Gorakhpur NEET Student Murder: पशु तस्करी में पिछले 10 वर्ष में कौन गया जेल, हो रही छानबीन
गोरखपुर जोन में एडीजी मुथा अशोक जैन ने पशु तस्करों के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया है। अब तस्करों के मददगारों और नेटवर्क पर भी कार्रवाई होगी। पिछले 10 वर्षों में जेल गए तस्करों का सत्यापन होगा और हाईवे पर तैनात पुलिसकर्मियों की भूमिका भी जांची जाएगी। पुलिस कप्तान को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं और तस्करी मार्गों पर नाकेबंदी की जाएगी।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पिपराइच के महुआचाफी में छात्र दीपक गुप्ता की हत्या के बाद गोरखपुर जोन की पुलिस हरकत में आ गई है। एडीजी जोन मुथा अशोक जैन ने पशु तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए विशेष अभियान शुरू कराया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि अब सिर्फ तस्करों पर ही नहीं, बल्कि उनके मददगारों और नेटवर्क को भी खंगाला जाएगा। यहां तक कि जो पुलिसकर्मी वर्षों से हाईवे पर तैनात हैं, उनकी भूमिका भी जांची जाएगी।
एडीजी जोन ने साफ कहा है कि पिछले 10 वर्ष में जिन तस्करों को जेल भेजा गया, उनका सत्यापन होगा। जेल से छूटकर कौन फिर से इस धंधे में उतरा, इसकी पूरी छानबीन होगी।पुलिस कप्तान को निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई पुलिसकर्मी नेटवर्क से जुड़ा मिला तो उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करें।
पशु तस्करी के हर रास्ते की मैपिंग कर लें।बिहार से लेकर शहर तक हर एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर नाकेबंदी के नए सिरे से इंतजाम होंगे। क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की टीमें तस्करों की कुंडली खंगाल रही है।
तस्करों के विरुद्ध दर्ज मुकदमों की समीक्षा में देखा जाएगा कि कितने लोगों पर मुकदमे चले, किस पर गैंग्सटर की कार्रवाई हुई और किसकी हिस्ट्रीशीट खुली। खासकर वे तस्कर, जो जेल से बाहर आकर फिर से सक्रिय हो गए हैं, उनके विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई होगी।
आठ माह के भीतर जोन में हुई कार्रवाई का आंकड़ा :
- गोवंश व पशु क्रूरता अधिनियम के तहत 162 मुकदमे दर्ज हुए।
- 521 तस्कर चिन्हित हुए, इनमें से 440 की गिरफ्तारी हुई।
- 89 पर गुंडा एक्ट, 152 पर गैंग्सटर एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ।
- 1.30 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कराया।60 की हिस्ट्रीशीट खुली।
- अभियान में 990 पशु बरामद हुए, तस्करों के 124 वाहन पकड़े गए।
- इस अवधि में 39 मुठभेड़ हुए जिसमें 52 तस्कर घायल,6 पुलिसकर्मी भी जख्मी।
- मुठभेड़ में 73 तस्कर गिरफ्तार, उनके पास से एक ट्रक, एक पिकअप और पांच असलहे बरामद।
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एडीजी की कार्ययोजना :
- राजपत्रित अधिकारियों की टीम बनाकर गिरफ्तार तस्करों से गहन पूछताछ हो।
- नाकेबंदी के दौरान फील्ड टैक्टिक्स का इस्तेमाल करते हुए तस्करों की घेराबंदी की जाए।
- जेल से छूटे तस्करों की गतिविधियों पर विशेष निगरानी रखी जाए।
- वांछित अभियुक्तों की गिरफ्तारी न होने पर कुर्की की कार्रवाई हो।
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