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    Gorakhpur Zoo: पटाखों की शोर से परेशान होते हैं वन्यजीव, आग से बचाव को छप्पर पर डाल रहे पानी

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 07:19 AM (IST)

    गोरखपुर चिड़ियाघर में वन्यजीवों को पटाखों के शोर और आग से बचाने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं। छप्परों को पानी से भिगोया जा रहा है ताकि आग न लगे, और लोगों से चिड़ियाघर के आसपास पटाखे न फोड़ने की अपील की गई है। तेज आवाज से वन्यजीवों की दिनचर्या प्रभावित होती है, इसलिए प्रशासन सतर्क है और सुरक्षा के लिए तैयार है।

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    प्राणि उद्यान में रहने वाले वन्यजीवों को धूप से बचाने को लगाया था छप्पर

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। चिड़ियाघर में रहने वाले वन्यजीव पटाखों की आवाज से परेशान होते हैं। धूप से बचाव के लिए उनके बाड़ों पर लगे छप्पर में अब पटाखे से आग लगने का खतरा बढ़ गया है। इसके लिए चिड़ियाघर प्रशासन छप्पर पर शाम होते ही पानी डाल रहा है।

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    जिससे कि वन्यजीव के बाड़े में आग न लग सके। साथ ही चिड़ियाघर प्रशासन ने आसपास रह रहे लोगों से अपील भी कि है कि वह ऊपर की तरफ जाने वाले पटाखे यानी की राकेट और आकाशदीप को न जलाए। इससे आग लगने का खतरा बना रहता है।

    वर्ष 2023 में दीपावली के दिन पटाखे से चिड़ियाघर के पास कूड़े में आग लग गई थी। जिसके धूएं से वन्यजीवों को काफी परेशानीं हुई थी। चिड़ियाघर प्रशासन व अग्निशमन कर्मियों ने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया था। हालांकि इस बार उस जगह पर कूड़ा तो नहीं है लेकिन प्रशासन पहले से सतर्क है।

    यहां के कर्मचारी बाड़े में जुटने वाले और आसपास के खर-पतवार को सुबह-शाम साफ कर गड्ढा खोंदकर उसमें डाल रहे हैं। इसके अलावा गर्मी में धूप से बचाने के लिए वन्यजीवों के बाड़े पर लगाए गए छप्पर को भिगोया जा रहा है।

    जिससे की उस पर पटाखे की चिंगारी का कोई असर न पड़े। हालांकि नौका विहार से रामगढ़ताल के किनारे जाने वाले मार्ग एसटीपी के अंतर्गत आता है। जिससे यहां पर आतिशबाजी करना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।

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    ऊपर जाकर फटने वाले पटाखों से खतरा

    चिड़ियाघर के उप निदेशक व मुख्य वन्यजीव चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि सबसे ज्यादा खतरा ऊपर जाकर फटने वाले पटाखों से है। नीचे गिरने के बाद अगर उनकी चिंगारी से छप्पर या खर पतवार पर गई तो आग लग सकती है। इसको देखते छप्परों को भिगोया जा रहा है। यह प्रक्रिया छठ तक चलती रहेगी। डा. योगेश ने बताया कि तेज आवाज के पटाखों के शोर से वन्यजीव व्याकुल हो जाते है।

    उनकी दिनचर्या पर प्रभाव पड़ता है। उनकी भूख खत्म हो जाती है। आतिशबाजी के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए वन्यजीवों को शनिवार से सूरज ढलने से पहले भोजन देना शुरू हो जाएग। सभी बाड़ों में एग्जास्ट पंखा कर दिया गया है। इसकी आवाज से पटाखों का शोर काफी हद तक दब जाएगा। डा. योगेश ने लोगों से अपील किया है कि चिड़ियाघर के आसपास पटाखे न फाेड़ें।

    उन्होंने बताया कि चिड़ियाघर के बगल से होकर नौका विहार जाने वाली सड़क पर आतिशबाजी प्रतिबंधित रहेगी क्योंकि यह प्राणी उद्यान के मुख्य द्वार के पास स्थित एसटीपी पर निकलता है। इसके अलावा दीपावली के दिन इस यह मार्ग बंद रहेगा।