UP में नया आलू नहीं, धोखा खा रहे आप; ऐसे करें असली-नकली की पहचान
गोरखपुर के बाजार में नया आलू उपलब्ध नहीं है लेकिन दुकानदार पुराने आलू को केमिकल से धोकर नया बताकर बेच रहे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने बताया कि यह एक धोखा है क्योंकि स्थानीय किसान अभी आलू की बुआई कर रहे हैं। रासायनिक प्रक्रिया से आलू को नया दिखाने से सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बाजार में खेत से नए आलू की आवक नहीं हुई है, लेकिन बिक्री हो रही है। यह आलू नहीं धोखा है, जिसके नाम पर लोग छले जा रहे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब नया आलू उपलब्ध नहीं है। तो किसी तरह के भ्रम में न पड़े। अभियान चलाकर नए आलू बेचने वालों की जांच की जाएगी।
बाजार में नए आलू का लालच भारी पड़ सकता है। महेवा थोकमंडी में अभी नए आलू की आवक नहीं है, लेकिन कुछ दुकानदार नया बताकर बिक्री कर रहे हैं। मंगलवार को महेवा मंडी में 10 से अधिक थोक विक्रेताओं से बात करने पर सामने आया कि अभी कहीं से भी नए आलू की आवक नहीं है। हालांकि कुछ दुकानदारों ने बताया कि रांची से आया आलू बताकर सुबह साढ़े चार से पांच बजे तक बिक्री होती है। दुकान लगाने वाले झटके में बिक्री करके चले जाते हैं।
प्रगतिशील किसान हरिगोविंद ने बताया कि स्थानीय किसान हथिया नक्षत्र के बाद ही आलू की बुआई करते हैं। सबसे कम दिन का आलू 58 से 60 दिन में तैयार होता है। वर्तमान में जो भी आलू बिक रहा है। वह कोल्ड स्टोरेज से निकालकर बाजार में लाया गया है। यदि कोई इसे नया बताकर बेच रहा है, तो केमिकल का खेल हो सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के विज्ञानी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ जगहों पर अगस्त में जो आलू बाेया जाता है। उसे 20 नवंबर के बाद ही खेत से निकाला जाता है। वर्तमान में नए आलू की उपलब्धता चौंकाने वाली है।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया जब अभी तक नए आलू का उत्पादन नहीं हुआ है। तो इसकी बिक्री कैसे हो सकती है। यह महज धोखा है। पूर्व की जांच में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पुराने आलू को नया बनाकर बेचा जाता है।
अमोनिया के घोल में पुराने आलू को 12-14 घंटे के लिए भिगो दिया जाता है। इससे छिलका पतला हो जाता है। घोल से निकालकर आलू को मिट्टी में रगड़ते हैं, जिससे रंग और दिखने में आलू नया प्रतीत होने लगता है। आयरन आक्साइड के उपयोग से आलू को लाल बना देते हैं।
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आलू को नया बनाने में जो भी केमिकल प्रयोग किया जाता है। वह पेट, आंतों को प्रभावित कर सकता है। इसको खाने से गुर्दे और लीवर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इस संबंध में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि नया आलू बाजार में आने की जानकारी नहीं है। यदि आलू को गलत तरीके से नया दिखाने की कोशिश की जा रही है तो इसकी जांच कराई जाएगी। आलू के नमूने लिए जाएंगे।
ऐसे करें असली और केमिकल से धुले आलू की पहचान
असली नए आलू की मिट्टी चिपकी रहती है। मिट्टी थोड़ी सी लगी होती है। यह धोने से जल्दी निकलती नहीं है। नए आलू का छिलका मोटा और प्राकृतिक दिखता है। काटने पर पानी अधिक नहीं निकलता है। आलू प्राकृतिक भूरे- पीला होता है। जबकि केमिकल से धोए आलू की मिट्टी तुरंत घुल जाती है। इसका छिलका पतला और छीलने में आसानी से उतर जाता है। काटने पर तुरंत ही किनारों से आलू का पानी निकलने लगता है। यह लाल चमकीला या गहरे रंग दिखता है।
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