Gorakhpur Zoo: मैलानी की मौत के बाद चिड़ियाघर में अब भी नारद समेत 16 उम्रदराज वन्यजीव, प्रबंधन की बढ़ी चिंता
गोरखपुर चिड़ियाघर में मैलानी की मौत के बाद, नारद समेत 16 वन्यजीव अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं, जिससे प्रबंधन चिंतित है। मार्च से अब तक सात वन्यजीवों की मौत हो चुकी है, जिनमें बर्ड फ्लू भी एक कारण रहा। चिड़ियाघर में 300 से अधिक वन्यजीव हैं, जिनमें से कई को विशेष निगरानी में रखा गया है। वन्यजीवों की औसत उम्र जंगल में 10-12 वर्ष और चिड़ियाघर में 14-16 वर्ष होती है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में उम्रदराज वन्यजीवों की संख्या कम नहीं हो रही है। मैलानी की मौत के बाद अभी भी नारद समेत 16 वन्यजीव ऐसे है जो 10 से 20 वर्ष के हो चुके है। जबकि इन वन्यजीवों की अधिकतम उम्र 12 से 23 वर्ष के बीच ही होती है।
इन्हें विशेष निगरानी और चिकित्सकी व्यवस्था की जरूरत है। चार वर्ष पहले वर्ष 2021 में उद्यान की शुरुआत के समय देश के विभिन्न चिड़ियाघरों से कई को लाया गया था। इधर मार्च से अब तक बर्ड फ्लू या अन्य कारणों से सात वन्यजीवों की मौत ने चिड़ियाघर प्रबंधन की चिंता बढ़ा दी है।
चिड़ियाघर में इस समय 300 से अधिक वन्यजीव है। इसमें 16 वन्यजीव ऐसे हैं, जो अपने उम्र के अंतिम पड़ाव पर है। इनमें प्रमुख रूप से: सफेद बाघिन गीता (11 वर्ष), तेंदुआ नारद (14 वर्ष), तेलीपुरा से रेस्क्यू दो तेंदुए (12-12 वर्ष), महेशपुर से रेस्क्यू तेंदुआ (13 वर्ष), चांदपुर से रेस्क्यू तेंदुआ (10 वर्ष), भेड़िया भैरव (11 वर्ष), भालू शालीनी (20 वर्ष), फिशिंग कैट (14 वर्ष), जंगली बिल्ली लूसी (13 वर्ष), गोल्डेन सियार काजू व किसमिश (11 व 12 वर्ष) और लकड़बग्घा अर्जुन (12 वर्ष) हैं।
वहीं मार्च 2025 से अब तक जिन सात वन्यजीवों की मौत हुई, उनमें 30 मार्च को पीलीभीत से लाया गया बाघ केसरी, पांच मई को मादा भेड़िया भैरवी, सात मई को बाघिन शक्ति, आठ मई को तेंदुआ मोना, 23 मई को काकाटील पक्षी और पांच अक्टूबर को इटावा से लाया गया बब्बर शेर भरत और 12 नवंबर को बाघिन मैलानी शामिल हैं। इसमें दो के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी।
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उम्र ज्यादा होने से वह संक्रमण को झेल नहीं सकें और मौत हो गई। जबकि अन्य को रेस्क्यू कर लाया गया था। इसके अलावा शेरनी मैलानी भी बर्ड फ्लू से संक्रमित हुई थी, सही होने के बाद उम्र ज्यादा होने से इसका लिवर और किडनी काम करना बंद कर दिया था।
चिड़ियाघर के शुभारंभ अवसर पर इसे लखनऊ से लाया गया था। उप निदेशक डा. योगेश ने बताया कि वन्यजीवों की औसत उम्र जंगल में 10 से 12 वर्ष और चिड़ियाघरों में 14 से 16 वर्ष होती है। विशेष प्रजातियों जैसे भालू की उम्र 23 से 25 वर्ष तक मानी जाती है। उम्रदराज वन्यजीवों को विशेष निगरानी में रखा गया है।

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