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    करंट लगने से युवती की मौत मामले में बड़ा एक्शन, राप्तीनगर के SDO- JE और टेक्नीशियन निलंबित

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 04:57 PM (IST)

    गोरखपुर के मोगलहा में करंट लगने से युवती की मौत के मामले में राप्तीनगर के एसडीओ जेई और एक तकनीशियन को निलंबित कर दिया गया है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने यह कार्रवाई की है। साथ ही छह निविदाकर्मियों को भी बर्खास्त कर दिया गया है। दैनिक जागरण की खबर के बाद चेयरमैन ने जांच के आदेश दिए थे जिसके बाद यह कार्रवाई हुई।

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    राप्तीनगर के एसडीओ, मेडिकल कॉलेज के जेई निलंबित।

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राप्तीनगर खंड से जुड़े मेडिकल कालेज उपकेंद्र के मोगलहा में करंट से युवती की मृत्यु के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। राप्तीनगर के एसडीओ भानु प्रताप, मेडिकल कालेज उपकेंद्र के जेई दुर्गा प्रसाद और मेडिकल कालेज उपकेंद्र के तकनीशियन ग्रेड टू जयंत गौतम को निलंबित कर दिया गया है।

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    निलंबन की कार्रवाई पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शंभू कुमार ने जारी किया। राप्तीनगर के अधिशासी अभियंता अभिषेक कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही मेडिकल कालेज उपकेंद्र के छह निविदाकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है।

    बिजलीकर्मियों की साठगांठ से छत के ऊपर 11 हजार वोल्ट की लाइन गुजरने के बाद भी शटडाउन लेकर लेंटर लगाया गया था। दैनिक जागरण ने सबसे पहले प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान लेते हुए चेयरमैन डा. आशीष गोयल ने जांच के निर्देश दिए थे।

    यह निविदाकर्मी किए गए हैं बर्खास्त

    राहुल गोस्वामी, विशाल मिश्र, गौरीशंकर, शिवम चौहान, संजय साहनी, सब स्टेशन आपरेटर राघवेंद्र कुमार सिंह

    यह है मामला

    राजी सेमरा नंबर दो की शिक्षक शशिबाला मौर्या ने मोगलहा के मकान पर पहली मंजिल का काम शुरू कराया था। मकान के ऊपर से गुजर रहे 11 हजार वोल्ट की लाइन के कारण बिजलीकर्मियों ने अवैध रूप से पांच व 11 अगस्त को शटडाउन दिया। इसके बाद छत लगा दी गई।

    यही नहीं तार पर प्लास्टिक की पाइप भी डाल दी गई। यह गलत है, लेकिन पूरा मामला मैनेज हो गया। 14 सितंबर को शशिबाला मौर्या की 18 वर्षीय बेटी साक्षी ऊर्फ प्रज्ञा छत पर गई थी। तार पर प्लास्टिक की पाइप होने के कारण वह करंट के खतरे से अंजान रही।

    बिजलीकर्मियों ने बताया था कि प्लास्टिक होने के कारण करंट नहीं आएगा। इसकी गलतफहमी में वह तार को पार करने लगी कि करंट की चपेट में आ गई। उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। शुरू में बिजली निगम ने इस मामले में लीपापोती की, लेकिन मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में आया तो जांच टीम का गठन किया गया। अधीक्षण अभियंता ग्रामीण द्वितीय दीपक कुमार के नेतृत्व में टीम ने सोमवार से जांच शुरू की। उन्होंने शनिवार को रिपोर्ट दी।

    दैनिक जागरण ने की पड़ताल, खबर पर हुई कार्रवाई

    करंट से युवती की मृत्यु के बाद सभी ने इसे सामान्य घटना मान लिया था। दैनिक जागरण ने मौके पर पड़ताल की तो पता चला छत के तकरीबन चार फीट अंदर और तकरीबन एक फीट ऊपर से 11 हजार वोल्ट की लाइन गुजरी है। इस लाइन पर प्लास्टिक की पाइप भी डाली गई है।

    नियमानुसार 11 हजार वोल्ट की लाइन पर प्लास्टिक की पाइप नहीं डाली जा सकती है। यदि पाइप डाली भी जाती है तो करंट से बचाव नहीं हो सकता है। और तो और पाइप के भार से तार पर प्रभाव भी पड़ता है। दैनिक जागरण ने इस बिंदु को प्रमुखता से प्रकाशित किया और बताया कि अभियंताओं व कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध रूप से शटडाउन देकर छत पर लेंटर लगाया गया है।

    अधीक्षण अभियंता ग्रामीण द्वितीय दीपक कुमार ने जांच की तो हकीकत सामने आ गई। पुष्टि हुई कि पांच अगस्त को छत लगाने के शटरिंग व सरिया बिछाया गया और 11 अगस्त को दोबारा शटडाउन लेकर लिंटर लगाया गया। अभियंताओं को बचाने के लिए बिना जांच रिपोर्ट आए चार निविदाकर्मियों की बर्खास्तगी की संस्तुति कर दी गई, लेकिन प्रबंध निदेशक ने सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर कार्रवाई की।