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    Gorakhpur News: साल के अंतिम दौर में जागी जिला पंचायत, अब शुरू हो रहे कार्य

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 12:18 PM (IST)

    गोरखपुर जिला पंचायत साल के अंतिम दौर में सक्रिय हो गई है और विकास कार्यों को शुरू करने जा रही है। पंचायत अब ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने ...और पढ़ें

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    गोरखपुर जिला पंचायत। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। विकास कार्यों को लेकर जिला पंचायत की सुस्ती सवालों के घेरे में है। वित्तीय वर्ष 2025–26 के लिए 48 करोड़ रुपये का बजट होने के बावजूद जमीनी स्तर पर विकास कार्यों की रफ्तार बेहद धीमी नजर आ रही है। हालात यह हैं कि पूरे साल निष्क्रिय रहने के बाद जिला पंचायत साल के अंतिम समय में अचानक सक्रिय हुई और अक्टूबर माह से टेंडर निकालने व कार्य शुरू कराने की प्रक्रिया तेज की गई। विभाग तो 100 प्रतिशत कार्यों का टेंडर निकाल दिए जाने का दावा कर रहा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार अभी 25 प्रतिशत कार्य की टेंडर प्रक्रिया बाकी है।

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    जिला पंचायत का दावा है कि सभी कार्यों की मौजूदा प्रगति 25 से 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है। कुछ स्थानों पर तो अभी तक काम शुरू भी नहीं हुआ है। क्योंकि इनके टेंडर की प्रक्रिया पूरे हुए ही पखवारे भर का समय बीता है। बाकी बचे कार्यों का भविष्य पूरी तरह बजट जारी होने की समय-सीमा पर निर्भर बताया जा रहा है।

    विभाग की दलील है कि वर्ष 2025–26 का कुल बजट 48 करोड़ रुपये का है, जिसमें से लगभग 6 करोड़ रुपये कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर खर्च होने हैं। शेष 42 करोड़ रुपये विकास कार्यों के लिए निर्धारित हैं। इस बजट का आधा हिस्सा राज्य वित्त आयोग और आधा हिस्सा 15वें वित्त आयोग से मिलता है। राज्य वित्त आयोग से हर महीने धनराशि प्राप्त होती है, जबकि केंद्रीय वित्त (15वां वित्त) से छह महीने में एक बार।

    प्रशासन के अनुसार केंद्रीय वित्त आयोग के हिस्से का बजट करीब एक माह पहले मिला, वह भी पूरा नहीं। अपेक्षित राशि की तुलना में केवल लगभग 11 करोड़ रुपये ही प्राप्त हो सके। इस वजह से भी कुछ कार्यों के टेंडर जारी करने और कार्य शुरू कराने में देरी हुई। हालांकि सवाल यह है कि क्या बजट की प्रतीक्षा ही विकास कार्यों में देरी का एकमात्र कारण है?

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    जिला पंचायत द्वारा ज्यादातर सीसी रोड, छोटी पुलिया और नाला-नाली निर्माण जैसे परंपरागत कार्य कराए जाते हैं। इसके अलावा पंचायतों से हैंडओवर का आश्वासन मिलने पर कुछ स्थानों पर ओपन जिम का निर्माण भी कराया जा रहा है। मगर कार्यों की गुणवत्ता, समयबद्धता और निगरानी को लेकर स्थिति संतोषजनक नहीं दिखती। कार्य शुरू होने में देरी और ठीकेदारों की सुस्ती पर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

    दुकानों, मानचित्रों से सालाना एक करोड़ की आय
    आय के मोर्चे पर भी जिला पंचायत की तस्वीर उत्साहजनक नहीं है। वर्तमान में जिला पंचायत के पास 320 दुकानें हैं, जिनसे सालाना लगभग 50 लाख रुपये की आय होती है। वहीं जिला पंचायत क्षेत्र में मानचित्र और ले-आउट स्वीकृति से करीब 50 से 60 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी होती है। कुछ स्थानों पर विभाग और दुकानों का निर्माण करा रहा है।


    सभी कार्यों के टेंडर जारी कर दिए गए हैं। कार्यों की प्रगति भी संतोषजनक है। अक्टूबर में भले ही टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन, काम निर्धारित समय पर पूरा हो जाएगा। इसकी नियमित निगरानी की जा रही है। जिला पंचायत का फोकस आय बढ़ाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर है। जिला पंचायत बांसगांव में 186 दुकानों का निर्माण करा रही है। इसी तरह उनौला में कांप्लेक्स बनाया जा रहा है। झंगहा में भी निर्माण चल रहा है। गगहा में दुकानें बनार्ई जा रही हैं। आय के अन्य श्रोत विकसित करने पर भी मंथन चल रहा है।

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    - साधना सिंह, अध्यक्ष, जिला पंचायत