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    UP Panchayat Election: वोटरों को दर्शन करा खुद 'आशीर्वाद' पाने में जुटे दावेदार, वोटरों को साधने में जुटे प्रधानी के दावेदार

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 12:24 PM (IST)

    गोरखपुर में प्रधानी चुनाव की तैयारी जोरों पर है। प्रत्याशी माता रानी के दर्शन कराकर मतदाताओं को रिझाने में जुटे हैं। मंदिरों में भंडारे और आरती का आयोजन किया जा रहा है। कुछ उम्मीदवार गांव की समस्याओं का समाधान करा रहे हैं। दर्शन कराने के बहाने वोटों के समीकरण को साधने का प्रयास किया जा रहा है।

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    माता रानी के दर्शन कराने के बहाने गांव-गांव वोटरों को साधने की जुगत में जुटे प्रधानी के दावेदार।-जागरण

    अरुण चन्द, जागरण, गोरखपुर। आगामी प्रधानी चुनाव की आहट ने गांव-गांव का माहौल गरमा दिया है। दावेदार अपने-अपने तरीकों से वोटरों तक पहुंच बनाने में जुटे हैं। इस बार आस्था भी चुनावी जुगत का अहम हिस्सा बन गई है। कई संभावित प्रत्याशी माता रानी के दर्शन कराने के बहाने ग्रामीणों का दिल और वोट दोनों साधने में लगे हुए हैं।

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    चुनावी समीकरण को देखते हुए दक्षिणांचल का मिनी बैंकाक कहे जाने वाले गोला, बड़हलगंज, गगहा, बांसगांव और खजनी क्षेत्र के कई गांवों में दावेदारों ने नवरात्र को लेकर विशेष तैयारी कर रखी है। यहां पहले दिन से ही अलग-अलग ग्रुप में महिलाओं और बुजुर्गों को शक्तिपीठों, देवी मंदिरों के दर्शन के लिए भेजा जा रहा है।

    ग्रामीणों को ले जाने-ले आने के लिए कोई खुद की गाड़ी लगाए हुए हैं तो किसी ने बसें बुक कर रखी हैं। कई जगहों पर दावेदारों ने मंदिरों और धर्मस्थलों पर भंडारे का आयोजन शुरू कर दिया है। इस दौरान चढ़ावे से लेकर प्रसाद तक की व्यवस्था प्रत्याशी स्वयं करा रहे हैं।

    कुछ दावेदारों ने तो मंदिरों में नियमित आरती और भंडारे की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ले ली है। रोज शाम आरती के वक्त उनका पूरा परिवार मंदिर में मौजूद होता है। भंडारे में जुटने वाली भीड़ दरअसल उनका चुनावी गणित मजबूत करने का जरिया बन रही है।

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    इसके अलावा, कुछ प्रत्याशी गांव की बुनियादी समस्याओं को अपने खर्च पर सुलझाने की कोशिश में जुट गए हैं। कहीं नाली सफाई कराई जा रही है तो कहीं टूटी सड़कों की मरम्मत कराई जा रही है। कई दावेदार हैंडपंपों की मरम्मत से लेकर बिजली कनेक्शन दुरुस्त कराने तक का जिम्मा उठा रहे हैं।

    कुल मिलाकर, प्रधानी चुनाव से पहले आस्था की शक्ति को हथियार बनाकर प्रत्याशी मैदान में सक्रिय हो चुके हैं। दर्शन कराने के बहाने, सेवा और श्रद्धा का यह मेल वोटों के समीकरण को कितना साध पाएगा, यह तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे, लेकिन फिलहाल ग्रामीणों के बीच मातारानी के जयकारों के बीच दावेदारों की अचानक बढ़ी श्रद्धा चर्चा में जरूर है।