Dussehra 2025: श्रीराम के अग्निबाण से बर्डघाट में जलेगा 40 फीट का रावण, सात पीढ़ियों से यह परंपरा निभा रहा परिवार
गोरखपुर के बेनीगंज में मुन्नू पेंटर का परिवार सात पीढ़ियों से रावण का पुतला बनाने की परंपरा निभा रहा है। वे शहर की रामलीलाओं के लिए कागज से रावण बनाते हैं। इस बार बर्डघाट में 40 फीट ऊंचा रावण जलेगा। मुन्नू पेंटर के साथ उनके बेटे भी पुतला बनाने में मदद कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त मुन्नू परिवार ने रामस्वरूप नगर में एक राक्षसी गुफा भी बनाई है।

अरुण मुन्ना, जागरण गोरखपुर। अपराह्न दो बजे बेनीगंज ईदगाह रोड रेडीमेड कपड़ों की फैक्ट्री के समीप रंगों से सने बर्तन रखे हैं। अगल- बगल में बांस और गत्ते का ढेर है। बीच में बैठे बुजुर्ग मुन्नू पेंटर तेजी से अपनी कूंची चला रहे हैं। उनके कांपते हाथों में अधूरा पड़ा रावण का पुतला धीरे-धीरे रंगों से जीवंत हो रहा है। उनके बेटे अफजल और अहसान भी रावण को तैयार करने में जुटे हैं।
कोई पेट का हिस्सा गढ़ रहा है, तो कोई दशानन के किसी मुख पर चमक भर रहा है। काम में व्यस्त अफजल बताते हैं कि इस बार दशहरा पर बर्डघाट में 40 फीट ऊंचा, 10 फीट चौड़ा रावण जलेगा।
मुन्नू पेंटर का परिवार सात पीढ़ियों से यह काम कर रहा है। तबीयत खराब होने के बावजूद मुन्नू अपने बेटों की मदद में रावण के पुतलों को तैयार करा रहे हैं। वह कहते हैं, शाम तक पुतला तैयार कर समितियों को देना है।
दशहरा पर जब श्रीराम के बाण से इसका वध होगा, तभी हमारी मेहनत पूरी मानी जाएगी। उन्होंने बताया कि पूर्वज भी यही करते थे, और अब उनके बेटे भी उसी राह पर हैं। सभी रावण का पुतला बनाने का काम देखकर सीखते हैं। इस वर्ष उन लोगों पांच जगहों से आर्डर मिले हैं। बर्डघाट की रामलीला में 40 फीट ऊंचाई के रावण का दहन होगा।
मानसरोवर की रामलीला में 25 फीट का पुतला खड़ा होगा तो धर्मशाला बाजार 20 फीट का रावण अट्ठाहस करते हुए राम को ललकारेगा। पिपराइच में भी लगभग इसकी कदकाठी का रावण जलाने की तैयारी है। एक प्रशासनिक अधिकारी ने भी छोटे आकार का रावण बनवाने का आर्डर दिया है।
आठवीं तक पढ़ाई कर पाए अफजल बताते हैं रावण का पुतला गढ़ने का हुनर अब्बा से सीखा है। तीन माह पहले से पुतला तैयार किया जाता है। रावण के साथ- साथ कुंभकर्ण और मेघनाद भी बनाया जाता है। लगभग 40 किलो कागज, चार प्लाई और आठ बांस का प्रयोग होता है।
रावण के शरीर के सभी हिस्सों को मैदान में पहुंचाकर जोड़ा जाता है। यहां रावण बनाने में करीब 30 हजार रुपये खर्च हो जाता है। उन्होंने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा चली आ रही है। एक पुतला बनाने में छह से सात हजार रुपये का खर्च आता है।
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दशहरा खत्म होते ही यह परिवार अपनी रोज़ी-रोटी के लिए दीवार पेंटिंग, बोर्ड और बैनर बनाने में जुट जाता है। मुन्नू और उनके बेटे हैं कि फ्लैक्स प्रिंटिंग ने उनके काम को बहुत नुकसान पहुंचाया है, लेकिन रामलीला के दौरान रावण के पुतलों से कुछ आमदनी हो जाती है। गत्ता, बांस, कागज और रंगों से सजीवता भरते हैं।
मुन्नू परिवार ने तैयार की है राक्षसी गुफा
श्री श्री नवरात्र दुर्गा पूजा समिति की ओर से रामस्वरूप नगर पंडाल बनाया गया है। यहां पर राक्षसी गुफा बनी है, जिसका निर्माण मुन्नू ने अपने बेटों संग मिलकर की है। कागज के बने राक्षस का खुला मुंह बच्चों को डरा रहा है। आंखों में लाल रोशनी, बड़े- बड़े नुकीले दांत देखकर पंडाल में प्रवेश करने के पहले लोग जरूर ठिठक रहे हैं। मुन्नू का कहना है कि मुंह बनाने में दो दिन लगे थे।
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