर्जी मरीजों का दाखिला दिखाना, कागजात बनवाना और रकम का बंटवारा करना उसका जिम्मा था।
पुलिस के अनुसार, ताहीर पूरे रैकेट में बराबर का भागीदार रहा है।पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि ठगी का यह नेटवर्क सिर्फ डिसेंट तक सीमित नहीं है।गोरखपुर के अलावा संतकबीरनगर व बस्ती जिले के आठ हास्पिटल संदिग्ध पाए गए हैं।
देर रात पुलिस ने इन संस्थानों की सूची तैयार कर ली। शनिवार को इन अस्पतालों और उनसे जुड़े डॉक्टरों से पूछताछ होगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जिनके दस्तावेज फर्जी पाए जाएंगे, उन पर केस दर्ज करने की तैयारी है।
साइबर सेल खंगाल रही खातों का हिसाब
बीमा क्लेम की रकम कंपनियां सीधे अस्पताल के खाते में ट्रांसफर करती थीं। रकम कहां गई और किसे बांटी गई, इसका पता लगाने के लिए साइबर सेल की टीम को लगाया गया है। टीम बैंक खातों, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और मेल ट्रेल खंगाल रही है। पुलिस ने 15 बीमा कंपनियों से संदिग्ध क्लेम की डिटेल और एजेंटों की सूची भी मांगी है।
कब क्या हुआ :
- 09 सितंबर 2025-बजाज आलियांज जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने गोरखपुर पुलिस में तहरीर दी। आरोप लगाया गया कि डिसेंट और एपेक्स हास्पिटल के नाम पर फर्जी मरीज भर्ती कराकर करोड़ों की ठगी की गई।
- 10 सितंबर 2025-पुलिस जांच में सामने आया कि एपेक्स हॉस्पिटल नाम का कोई अस्तित्व ही नहीं है। डिसेंट हास्पिटल में संदिग्ध फाइलों का ब्योरा मिला।
- 11 सितंबर 2025-डिसेंट हॉस्पिटल के संचालक गेंहूआसागर निवासी शुमशुल कमर और कोतवाली के मेवातीपुर निवासी प्रवीण त्रिपाठी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
- 12 सितंबर 2025- जांच में पर्दाफाश हुआ कि डाक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से 30 से अधिक फाइलों पर क्लेम पास कराया गया था। डा. एके सिंह ने खुद पुलिस को बयान दिया कि उन्होंने कभी हस्ताक्षर नहीं किए।
- 13 सितंबर 2025 - गगहा के नर्रे बुजुर्ग निवासी आयुष डा. अफजल अंसारी और मैनेजर ताहीर खान को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। पुलिस ने अन्य सात नर्सिंग होम को भी रडार पर लिया।
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अब तक की छानबीन में 1.80 करोड़ रुपये की ठगी सामने आई है। यह रकम फर्जी मरीजों के नाम पर क्लेम कराई गई। शुरुआती फाइलों की जांच में ही यह सच उजागर हुआ है। रकम और भी अधिक हो सकती है। अन्य अस्पतालों और एजेंटों को भी रडार पर लिया गया है। जल्द ही पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जाएगा।
- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी
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