ऑपरेशन से पूर्व बैठाकर एनेस्थीसिया देने पर कूल्हा टूटे रोगियों को नहीं होगा दर्द, डॉक्टरों ने खोजी तरकीब
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कूल्हा टूटने वाले मरीजों के लिए एक नई तकनीक खोजी है। अब ऑपरेशन से पहले अल्ट्रासाउंड से कूल्हे की स्थिति देखकर एनेस्थीसिया दी जाएगी जिससे मरीजों को दर्द नहीं होगा। डॉक्टरों ने 66 रोगियों पर अध्ययन किया और पाया कि इस तकनीक से ज्यादातर मरीजों को दर्द से राहत मिली।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। जिन रोगियों का कूल्हा टूटा होता है, उन्हें ऑपरेशन से पूर्व रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया (सुन्न करने की दवा) देने के लिए बैठाना पड़ता है। बैठाने पर वे तेज दर्द से कराहने लगते हैं। बीआरडी मेडिकल काॅलेज के एनेस्थीसिया विभाग के डाॅक्टरों ने ऐसी तरकीब खोज निकाली है, जिससे बैठाने पर उन्हें दर्द नहीं होगा।
ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में जाने से पूर्व रोगी को प्री आपरेशन वार्ड में बेड पर लेटे रहने पर ही अल्ट्रासाउंड कर उनके टूटे हुए कूल्हे की सही स्थिति जानी जाएगी। उसके अनुसार एनेस्थीसिया देकर उस नस को सुन्न कर दिया जाएगा, जिसके माध्यम से सूचना मस्तिष्क को जाती है। जब आपरेशन के पूर्व उन्हें रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया देने के लिए बैठाया जाएगा तो दर्द नहीं होगा। इस अध्ययन को यूरोपियन जर्नल इंबेस ने प्रकाशित किया है।
आर्थोपेडिक विभाग में ऑपरेशन के लिए पहुंचने वाले कूल्हा टूटे रोगियों को जब एनेस्थीसिया जाती थी तो बैठाने पर वे चिल्लाने लगते थे। ऐसे में एनेस्थीसिया देने में भी दिक्कत होती थी। इसलिए इस दर्द से रोगियों को निजात दिलाने के लिए विभागाध्यक्ष डाॅ. सतीश कुमार के निर्देशन में डाॅ. कीर्ति सिंह ने 66 रोगियों पर अध्ययन किया।
इन रोगियों को ऑपरेशन थियेटर में जाने से 15 मिनट पूर्व टूटे कूल्हे में एनेस्थीसिया दी गई। उसके बाद उन्हें ओटी में ले जाया गया। जब उन्हें कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न करने के लिए बैठाकर रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया दी गई तो ज्यादातर को कूल्हे में बिल्कुल दर्द ही नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें- BRD मेडिकल कॉलेज से निकाला तो 90 साल के रोगी को सड़क पर लिटाकर लगाया जाम, तब जाकर मिला उपचार
केवल छह रोगियों को हल्का दर्द महसूस हुआ। अब विभाग ने कूल्हा टूटे सभी रोगियों को आूपरेशन थियेटर में जाने से 15 मिनट पूर्व ही टूटे कूल्हे में एनेस्थीसिया देने का निर्णय लिया है।
जब कूल्हा टूटे रोगियों को ओटी में रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया देने के लिए बैठाया जाता था तो वे दर्द से चिल्लाते थे। साथ ही एनेस्थीसिया देने वाले डाक्टर को भी परेशानी होती थी। इसलिए यह अध्ययन किया गया। प्रयोग बहुत कारगर रहा।
-डाॅ. सतीश कुमार, अध्यक्ष एनेस्थीसिया विभाग, बीआरडी मेडिकल काॅलेज
प्री ऑपरेशन वार्ड में टूटे कूल्हे में एनेस्थीसिया दे दी गई। 15 मिनट बाद उस हिस्से का दर्द उन्हें महसूस ही नहीं हो रहा था। तब ओटी में ले जाया गया। जब वहां रीढ़ की हड्डी में एनेस्थीसिया दी गई तो ज्यादातर को कोई दर्द ही नहीं हुआ।
-डाॅ. कीर्ति सिंह, अध्ययनकर्ता
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।