UPPCL Smart Meter: गोरखपुर में स्मार्ट मीटर लगने पर भी बिल की समस्या, परेशान हैं उपभोक्ता
गोरखपुर में स्मार्ट मीटर लगने के बाद भी 4 हजार से ज्यादा उपभोक्ता बिजली बिल न बनने से परेशान हैं। राप्तीनगर की विमला देवी का बिल पुराने मीटर की विरोधाभासी रिपोर्ट के चलते अटका है। मोहद्दीपुर के शशांक भी इसी समस्या से जूझ रहे हैं। जीनस कंपनी के अनुसार मीटर बदलने की प्रक्रिया में खामियों और जांच में देरी के कारण बिल बनने में दिक्कत आ रही है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राप्तीनगर के सेमरा नंबर दो की विमला देवी के परिसर में अप्रैल महीने में स्मार्ट बिजली मीटर लगाया गया। 14 अप्रैल को मीटर लगाया गया तो कर्मचारियों ने पुराना मीटर नो डिस्प्ले बताते हुए रिपोर्ट भर दी।
इसके बाद 15 अप्रैल को विमला देवी के पुराने मीटर की दोबारा सीलिंग भरी गई। इसमें पुराने मीटर की रीडिंग 20 हजार 566 दर्ज की गई। एक रिपोर्ट में नो डिस्प्ले और दूसरी में मीटर की रीडिंग दर्ज हो जाने के बाद बिजली निगम के अभियंता अभी पशोपेश में हैं।
इसका परिणाम तो बाद में आएगा लेकिन विमला देवी का अप्रैल से बिजली का बिल नहीं बन पा रहा है। उपभोक्ता के स्वजन अभियंताओं के चक्कर काट रहे हैं।
अभियंता जांच के बाद क्वालिटी कंट्रोल तीन की प्रक्रिया पूरी होने पर स्मार्ट मीटर से बिल बनवाने की बात कह रहे हैं। उपभोक्ता की समस्या है कि यदि एकमुश्त कई महीने का बिल आएगा तो इसे जमा कैसे करेंगे।
सिर्फ विमला ही नहीं मोहद्दीपुर निवासी शशांक के घर पर लगाए गए स्मार्ट मीटर का बिल नहीं बन पा रहा है। मीटर चल रहा है लेकिन बिल न बनने से परेशान हैं। स्मार्ट मीटर लगने के बाद भी बिजली का बिल न आने से जिले के चार हजार से ज्यादा उपभोक्ता परेशान हैं।
इन उपभोक्ताओं के परिसर में लगे पुराने मीटर में गड़बड़ी थी या स्मार्ट मीटर लगाने वाले कर्मचारियों ने सीलिंग में सही जानकारी नहीं दी है। इसकी जांच के नाम पर बिल बनाने की प्रक्रिया लटक जा रही है।
जीनस कंपनी के मैनेजर राकेश सिंह ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने के साथ ही खराब मीटर संबंधित कार्यालय में उपलब्ध कराने की प्रक्रिया की जाती है।
तीन चरणों में पूरी होती है प्रक्रिया
परिसर में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने और बिजली निगम के मीटर डाटा मैनेजमेंट सिस्टम (एमडीएमएस) पर दर्ज करने की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाती है। पहले चरण को क्वालिटी कंट्रोल वन कहते हैं।
इसमें परिसर में स्मार्ट बिजली मीटर लगाया जाता है और इसे सिस्टम में दर्ज कर आपूर्ति शुरू कराई जाती है। दूसरे चरण में पुराने मीटर की रीडिंग दर्ज करने या उसकी स्थिति को दर्ज करते हुए सीलिंग सर्टिफिकेट जारी किया जाता है पुराने मीटर की रीडिंग की फोटो आनलाइन अपलोड की जाती है।
इसके बाद यह सूचना बिजली निगम के अभियंता के पास आनलाइन पहुंच जाती है। अभियंता मीटर रीडिंग का सत्यापन कर डाटा दर्ज करते हैं। इसके बाद बिल बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। हर महीने की पहली तारीख को स्मार्ट मीटर बिजली का बिल बनाकर संदेश उपभोक्ता के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजता है।
खराब मीटर बन रहे परेशानी का सबब
जिन परिसर में मीटर खराब हैं उनको बदलकर स्मार्ट मीटर तो लगा दिया जा रहा है लेकिन जांच में देर होने के कारण बिजली का बिल नहीं बन पा रहा है। कई मामलों में मीटर रीडिंग में अंतर भी जांच की वजह बन रहा है।
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