अब सामान्य मरीजों का भी हो सकेगा रेलवे के अस्पतालों में इलाज, आयुष्मान भारत योजना में बड़ा बदलाव
गोरखपुर समेत उत्तर प्रदेश के 14 मंडलीय अस्पतालों का प्रबंधन अब राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के अधीन होगा। रेलवे बोर्ड ने आयुष्मान भारत योजना के तहत यह बदलाव किया है जिसके अंतर्गत रेलवे के अस्पतालों का संचालन अब राज्य सरकार करेगी। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना और स्थानीय स्तर पर मरीजों को सुविधा प्रदान करना है। अब राज्य एजेंसियों को अस्पतालों के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण, गोरखपुर। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेएवाई) के अंतर्गत सूचीबद्ध रेलवे अस्पतालों का प्रबंधन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की जगह अब राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (एसएचए) करेगी। नए प्रविधानों के तहत अस्पतालों से जुड़े दैनिक संचालन और योजना से संबंधित मुद्दों का समाधान अब राज्य स्तरीय एजेंसियां ही करेंगी।
इसका उद्देश्य अस्पतालों में उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना और रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करना है। इन अस्पतालों में आयुष्मान योजना के सामान्य मरीज (गैर रेलवे) भी अपना उपचार करा सकेंगे।
रेलवे बोर्ड की कार्यकारी निदेशक (स्वास्थ्य) डा. नमिता नेगी ने 18 अगस्त को भारतीय रेलवे के अधीन सभी प्रधान मुख्य चिकित्सा निदेशकों और प्रधान मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी की हैं।
रेलवे बोर्ड की कार्यकारी निदेशक ने चिकित्सा निदेशकों को लिखे गए पत्र में नेशनल हेल्थ अथारिटी की ओर से 23 जून 2025 को जारी कार्यालय ज्ञापन का हवाला दिया है। जिसमें आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सूचीबद्ध सभी सरकारी अस्पतालों का प्रशासनिक प्रबंधन एनएचए से स्थानांतरित कर एसएचए को सौंपने का आदेश जारी किया गया है। जिसमें रेलवे समेत विभिन्न मंत्रालयों के अंतर्गत आने वाले सरकारी अस्पतालों के प्रबंधन को अब संबंधित राज्यों की एजेंसियों को स्थानांतरित किया जाएगा।
इस बदलाव से अस्पतालों की भागीदारी और योगदान को और अधिक सुचारु बनाने की उम्मीद है। राज्यों की हेल्थ एजेंसियों को स्थानीय इकाइयों जैसे जिला कार्यान्वयन इकाई की मदद से योजना के संचालन और क्रियान्वयन में सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।
निर्देश में यह भी कहा गया है कि सभी सरकारी अस्पतालों को 30 दिन के अंदर एनएचए के प्लेटफार्म से हटाकर राज्यों की श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। जिन राज्यों का अपना आइटी सिस्टम है, वे अस्पतालों को नई श्रेणी के रूप में जोड़ सकेंगे।
पुराने डाटा का समन्वय अस्पताल के पूर्व कोड के साथ बना रहेगा। राज्यों को स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक नियंत्रण होगा। साथ ही अस्पतालों के संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। रोगियों को स्थानीय स्तर पर सहजता के साथ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी।
नई व्यवस्था में पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर स्थित ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल (एलएनएम), मंडलीय रेलवे अस्पताल वाराणसी और लखनऊ, उप मंडलीय रेलवे अस्पताल गोंडा के अलावा उत्तर प्रदेश में आने वाले प्रयागराज, बरेली, चंदौली, आगरा, कानपुर, झांसी, फिरोजाबाद (टुंडला) व मुरादाबाद समेत रेलवे के कुल 14 अस्पतालों के प्रबंधन का संचालन राज्य स्वास्थ्य एजेंसी करेंगी।
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रेलवे के अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधीन देशभर में स्थापित मिनिस्ट्री आफ लेबर एंड इंप्लायमेंट, मिनिस्ट्री आफ कोल, मिनिस्ट्री आफ डिफेंस, मिनिस्ट्री आफ हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटरप्राइजेज, मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर्स, मिनिस्ट्री आफ माइंस, मिनिस्ट्री आफ पावर, मिनिस्ट्री आफ शिपिंग और मिनिस्ट्री आफ स्टील के कुल 187 अस्पतालों का प्रबंधन राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां ही करेंगी।
एलएनएम गोरखपुर के डायरेक्टर डा. मो. एए खान कहते हैं कि जोन और डिविजन के चिकित्सालयों में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू है। रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा।

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