महुआचाफी कांड: गोरखपुर में पशु तस्करी पर लगेगी लगाम, अब कैमरे की निगरानी में हर रास्ता
गोरखपुर में पशु तस्करी रोकने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। सभी मार्गों पर कैमरे लगाए जा रहे हैं और पिकअप मालिकों का सत्यापन किया जा रहा है। डीआईजी ने थानेदारों को सख्त चेतावनी दी है कि जांच में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुलिस तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पशु तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए अब तकनीकी और भौतिक निगरानी दोनों पर जोर दिया जा रहा है।गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज जिले के सभी थाना व चौकी प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि दो दिन के भीतर सभी प्रमुख व संपर्क मार्गों पर सीसी कैमरे लगवा लें।खासकर वे रास्ते जो जिले और प्रदेश की सीमा से जुड़ते हैं,वहां की निगरानी अनिवार्य है।
डीआइजी रेंज डॉ. एस. चनप्पा ने साफ कहा है कि सीमा और हाईवे पर निगरानी का इंतजाम पुख्ता होना चाहिए। दो दिन बाद हर जिले में इसकी जांच होगी। अगर कहीं कैमरे बंद मिले या दिखावे के लिए लगाए गए तो सीधे थानेदार और चौकी प्रभारी जिम्मेदार होंगे।
वारदातों की पड़ताल में बार-बार यह तथ्य सामने आया है कि पशु तस्कर पिकअप का ही इस्तेमाल करते हैं। इन वाहनों को माडिफाइड कर ऐसा बनाया जाता है कि रात में दर्जनों पशु आसानी से लादकर ले जा पाएं। इसी वजह से अब पिकअप रखने वालों का सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है।
आरटीओ से गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और महराजगंज में पंजीकृत सभी पिकअप मालिकों की सूची मांगी गई है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी को इस अभियान का नोडल अधिकारी बनाया गया है। सूची मिलने के बाद हर थानेदार, चौकी प्रभारी और बीट पुलिसकर्मी पिकअप मालिकों के घर और गैराज पर जाकर भौतिक सत्यापन करेंगे।
हर पिकअप की फोटो और वीडियो बनेगी
पुलिस ने तय किया है कि हर पिकअप की फोटो और वीडियो बनाई जाएगी। जिन वाहनों को तस्करी के अनुकूल माडिफाइड किया गया होगा, उनकी अलग से छानबीन होगी। जांच में यह भी देखा जाएगा कि वाहन पर नंबर साफ-साफ लिखा है या नहीं।
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अगर कोई पिकअप नंबर प्लेट के बिना या फर्जी नंबर पर चलती मिली तो मालिक को कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। कई मामलों में पाया गया है कि पिकअप मालिक स्वयं वाहन नहीं चलाते बल्कि उन्हें किराए पर चलने के लिए देते हैं। पुलिस अब यह भी जांच करेगी कि किसे वाहन किराए पर दिया गया है, वह कहां रहता है और उसका आपराधिक इतिहास क्या है।
हर कैमरे की फीड देखी जाएगी। पिकअप सत्यापन के दौरान मिली गड़बड़ी पर जिम्मेदार थानेदार और चौकी प्रभारी पर सीधी कार्रवाई होगी। तस्करों का नेटवर्क तोड़ना ही प्राथमिकता है।
- डा. एस चनप्पा,डीआइजी रेंज
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