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    गोरखपुर वासियों के लिए खुशखबरी: बाघागाड़ा में रोडवेज का बनेगा बस अड्डा, खोजी जा रही जमीन

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 12:50 PM (IST)

    गोरखपुर के बाघागाड़ा में एक और रोडवेज बस अड्डा बनेगा जिससे शहर को जाम से मुक्ति मिलेगी। जिला प्रशासन जमीन की तलाश कर रहा है। गीडा में भी अंतरराज्यीय बस टर्मिनल बनेगा। गोरखपुर बस स्टेशन पर रोजाना 1300-1400 बसों का आवागमन होता है जिससे जाम लगता है। निजी बसों के लिए भी निर्धारित जगह नहीं है जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोरखपुर के दक्षिणांचल बाघागाड़ा में रोडवेज का एक और बस अड्डा बनेगा। अलग से बस अड्डा तैयार करने के लिए जिला प्रशासन स्तर पर जमीन की तलाश आरंभ हो गई है।

    भूमि चिह्नित होते ही आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बाघागाड़ा में नया बस अड्डा बन जाने से गोरखपुर बस स्टेशन का लोड तो कम होगा ही, महानगर को जाम से मुक्ति मिलेगी। पर्यावरण भी संरक्षित होगा।

    परिवहन निगम की पहल पर जिला प्रशासन ने गोरखपुर बस स्टेशन पर लगने वाले जाम से निपटने की भी योजना तैयार कर ली है। प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ, दिल्ली और कानपुर आदि से गोरखपुर बस स्टेशन पहुंचने वाली बसों को गोरखपुर से बाहर दक्षिण की तरफ रोकने की योजना बनाई जा रही है।

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    जिलाधिकारी ने अपर जिलाधिकारी को बाघागाड़ा के आसपास भूमि चिह्नित करने के लिए निर्देशित किया है, जहां बस अड्डा बनाकर गोरखपुर बस स्टेशन पहुंचने वाली बसों को रोका जा सके। बाघागाड़ा में बस अड्डा बन जाने से वाराणसी और लखनऊ रूट की बसों का ठहराव प्रदान किया जा सकेगा।

    बसें बाघागाड़ा से वापस भी हो जाएंगी। जैसे कचहरी बस स्टेशन पहुंचने वाली बसों को नौसढ़ स्टेशन पर ही रोक लिया जाता है। इस व्यवस्था से कचहरी बस स्टेशन की भीड़ कुछ हद तक हल्की हो गई है।

    दरअसल, गोरखपुर बस स्टेशन पर रोजाना 13 से 14 सौ बसों का आवागमन होता है। स्टेशन परिसर में बसों को खड़ा करने के लिए जगह नहीं बचती। बसें शहर में पहुंचकर रेंगने लगती है। गोरखपुर बस स्टेशन के पास पहुंचकर बसें कार्मल गर्ल्स इंटर कालेज, यातायात पुलिस कार्यालय, रेलवे बस स्टेशन, सिंचाई बंगला और महाराणा प्रताप चौराहा होते हुए तीन किमी की दूरी तय कर बस स्टेशन पहुंचती है। इस दौरान अतिरिक्त समय तो लगता ही है, जाम भी लग जाता है।

    शहर को प्रदूषणमुक्त बनाने के लिए जहां ई-रिक्शा पर जोर दिया जा रहा है, वहीं शहर में सैकड़ों बसें चलकर भारी मात्रा में कार्बनडाई आक्साइड छोड़ रही हैं। तीन किमी चलने में एक बस में पांच लीटर अतिरिक्त डीजल जल जाता है।

    रोडवेज व बस मालिकों को नुकसान उठाना पड़ रहा। जाम और वायु प्रदूषण से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। रेलवे स्टेशन आवागमन करने वाले लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जाम के चलते यात्रियों की ट्रेन छूट जाती है। गोरखपुर बस स्टेशन को भी आलमबाग, लखनऊ की तर्ज पर सुविधा संपन्न टर्मिनल बनाने की योजना है। शासन स्तर पर प्रक्रिया चल रही है।

    गीडा में भी बनेगा अंतरराज्यीय बस टर्मिनल

    गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में भी अंतरराज्यीय बस टर्मिनल बनेगा। कालेसर प्वाइंट के पास 120 एकड़ जमीन चिह्नित कर ली गई है, जिसमें 11 एकड़ में टर्मिनल बनाया जाएगा। गीडा बोर्ड की बैठक में अनुमोदन मिल चुका है।

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    रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) तैयार कर ली गई है। टर्मिनल को नोएडा एवं अन्य बड़े शहरों की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। टर्मिनल से उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के लिए बसें चलाई जाएंगी। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर बनाए जाने वाले बस टर्मिनल में फूड प्लाजा, होटल, बस स्टाफ के ठहरने के लिए कमरों की व्यवस्था होगी।

    टर्मिनल बन जाने से गोरखपुर से राेडवेज के अलावा निजी बसों का संचालन भी सुगमता के साथ हो सकेगा। गोरखपुर से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों के लिए बसें चलाई जा सकेंगी।

    गोरखपुर के नौसढ़ से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों के लिए निजी बसें चलती हैं। इन बसों के लिए कोई निर्धारित स्थल चिह्नित नहीं है। बसें नौसढ़ से सहजनवां तक सड़क के किनारे या पेट्रोलपंपों पर खड़ी रहती है। इससे अतिक्रमण तो बढ़ता ही है, दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है।

    गोरखपुर बस स्टेशन पर क्षमता से अधिक बसें चल रही हैं। बसों के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही। अधिक बसों के पहुंचने से जाम की स्थिति बन जा रही। जिलाधिकारी को इस समस्या से अवगत कराया गया है। जिलाधिकारी ने शहर के दक्षिण तरफ बाघागाड़ा के आसपास भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। भूमि उपलब्ध होने पर वाराणसी और लखनऊ रूट की बसों को बाघागाड़ा में ही रोक दिया जाएगा। जाम से मुक्ति तो मिलेगी ही, बसों का संचालन भी सुगम हो सकेगा।

    - लव कुमार सिंह, क्षेत्रीय प्रबंधक- परिवहन निगम