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    गोरखपुर में सड़क सुरक्षा के दावे खोखले, फोरलेन पर अंधेरा, सफेद पट्टी व संकेतक गायब

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 08:36 AM (IST)

    गोरखपुर में सड़क सुरक्षा के दावों की पोल खुल गई है। शहर के फोरलेन पर अंधेरा छाया हुआ है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। सफेद पट्टी और संकेतक गाय ...और पढ़ें

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    गोरखपुर-सोनौली फोरलेन पर नयनसर टोल प्लाजा के निकट ब्लैक स्पाट पर नहीं लगी है लाइट। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। सड़क सुरक्षा, पथ प्रकाश और निगरानी व्यवस्था को लेकर जिले में किए जा रहे दावे हकीकत से कोसों दूर नजर आ रहे हैं। कहीं वर्षों से स्ट्रीट लाइटें नहीं जल रही हैं तो कहीं डिवाइडर निर्माण के लिए सड़क पर गड्ढे छोड़ दिए गए हैं। कई स्थानों पर कट के पास न तो संकेतक बोर्ड लगे हैं और न ही सफेद पट्टियां बनाई गई हैं।

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    फोरलेन सड़कों पर बने पुलों की स्थिति भी चिंताजनक है। पुल पर चढ़ने या बाएं से दाहिने जाने के लिए कहीं भी दिशा सूचक संकेतक बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। यह हाल तब है, जब ठंड शुरू होने से पहले सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में ब्लैक स्पाट चिह्नित हुए थे और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए योजनाएं बनाई गई थीं। लेकिन, योजनाओं का असर जमीन पर नजर नहीं आ रहा है।

    इसी बीच घना कोहरा भी शुरू हो गया है, जिससे दृश्यता और कम हो गई है। ऐसे हालात में सड़क दुर्घटनाओं की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। बुधवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में यह सच्चाई सामने आई कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी लगातार जारी है, जिससे राहगीरों और वाहन चालकों की जान जोखिम में पड़ रही है।

    गोरखपुर-देवरिया फोरलेन पर चौरी पुलिया के पास के स्थल को ब्लैक स्पाट के रूप में जाना जाता है। यहां पर बने कट पर आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। इसे रोकने के लिए कोई कवायद नहीं हुई। इसी तरह चौरी कट के पास भी दुर्घटनाएं होती हैं। वाहनों की तेज रफ्तार के बीच दिन में टक्कर होने की आशंका बनी रहती है। रात के अंधेरे और घने कोहरे में यह आशंका दुर्घटना में बदल जाती है।

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    गोरखपुर-देवरिया फोरलेन पर चौरी के पास बने कट पर नहीं है संकेतक व निशान। जागरण


     

    हर वर्ष का आंकड़ा यह बताता भी है। इसी मार्ग पर निबिहवा पुल पर दोनों तरफ से चढ़ने और उतरने पर दुर्घटना होने का खतरा बना है। देवरिया की तरफ से आने वाले वाहनों को पुल पर चढ़ने के लिए बाएं से दाहिने तरफ जाना होता है। संकेतक न होने से दिन के उजाले में वाहन चालकों को पुल पर जाने का रास्ता दिखता है। लेकिन, रात के अंधेरे व घने कोहरे में चालक वाहन को पुल पर न ले जाकर सीधे चले जाते है और दुर्घटना के शिकार हो जाते है। हर वर्ष इसे सही करने की मांग उठती, लेकिन अधिकारियों के कानों तक नहीं पहुंचती।

    गोरखपुर-सोनौली फोरलेन पर कैंपियरगंज से फरेंदा जाने वाला फोरलेन जंगलों से होकर गुजरता है, लेकिन पूरे मार्ग पर पथ प्रकाश की व्यवस्था है न सीसी कैमरे लगे हैं। फरेंदा की तरफ से आने पर कस्बे में बने पुल को भी राहगीरों को अंधेरे में पार करना होता है। घने कोहरे में चालक वाहन को लेकर पुल की रेलिंग से टकरा जाए या उसके नीचे चला जाए आशंका बनी रहती है।

    महावनखोर के सोकनी तिराहे पर कार्यदायी संस्था ने फोरलेन पर गड्ढा छोड़ रखा है। तेज रफ्तार में वाहन का पहिया गड्ढे में जाने से पलटने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा फोरलेन से कई लिंक मार्ग भी जुड़े है, संकेतक बोर्ड के नहीं होने से वाहनों के टकराने की आशंका रहती है। नयनसर टोल प्लाजा के निकट ब्लैक स्पाट है।

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    गोरखपुर-सोनौली फोरलेन पर कैम्पियरगंज में बने पुल पर लाइट न होने से अंधेरा। जागरण


     

    लाइट की व्यवस्था नहीं होने से चालकों को कोहरे में अंदाजे से मार्ग को पार करना पड़ता है। जबकि दो माह पूर्व इस जगह पर तीन चार पहिया वाहन एक दूसरे से टकराकर पलट गए थे। जिसमें पीपीगंज के व्यापारी पुत्र आदर्श वर्मा व उसके दोस्त रोहन कन्नौजिया की मौत हो गई थी।

    10 किमी लंबे चिउटहा-कालेसर फोरलेन पर लाइटें लगी है, लेकिन वर्षों से खराब है। राहगीरों को अंधेरे में सफर पूरा करना होता है। लेकिन घने कोहरे में इस मार्ग पर सफर करना कठिन है।

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    पिपराइच और खोराबार क्षेत्र में एनएच-28 के कोनी तिराहा और बसडीला गांव के पास लाइट न होने से आए दिन दुर्घटनाएं होती है हैं। निर्माणाधीन ओवरब्रिज के चलते और अधिक खतरा बना हुआ है। पीपीगंज क्षेत्र के जंगल कौड़ियां से बंजरा टोला तक फोरलेन पर कई स्थानों पर हादसे होते हैं। पुलिस, प्रशासन और एनएचआइ को जानकारी होने के बाद भी सही कराया गया न लाइट की व्यवस्था की गई।

    गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन मार्ग पर लाइटें लगी हैं, लेकिन, अधिकतर खराब हैं। कसिहार से कौड़ीराम के बीच तीन किलोमीटर में स्ट्रीट लाइट अभी तक नहीं लगी है, जिससे अंधेरे में आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। व्यस्त मार्ग होने के बाद भी स्थानीय लोगों को रात में इधर से गुजरने में डर लगता है।

    कसिहार में अंडरपास न होने से सड़क पार करते समय वर्ष भर में आधा दर्जन से अधिक मौतें हो चुकी हैं। डवरपार और हाटा गांव मोड़ जैसे कई स्थानों पर भी अंधेरे और अंडरपास की कमी से हादसे होते रहते हैं। वहीं गोला से बड़हलगंज, खजनी से उरुवा समेत रामजानकी मार्ग निर्माणाधीन है।