Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोरखपुर में बढ़ रहा कुत्तों का आतंक, ABC सेंटर का संचालन ठप

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 10:10 AM (IST)

    गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से नागरिक परेशान हैं। एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) का संचालन पीआरसी न होने से ठप है, जिससे बंध्याकरण और टीकाकरण का काम रुका हुआ है। प्रजनन काल होने से कुत्तों की संख्या में वृद्धि हुई है और एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एबीसी कार्यक्रम तेज करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सेंटर की निष्क्रियता से शिकायतें बढ़ रही हैं।

    Hero Image

    कोतवाली रोड पर सड़क पर घुमते कुत्ते। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। नगर निगम क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और नागरिकों की लगातार शिकायतों के बीच गुलरिहा वार्ड के अमवा में बना एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) इन दिनों ठप पड़ा हुआ है। सेंटर के संचालन के लिए चयनित पीलीभीत की संस्था सोसाइटी फार ह्यूमन एंड एनिमल वेलफेयर को अभी तक एनिमल वेलफेयर बोर्ड आफ इंडिया (एडब्लूबीआइ) से प्रोजेक्ट रिकग्निशन सर्टिफिकेट (पीआरसी) नहीं मिला है। शासनादेश के अनुसार बिना पीआरसी के किसी भी चयनित संस्था को नगर निगम वर्क आर्डर जारी नहीं कर सकता, इसी कारण बंध्याकरण और टीकाकरण का काम 9 सितंबर से बंद है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सूत्रों के अनुसार, पीआरसी के अभाव में संस्था किसी तरह का विधिक काम नहीं कर सकती। शासन ने 30 जून, 2024 को जारी आदेश में स्पष्ट कहा था कि एबीसी संचालन की जिम्मेदारी देने से पहले फर्म का प्रोजेक्ट रिकग्निशन सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा। पीआरसी मिलने की प्रक्रिया भी कई चरणों में होती है। पहले संस्था आवेदन करती है, फिर एडब्लूबीआइ की टीम एबीसी सेंटर का निरीक्षण कर संसाधनों का आकलन करती है, उसके बाद ही प्रमाणन जारी होता है। यह प्रमाणन तीन वर्षों के लिए मान्य रहता है।

    फर्म का कहना है कि उसने आवेदन कर दिया है और 15–20 दिनों में पीआरसी मिलने की उम्मीद है, लेकिन जब तक प्रमाणन नहीं मिलता, नगर निगम वर्क आर्डर जारी नहीं कर सकता और न ही संस्था नियमित रूप से कुत्तों को पकड़ने या बंध्याकरण का कार्य कर सकती है।

    उधर, अगस्त से अक्टूबर तक तक कुत्तों का प्रजनन काल होने की वजह से इनकी संख्या बहुत बढ़ गई है। रोजाना जिला अस्पताल में 250 से 300 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने पहुंच रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2023 में आवारा कुत्तों की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर टिप्पणी करते हुए देश भर की नगर निकायों को एबीसी कार्यक्रम तेज करने के निर्देश दिए थे।

    यह भी पढ़ें- गोरखपुर में दुर्घटनाओं पर लगेगा अंकुश, 14 थाना क्षेत्र में सबसे अधिक होते हैं हादसे

    कोर्ट ने कहा था कि कुत्तों को पकड़ने, बंध्याकरण और एंटी-रेबीज टीकाकरण की प्रक्रिया वैज्ञानिक, मानवीय और निरंतर होनी चाहिए। साथ ही स्कूल, कालेज, अस्पताल, धार्मिक स्थल समेत सार्वजनिक स्थानों से प्राथमिकता के आधार पर कुत्ते हटाए जाने थे। इसके बावजूद गोरखपुर में एबीसी सेंटर की निष्क्रियता से हालात बिगड़ रहे हैं।

    राजनीतिक प्रतिनिधि, पार्षद और आम नागरिकों की रोजाना शिकायतें नगर निगम तक पहुंच रही हैं। दबाव बढ़ने पर निगम अधिकारियों के कहने पर चयनित संस्था की टीम ने अक्टूबर में कुछ कुत्ते पकड़े थे, मगर पीआरसी न होने के कारण उन्हें सिर्फ कुछ दिन एबीसी शेल्टर में रखकर फिर उसी क्षेत्र में छोड़ दिया गया, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। इससे शिकायतकर्ता नाराज होकर आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायतें दर्ज कर रहे हैं।

    एबीसी संचालन के लिए चयनित फर्म ने पीआरसी के लिए आवेदन कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द प्रमाणन मिल जाएगा। इसके बाद संस्था के कर्मियों का प्रशिक्षण कराते हुए नई नियमावली के अनुसार संचालन शुरू कराया जाएगा।

    -

    - प्रमोद कुमार, अपर नगर आयुक्त