High Speed Train: 110KM नहीं... अब से इतनी रफ्तार दौड़ने वाली ट्रेनें कहलांएगी 'हाई स्पीड', Indian Railway का फैसला
रेलवे बोर्ड की स्थायी बहु विषयक समिति ने हाई स्पीड ट्रेनों की परिभाषा में बदलाव किया है। अब 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेनें ही हाई स्पीड कहलाएंगी जबकि पहले यह सीमा 110 किमी थी। क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को इस सिफारिश को लागू करने के लिए पत्र लिखा गया है। लोको पायलटों की तैनाती के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं।
प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर। वृहद स्तर पर पटरियों और सिस्टम में सुधार के बाद रेलवे बोर्ड की स्थायी बहु विषयक समिति ने 'हाई स्पीड' ट्रेनों की नई परिभाषा गढ़ी है। समिति के अनुसार अधिकतम 110 की बजाय 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेनें ही अब 'हाई स्पीड' कहलाएंगी। समिति ने अपनी रिपोर्ट लागू कराने के लिए क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को पत्र लिख सिफारिश की है।
समिति ने लोको रनिंग स्टाफ से मिली शिकायतों और मान्यता प्राप्त यूनियनों के मुद्दों पर गहनता से विचार विमर्श किया है। मान्यता प्राप्त फेडरेशनों से बातचीत के बाद रिपोर्ट यह तैयार की है। अधिकतर रेल खंडों की ट्रैक क्षमता 130 किमी होने के बाद भारतीय रेलवे स्तर पर 110 किमी प्रति घंटे की हाई स्पीड ट्रेनों और लोको पायलटों की तैनाती की भी समीक्षा की गई है।
लोको पायलट के लिए बताए ये नियम
समिति ने क्षेत्रीय महाप्रबंधकों से सिफारिश की है कि 130 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनों में सहायक लोको पायलट (एएलपी) की तैनाती नियमित आधार पर कर सकते हैं। इसके लिए एलपीजी में प्रमोशनल कोर्स पास करना अनिवार्य नहीं होगा, लेकिन कंप्यूटर एडेड ड्राइवर एप्टीट्यूड टेस्ट उत्तीर्ण करने की अनिवार्यता जारी रहेगी।
हाई स्पीड ट्रेनों में एएलपी की तैनाती के लिए कम से कम 60 हजार किमी का फुट प्लेट का अनुभव आवश्यक होगा। समिति ने मेमू ट्रेन (एमईएमयू) में एएलपी के प्रविधान की सिफारिश की है, लेकिन ईएमयू में नहीं। 200 किमी या उससे अधिक दूरी के लिए संचालित होने वाली मेमू ट्रेन में एएलपीएस की तैनाती पर विचार किया गया है। साथ ही कहा है कि इंजनों में लगे क्रू वायस और वीडियो रिकार्डिंग सिस्टम (सीवीवीआरएस) से गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता है। समिति ने उपयोगिता का उल्लेख करते हुए सामान्य मौसम में भी इंजनों में फाग सेफ डिवाइस लगाने का सुझाव दिया है।
लखनऊ-गोरखपुर-छपरा रूट पर भी चलेंगी 'हाई स्पीड' ट्रेनें
पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनें अभी अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे की गति से ही चल रही हैं। 160 की गति वाली गोरखपुर-प्रयागराज वंदे भारत भी 110 की गति से चल रही हैं। जल्द ही वंदे भारत के साथ गोरखधाम, वैशाली और गोरखपुर-एलटीटी एक्सप्रेस भी 'हाई स्पीड' वाली ट्रेन हो जाएंगी।
इनकी गति भी 130 किमी प्रति घंटे हो जाएगी। लखनऊ-गोरखपुर-छपरा (425 किमी) मुख्य रेलमार्ग पर भी ट्रेनें 'हाई स्पीड' से चलेंगी। पूर्वोत्तर रेलवे का यह मुख्य रेलमार्ग 130 किमी प्रति घंटे गति के लायक तैयार है। पटरियां बदलने के बाद रेल लाइनों पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम और फेंसिंग लगाई जा रही है।
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