Gorakhpur NEET Student Murder: महुआचाफी में चौथे दिन भी मातम और गुस्सा, हत्यारों के खात्मे की मांग
गोरखपुर के महुआचाफी गांव में नीट छात्र दीपक गुप्ता की हत्या के बाद चौथे दिन भी मातम है। परिजन हत्यारों के खात्मे की मांग कर रहे हैं। अधिकारियों और नेताओं ने गांव का दौरा किया पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दी गई। ग्रामीणों ने पुलिस पर लापरवाही और तस्करों से मिलीभगत का आरोप लगाया। गांव में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।

जागरण टीम गोरखपुर। पिपराइच क्षेत्र के महुआचाफी गांव का हर घर मातम और गुस्से में डूबा है।सोमवार की रात नीट की तैयारी कर रहे छात्र दीपक गुप्ता की हत्या के चौथे दिन भी स्थित सामान्य तनावपूर्ण है।गुरुवार को सुबह से लेकर रात तक अधिकारी,नेता व शुभचिंतकों का आना लगा रहा।
हर आने-जाने वाले को परिजन और ग्रामीण एक ही बात सुनाते रहे,जब तक हत्यारों का खात्मा नहीं होगा, दीपक को इंसाफ नहीं मिलेगा।गांव के भीतर हर गली-चौराहे पर पुलिस और पीएसी का पहरा है।
गुरुवार दोपहर में जब एसडीएम सदर, नायब तहसीलदार और लेखपाल गांव पहुंचे तो परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पिता दुर्गेश गुप्ता को आर्थिक मदद और खाद्यान्न सौंपा गया।छात्र की मां सीमा देवी अधिकारियों से लिपट गईं और फफक कर बोलीं कि मेरे बेटे को तस्करों ने बेरहमी से पीटकर मार डाला।
एनकाउंटर के बिना इंसाफ नहीं मिलेगा।वैश्य समाज के पदाधिकारी गणेश मद्रेशिया, शरद कुमार, राजीव, सन्नी और आकाश भी पहुंचे। उन्होंने पिता दुर्गेश गुप्ता का हाथ पकड़कर भरोसा दिलाया आप अकेले नहीं हैं, पूरा समाज आपके साथ है। हम मुख्यमंत्री तक जाएंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराएंगे।
गांववालों के चेहरे पर आंसुओं के साथ गुस्सा भी साफ झलक रहा था।गांव के महंत प्रसाद ने तल्ख लहजे में कहा जब तक तस्कर खत्म नहीं होंगे, हम चुप नहीं बैठेंगे। पुलिस ने अगर समय पर तलाश की होती तो दीपक बच सकता था।शाम होते-होते गांव में राजनीति का जमावड़ा भी बढ़ा।
परिवार को सांत्वना देते पूर्व राज्यसभा सदस्य जयप्रकाश निषाद - जागरण
भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य जयप्रकाश निषाद समर्थकों के साथ पहुंचे। परिजनों ने उनके सामने एसएसपी का बयान दिखाया जिसमें कहा गया था कि दीपक तस्करों की गाड़ी से कूदने के कारण मरा। यह सुनकर मां सीमा देवी भड़क गईं। चिल्लाते हुए बोलीं यह झूठ है। मेरे बेटे को तस्करों ने पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना में पुलिस भी दोषी है।
दादी अमरावती देवी सिर पकड़कर जमीन पर बैठ गईं और चीख पड़ीं कि अब जीने की इच्छा नहीं है। बाबा खरभान गुप्ता का गला रूंधा हुआ था, बोले अगर मुझे मौत मिल गई तो इतना दु:ख न होता, लेकिन नाती का जाना सहा नहीं जा रहा।
दीपक का छोटा भाई प्रिंस जो नवीं का छात्र है, लोगों को बता रहा था कि भाई को लखनऊ जाकर क्रिकेट खेलना था। वह स्टेडियम में अभ्यास करता था। सपना अधूरा रह गया।देर शाम तक महुआचाफी गांव में आने-जाने वालों का तांता लगा रहा।कोई ढांढस देने आया, कोई पुलिस को कोसने और कोई न्याय की मांग करने। हर किसी के मुंह से यही बात निकल रही थी कि दीपक मिलनसार और मेधावी था।
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डाक्टर बनने का सपना लिए पढ़ाई कर रहा था। तस्करों ने उसे बेरहमी से खत्म कर दिया।माहौल इतना भारी था कि कई बार आक्रोश पुलिस की मौजूदगी के बावजूद उबाल पर पहुंच गया। गांव के गंगा सागर, ओमप्रकाश, रामचंद्र, कौशल, विनोद, मुराती, अशरफी और अन्य ग्रामीणों ने कहा पुलिस और तस्करों की मिलीभगत पहले से चल रही थी। शिकायत पर डांटकर भगा दिया जाता था।
छह महीने पहले भी इसी गांव से तस्कर जानवर उठाकर ले गए थे।गांव में हर दरवाजे पर यह चर्चा थी दीपक होनहार था, लेकिन पुलिस ने उसे बचाने में सुस्ती दिखाई। सांझ ढलते-ढलते गांव के बाहर फोर्स की तैनाती और बढ़ा दी गई।
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