आवारा कुत्तों से निपटने की नई योजना, गोरखपुर में 80 वार्डों में बनेंगे फीडिंग पॉइंट
गोरखपुर नगर निगम ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक योजना शुरू की है। इसके तहत शहर के सभी 80 वार्डों में फीडिंग पॉइंट बनाए जाएंगे औ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नगर निगम ने शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और उससे जुड़ी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक व्यापक और व्यावहारिक कार्ययोजना तैयार की है। योजना के तहत नगर निगम केवल वैक्सीनेशन तक सीमित न रहकर अब सभी 80 वार्डों में आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग पाइंट बनाने जा रहा है। यहां कुत्तों को खाना आदि दिया जाएगा। इसका उद्देश्य कुत्तों के व्यवहार में सुधार, शहरवासियों की सुरक्षा और मानवीय दृष्टिकोण से पशुओं की देखभाल सुनिश्चित करना है।
नगर निगम की योजना के अनुसार, प्रत्येक वार्ड में चिन्हित स्थानों पर फीडिंग पाइंट बनाए जाएंगे। फीडिंग प्वाइंट का मतलब है आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए सरकार या स्थानीय निकायों द्वारा तय की गई निर्धारित जगहें, ताकि उन्हें कहीं भी खाना खिलाने से होने वाली गंदगी और लोगों के विरोध को रोका जा सके। यहां साइनेज लगाए जाएंगे और इनकी जियो-टैगिंग भी होगी ताकि पशु प्रेमी और नागरिक आसानी से इन्हें ढूंढ सकें और कुत्तों को सही जगह पर भोजन दे सकें।
इनके संचालन के लिए जल्द ही नगर निगम की ओर से टेंडर जारी किया जाएगा। चयनित एजेंसी की जिम्मेदारी होगी कि वह संबंधित वार्ड के आवारा कुत्तों को तय समय पर भोजन और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराए। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कुत्तों को सड़कों पर भटककर भोजन ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनके आक्रामक व्यवहार में कमी आएगी। साथ ही फीडिंग सेंटर बनने से सड़कों, बाजारों और रिहायशी इलाकों में बेतरतीब ढंग से भोजन डालने की समस्या से भी निजात मिलेगी, जिससे स्वच्छता और यातायात व्यवस्था बेहतर होगी।
प्रविधान के अनुसार इन फीडिंग पाइंट्स पर पशु-संरक्षक और स्वयंसेवी संस्थाएं भी सक्रिय भूमिका निभाएंगी। वे न केवल भोजन कराने में सहयोग करेंगे, बल्कि कुत्तों के वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य निगरानी में भी मदद करेंगे। नियमित वैक्सीनेशन से रेबीज जैसी घातक बीमारियों के प्रसार को रोका जा सकेगा, जिससे आम नागरिकों, विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को बड़ा लाभ मिलेगा।
1700 वर्ग मीटर में बनेगा कुत्तों का आश्रय स्थल
इसके साथ ही नगर निगम एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर के बगल में करीब 1700 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में एक आधुनिक डाग शेल्टर बनाने की तैयारी कर रहा है। इस शेल्टर में बीमार, घायल या विशेष देखभाल की जरूरत वाले कुत्तों को तो रखा ही जाएगा। आक्रामक कुत्तों को भी यहां रखने का प्रविधान किया जा रहा है। साथ ही नसबंदी और टीकाकरण के बाद यहां कुत्तों का रखा जाएगा।
नगर निगम अधिकारियों का मानना है कि इस समग्र योजना से शहर में कुत्तों के काटने की घटनाओं में कमी आएगी, यातायात और सार्वजनिक स्थलों पर भय का माहौल कम होगा। शहर
2030 तक देश को रेबीज मुक्त बनाने का है लक्ष्य
नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा. रोबिन चंद्रा का कहना है कि रेबीज फ्री इंडिया अभियान भारत सरकार के राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) द्वारा चलाया जा रहा एक राष्ट्रव्यापी प्रयास है। जिसका लक्ष्य 2030 तक देश को रेबीज मुक्त बनाना है, जिसमें मुख्य रूप से कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज को खत्म करने, टीकाकरण (कुत्तों और मनुष्यों दोनों के लिए), जागरूकता बढ़ाने और मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित करने पर जोर दिया जाता है।
एक नजर में
70 हजार कुत्तों की है शहर में अनुमानित संख्या
40 कुत्तों की क्षमता वाला है एनिमन बर्थ कंट्रोल सेंटर
2702 कुत्तों का सितंबर 2025 तक हुआ टीकाकरण व बधियाकरण
324 कुत्तों का नई एजेंसी के द्वारा किया गया टीकाकरण व बधियाकरण
1700 वर्ग मीटर में कुत्तों का आश्रय स्थल बनाने की है योजना
प्रत्येक वार्ड में ऐसे स्थानों की पहचान की जा रही है, जहां फीडिंग सेंटर स्थापित किए जा सकें और स्थानीय लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। इसके लिए वार्ड स्तर पर जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, जिससे शहर में आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी और मानवीय समाधान संभव हो सके। -प्रमोद कुमार, अपर नगर आयुक्त

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।