गोरखपुर जू में हिमालयन भालू को आ रहा मजा, अन्य वन्यजीवों को लग रही ठंड
गोरखपुर चिड़ियाघर में ठंड बढ़ने से वन्यजीवों की दिनचर्या बदल गई है। जहां कई जानवर ठंड से सुस्त हैं, वहीं हिमालयन भालू गुफा से बाहर मस्ती कर रहा है, पर ...और पढ़ें

गलन बढ़ते ही चिड़ियाघर 10 बजे के बाद सेल से बाहर निकाले जा रहे वन्यजीव। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गलन बढ़ते ही चिड़ियाघर के वन्यजीवों का रूटीन बदल गया है। जू कर्मी 10 बजे के बाद उन्हें सेल से बाहर निकाल रहे, लेकिन ठंड से अधिकांश वन्यजीव सुस्त होकर सेल में दुबके हुए हैं। वहीं हिमालयन भालू ठंड का भरपूर आनंद ले रहा है।
वह गुफा से बाहर निकलकर दिनभर मस्ती कर रहा और मचान पर चढ़कर पर्यटकों का मनोरंजन कर रहा। हालांकि गैंडे और दरियाई घोड़े पर भी ठंड का खास असर नहीं पड़ रहा, लेकिन अन्य सेल से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं।
चिड़ियाघर के एक बाड़े में देसी भालू नीतीश और रानी हैं, जबकि बगल के बाड़े में हिमालयन भालू वीरू और शालिनी रहते हैं। देसी भालू मार्च 2021 चिड़ियाघर के शुभारंभ पर लाए गए थे, जबकि अक्टूबर 2022 में हिमालयन भालुओं को लाया गया था।
मौसम के अनुसार, दोनों प्रजातियों के स्वभाव में अंतर साफ दिखाई देता है। गर्मी के मौसम में जहां देसी भालू ज्यादा सक्रिय रहते हैं, वहीं सर्दियों में हिमालयन भालू दिनभर गुफा से बाहर निकलकर झूमते, मचान पर चढ़ते और अठखेलियां करते नजर आ रहे हैं। उनकी चंचल गतिविधियां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। दो दिनों से बढ़ी ठंड के कारण शेर, बाघ समेत कई अन्य वन्यजीव खुले बाड़ों में आने से बच रहे हैं।
चिड़ियाघर प्रशासन उन्हें बाहर निकालने का प्रयास करता है, लेकिन कुछ देर बाद वे फिर अपने सेल में लौट जाते हैं। वन्यजीव चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि हिमालयन भालूओं को ठंड का मौसम पसंद है। इन्हें गर्मी में सबसे अधिक परेशानी होती है। लेकिन, ठंड में ये गुफा नहीं रहना चाहते।
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वहीं कोहरे के चलते जमीन में नमी हो जाती है। बाड़े में घास-फूस भी भीगे रहते है। जिससे शेर, बाघ, तेंदुआ समेत अन्य वन्यजीव सेल से बाहर तो निकलते है, लेकिन वह बैठना नहीं चाहते। इस वजह से वह दोबारा सेल में चले जाते।
मौसम के अनुसार, भालुओं के आहार में बदलाव किया जाता है। इस समय भालुओं को नारियल, केला, संतरा, सेब, पपीता के साथ पनीर और खीर दी जा रही है। ठंड के मौसम में अतिरिक्त ऊर्जा के लिए उन्हें रोजाना 150 से 200 ग्राम शहद भी दिया जा रहा है।

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