पूर्वोत्तर रेलवे में बिना गार्डों के दौड़ रहीं मालगाड़ियां, गुड्स लोको पायलटों का भी टोटा
पूर्वोत्तर रेलवे में गार्ड और लोको पायलटों की भारी कमी है जिससे मालगाड़ियां बिना गार्ड के दौड़ रही हैं। वाराणसी और लखनऊ मंडल में सैकड़ों पद खाली हैं जिससे कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है। कर्मचारी संगठनों ने नई भर्ती की मांग की है। उनका आरोप है कि रेलवे प्रशासन की उदासीनता के कारण संरक्षा खतरे में है और सरकार रेलवे को निजी हाथों में सौंपना चाहती है।

प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण संवाददाता, गोरखपुर। देवरिया-बैतालपुर स्टेशन के बीच 15 सितंबर को अप बीसीएन एचएल नंबर की मालगाड़ी दो पार्ट में बंट गई। संयोग अच्छा रहा कि मालगाड़ी का प्रेशर ड्राप हो गया और ट्रेन रुक गई। ट्रेन पार्टिंग के बाद मामला प्रकाश में आया कि मालगाड़ी बिना गार्ड (ट्रेन मैनेजर) के चल रही थी। 28 जनवरी को नूनखार के स्टेशन मास्टर ने
मेमो जारी कर प्वाइंट मैन को गार्ड के रूप में 05120 नंबर की ट्रेन को लेकर गौरी बाजार जाने का आदेश जारी कर दिया था। जनवरी ही नहीं फरवरी में भी बिना गार्ड के यात्री ट्रेनों के चलने का मामला प्रकाश में आया।
यात्री ट्रेनें ही नहीं अब पूर्वोत्तर रेलवे की मालगाड़ियां भी बिना गार्डों के दौड़ रही हैं। गार्ड ही नहीं लोको पायलटों के पद भी खाली चल रहे हैं, लेकिन न नई तैनाती हो रही और न संरक्षा का संज्ञान लिया जा रहा। इसको लेकर रनिंग स्टाफ और कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है।
जानकारों का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी और लखनऊ मंडल में गार्डों की भारी कमी है। वाराणसी मंडल में गार्डों के 272 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 176 पद पर ही गार्ड तैनात हैं। 96 गार्डों की कमी चल रही है। जिसमें सर्वाधिक गुड्स गार्ड के 72 पद खाली हैं।
यही स्थिति लखनऊ मंडल की है। लखनऊ में गार्डों के 491 पद खाली हैं। जिसमें 428 पद पर ही गार्ड तैनात हैं, 72 पद खाली हैं। गुड्स गार्ड के सर्वाधिक 63 पद खाली हैं। लोको पायलटों की संख्या भी पर्याप्त नहीं हैं।
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वाराणसी मंडल में पिछले वर्ष तक गुड्स लोको पायलटों के 353 पद स्वीकृत थे, जिसमें 313 पर तैनाती है। 40 पद खाली चल रहे हैं। लखनऊ मंडल में भी गुड्स लोको पायलटों के 487 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 374 पद पर ही लोको पायलट की नियुक्ति है। 113 पद खाली हैं।
लोको पायलटों और गार्डों के रिक्त पदों पर तैनाती को लेकर आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन और आल इंडिया गार्ड काउंसिल रेलवे प्रशासन, बोर्ड और मंत्रालय पर लगातार दबाव बना रहा है।
पदाधिकारियों ने चार सितंबर को महाप्रबंधक कार्यालय पर धरना देकर लोको पायलट व गार्ड का री- इंगेजमेंट का आदेश रद्द कर नई नियुक्ति करने की मांग की। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता कहते हैं कि यह सिर्फ संरक्षा व सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि विभागीय पदोन्नति व सीधी भर्ती को लेकर रेलवे बोर्ड और रेलवे प्रशासन की उदासीनता को भी दर्शाता है।
यही स्थिति रही तो कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। रेलवे बोर्ड न नई भर्ती कर रहा और न रेलवे प्रशासन स्थानीय स्तर पर पढ़े-लिखे कर्मचारियों को गार्ड, लोको पायलट और स्टेशन मास्टर के पदों पर पदोन्नति दे रहा। सरकार रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की साजिश रच रही है।
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