यूपी के इस जिले में वाहन माफिया की शह पर डग्गेमारी, मैत्री बसों को नहीं मिल रही सवारी
भारत-नेपाल सीमा पर वाहन माफिया सक्रिय हैं, जो अवैध रूप से यात्रियों को ढो रहे हैं। दलाल नेपाली यात्रियों को मैत्री बसों में नहीं बैठने देते, जिससे रोडवेज बसों को नुकसान हो रहा है। खुफिया रिपोर्ट में फर्जी ट्रैवल एजेंसियां और स्थानीय नेताओं, अफसरों की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। अधिकांश बसों की फिटनेस भी खत्म हो चुकी है।

नेपाल के दलाल जुटा रहे सवारियां, नोमेंस लैंड से चल रही अवैध बसें
सतीश पांडेय, जागरण गोरखपुर। भारत-नेपाल सीमा के दोनों ओर वाहन माफिया का संगठित गिरोह काम कर रहा है। इनके अनफिट वाहनों से नेपाली सवारियां ठाेई जा रही हैं। भारतीय क्षेत्र में आने वाली नेपाली सवारियों को माफिया के दलाल अवैध स्टैंडों पर लाते हैं और वाहनों की क्षमता से अधिक सवारियां भरकर विभिन्न गंतव्य के लिए भेजते हैं।
माफिया के लोग नेपालगंज में नेपाली सवारियों को मैत्री बस में नहीं बैठने देते। अगर यूपी रोडवेज की मैत्री बस के चालक और कंडक्टर सवारी बैठाने का प्रयास करते हैं, तो माफिया के लोग उनसे मारपीट भी कर लेते हैं। इसके चलते इन गाड़ियों को खाली चलना पड़ रहा है।
नोमेंस लैंड के दोनों ओर 20 से 50 मीटर दूर चल रहे अवैध स्टैंड और यहां सक्रिय दलालों की बाबत विस्तृत रिपोर्ट स्थानीय अभिसूचना इकाई की नेपाल बार्डर शाखा की ओर से सुरक्षा मुख्यालय को भेजी गई है। इसमें बताया गया है कि सीमा से सटे इलाके में फर्जी दस्तावेजों के दम पर दर्जनभर से अधिक निजी ट्रैवल एजेंसियां यात्रियों का शोषण कर रही हैं।
इनमें मनोकामना टूर एंड ट्रैवल्स (संचालक राजेश सिंह), गोरखा टूर एंड ट्रैवल्स (संचालक अनवर अहमद), विजय पाल सिंह, आशीष सिंह, भगत सिंह, खेरा ट्रैवल्स, चकिया रोड स्थित ईदगाह के पास खली उर्फ यूसुफ खान, केवटलपुर तिराहा पर आरएस यादव बस सर्विस और हनुमान मंदिर के सामने देसी स्टैंड संचालक संतोश शुक्ला के नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं।
यात्रियों को नेपाल के दलालों के माध्यम से बसों में बैठाया जाता है। ये दलाल प्रति सवारी 200 से 400 रुपये तक वसूलते हैं और बस संचालकों को प्रतिदिन 20 से 25 हजार रुपये तक की आमदनी कराते हैं। सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि नेपालगंज-नेपाल मैत्री बस सेवा, जो दोनों देशों के बीच वैध परिवहन का प्रतीक मानी जाती है, उसे इन माफिया ने बंधक बना रखा है।
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नेपाली दलाल जानबूझकर नेपाली यात्रियों को यूपी रोडवेज की बसों में नहीं बैठने देते। रोडवेज के चालक-कंडक्टर सवारी बैठाने की कोशिश करें तो उनसे धक्कामुक्की, मारपीट तक होती है। परिणाम यह कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की करीब की बसें रोजाना खाली लौटती हैं, जबकि अवैध तरीके से चलने वाली बसें यात्रियों से ठसाठस भरी रहती हैं।
रिपोर्ट में साफ लिखा है कि यह नेटवर्क वर्षों से सक्रिय है। इसमें स्थानीय नेताओं, बस संचालकों, दलालों और कुछ प्रभावशाली अफसरों तक की मिलीभगत की बात सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि अधिकांश बसों की फिटनेस तीन साल पहले खत्म हो चुकी है, बीमा अमान्य है, लेकिन कागज़ों पर सब 'अप टू डेट' दिखाया जा रहा है।
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