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    Railways News: होली से माउस के इशारे से चलने लगेंगी गोरखपुर की ट्रेनें, खत्म हो जाएगी रेलवे स्टेशन की यह बड़ी समस्या

    Updated: Thu, 13 Feb 2025 08:36 PM (IST)

    होली से गोरखपुर की ट्रेनें माउस के इशारे से चलेंगी। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से सिग्नल और प्वाइंट बनेंगे जिससे दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा और समय पालन में सुधार होगा। यार्ड रिमाडलिंग और नॉन इंटरलॉकिंग के दौरान यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। गोरखपुर जंक्शन पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग (ईआइ) सिस्टम लगाया जाएगा। बोर्ड की अनुमति मिलते ही रिमाडलिंग का कार्य आरंभ हो जाएगा।

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    इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम के लिए लगाया गया सिग्नल सिस्टम। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। होली पर्व से गोरखपुर की ट्रेनें भी कंप्यूटर माउस के इशारे से चलने लगेंगी। माउस से ही रेलवे स्टेशन यार्ड के सिग्नल और प्वाइंट बनेंगे। सिग्नल और प्वाइंट फेल होने की समस्या तो समाप्त होगी ही, अधिक से अधिक ट्रेनें भी चलाई जा सकेंगी। गाड़ियों का परिचालन भी तेज होगा।

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    ट्रेनों की रफ्तार बढ़ने के साथ समय पालन भी दुरुस्त होगा। दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। स्टेशन यार्ड में रेल लाइन, प्वाइंट और सिग्नल सिस्टम में सुविधा के अनुसार बदलाव किया जा सकेगा। इसके लिए गोरखपुर जंक्शन पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग (ईआइ) सिस्टम लगाया जाएगा।

    रेलवे स्टेशन की यार्ड रिमाडलिंग और नान इंटरलाकिंग के दौरान इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग (एनआइ) सिस्टम लग जाएगा। रेलवे प्रशासन ने रेलवे स्टेशन की यार्ड रिमाडलिंग का प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड को भेज दिया है। बोर्ड की अनुमति मिलते ही रिमाडलिंग का कार्य आरंभ हो जाएगा।

    यार्ड रिमाडलिंग और नान इंटरलाकिंग जल्द आरंभ होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, इस दौरान दर्जनों की संख्या में ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा। यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

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    जानकारों का कहना है कि रेलवे स्टेशन की यार्ड रिमाडलिंग के दौरान इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग और तीसरी रेल लाइन (थर्ड लाइन) की नान इंटरलाकिंग होगी। रेलवे प्रशासन ने थर्ड लाइन के साथ इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम की नान इंटरलाकिंग की तैयारी भी लगभग पूरी कर ली है। नान इंटरलाकिंग के बाद गोरखपुर जंक्शन से गोरखपुर कैंट स्टेशन तक तीसरी रेल लाइन पर ट्रेनों का संचालन आरंभ हो जाएगा। साथ ही जंक्शन पर रूट रिले इंटरलाकिंग पैनल (आरआरआइ) की इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम भी कार्य करने लगेगा।

    इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम के लिए लगाया गया सिग्नल सिस्टम। जागरण


    रूट रिले इंटरलाकिंग पैनल का पुराना भवन उत्तरी गेट पर बने नवनिर्मित भवन में शिफ्ट हो जाएगा। उत्तरी गेट पर प्लेटफार्म नंबर नौ के पास नया भवन बनकर तैयार है। संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यालय भी तैयार हो गए हैं। नए भवन में इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम के लिए सिग्नल और बैट्री आदि लगाए जा चुके हैं।

    सिस्टम का परीक्षण भी आरंभ हो चुका है। नए भवन से ही इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम संचालित की जाएगी। बड़े-बड़े बोर्ड और पैनल की जगह कंप्यूटर सिस्टम ले लेंगे। मैनुअल कार्य पूरी तरह डिजिटल प्लेटफार्म पर आ जाएगा। स्टेशन मास्टर के हाथ बटन की जगह माउस पर होंगे।

    गोरखपुर जंक्शन से ही कंट्रोल होंगी ट्रेनें, एक क्लिक से तैयार होगा रूट

    पूर्वोत्तर रेलवे के स्टेशनों पर तेजी के साथ रूट रिले इंटरलाकिंग पैनल की जगह इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लग जाने से स्टेशन मास्टर और कंट्रोलर पैनल की जगह हाईटेक एलईडी स्क्रीन पर यार्ड प्लान तथा एक क्लिक से ट्रेनों का रूट बना सकेंगे।

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    गोरखपुर जंक्शन सहित बड़े स्टेशनों से ट्रेनें कंट्रोल होंगी। इसके लिए गोरखपुर जंक्शन पर कियोसन और मेधा नाम का एडवांस सिग्नल लग रहा है। जापानी तकनीक से तैयार इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लगाने के साथ सिग्नल एवं दूरसंचार प्रशिक्षण केंद्र गोरखपुर में प्रशिक्षण की व्यवस्था भी शुरू हो गई है।

    प्रशिक्षण केंद्र में चार करोड़ की लागत से इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लगाया गया है। आने वाले दिनों में पूर्वोत्तर रेलवे के सभी 505 स्टेशनों पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम कार्य करने लगेगा। सभी रूटों पर अधिक से अधिक ट्रेनें अधिकतम 110 की जगह 130 की गति से संचालित होने लगेंगी।