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    आयुष विश्वविद्यालय में रक्ताल्पता पर होगा शोध, इन बीमारियों पर भी जुटाएंगे जानकारी

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 10:13 AM (IST)

    गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में बीमारियों पर शोध कार्य जल्द ही शुरू होगा क्योंकि विश्वविद्यालय को क्लीनिकल एथिकल कमेटी से मान्यता मिल गई है। रक्ताल्पता पीलिया और बोन मिनरल डेंसिटी पर शोध किया जाएगा। यह राज्य का पहला संस्थान है जिसे आयुर्वेद में क्लीनिकल शोध के लिए मान्यता मिली है। विश्वविद्यालय परिसर को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प भी लिया गया।

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    आयुष विश्वविद्यालय का भ्रमण करकेशोध कार्य को बढ़ाने के संबंध में निर्देश देते हुए कुलपति डा. के रामचंद्र रेड्डी। जागरण

    संवाद सूत्र, भटहट। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में बीमारियों पर शोध कार्य शुरू होने जा रहा है। विश्वविद्यालय को भारत सरकार की क्लीनिकल एथिकल कमेटी से मान्यता मिल गई है। यह जानकारी कुलपति डा. के रामचंद्र रेड्डी ने गुरुवार को महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दी। बताया कि रक्ताल्पता (एनीमिया) के अलावा कामला (पीलिया) और बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) शोध कार्य किया जाएगा।

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    कुलपति ने कहा कि राज्य में यह पहला संस्थान है जिसे आयुर्वेद में क्लीनिकल शोध के लिए मान्यता प्राप्त हुई है। अब राज्य के विभिन्न आयुर्वेद कालेजों में किए जाने वाले शोध कार्यों को भी विश्वविद्यालय पंजीकृत कराएगा और उन्हें सीटीआरआइ (क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री आफ इंडिया) से मान्यता दिलाएगा।

    उन्होंने कहा कि कोई भी शोध जिसमें मानव प्रतिभागियों को शामिल करते हुए दवाओं, शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं, रोग निवारण, जीवन शैली में बदलाव या अन्य आयुष संबंधी परीक्षण किए जाते हैं, उनका सीटीआरआइ में पंजीकरण अनिवार्य है।

    शुरुआती चरण में विश्वविद्यालय पांडू व्याधि (रक्ताल्पता), कामला (पीलिया) और बोन मिनरल डेंसिटी (बीएमडी) पर शोध कार्य करेगा। कुलपति ने बताया कि 17 और 18 अक्तूबर को गोंडा स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में राष्ट्रीय आयुर्वेद संगोष्ठी आयोजित होगी, जिसमें विश्वविद्यालय अपनी प्रमुख भूमिका निभाएगा। इस संगोष्ठी में देशभर से आए विद्वान औषधीय व खनिज द्रव्यों पर विमर्श करेंगे।

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    उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में एनिमल ड्रग रिसर्च सेंटर शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। मान्यता मिलते ही यह देश का अनूठा शोध केंद्र होगा, जहां पशुओं के लिए आयुर्वेदिक पद्धति से दवाओं पर अनुसंधान किया जाएगा। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में आयुर्वेद पद्धति से बीएससी नर्सिंग और डी लिट कोर्स भी शुरू होने वाले हैं। इसके लिए दो अत्याधुनिक लेक्चर थिएटर बनकर तैयार हो चुके हैं।

    विश्वविद्यालय को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प

    गांधी जयंती के मौके पर कुलपति ने चिकित्सकों व कर्मचारियों को विश्वविद्यालय परिसर को प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी स्वच्छता के प्रबल समर्थक थे। ऐसे में परिसर को स्वच्छ और सुंदर बनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

    इस अवसर पर डा. रमाकांत द्विवेदी, डा.लक्ष्मी अग्निहोत्री, शिवांग पति त्रिपाठी, संदीप शर्मा और अवधेश पांडेय सहित अन्य लोग मौजूद रहे।