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    भारतीय रेलवे का बड़ा एलान! अब ट्रेन की स्पीड 130 kmph होगी; कैसे? जानें ये नया सीक्रेट प्लान

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 06:15 AM (IST)

    गोरखपुर में रेलवे ने समपार फाटकों पर सुरक्षा और गति बढ़ाने के लिए एक नई प्रणाली शुरू की है। अब सभी फाटकों पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगेगा जिससे ट्रेनों को लाल हरी और पीली बत्ती दिखाई देंगी। इससे ट्रेनों की गति 110 से 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ जाएगी और दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाएगी। गोरखपुर-बाराबंकी रूट पर यह सिस्टम पहले चरण में लगाया जाएगा।

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    रेलवे क्रासिंग पर झंडी नहीं, सिग्नल से चलेंगी ट्रेनें

    प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर। रेलवे ने समपार फाटकों पर सुरक्षा और गति बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पहले केवल 20 हजार या उससे अधिक फुटफाल वाले समपार फाटकों पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लगाया जाता था, लेकिन अब यह सभी समपार फाटकों पर लागू होगा।

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    आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के तहत, समपार फाटकों पर भी ट्रेनें रेलवे स्टेशनों की तरह रेड, ग्रीन और येलो सिग्नल प्राप्त करेंगी। इससे ट्रेनें एक सेक्शन में निर्बाध रूप से चल सकेंगी। गेटमैन को अब रेल लाइन के बीच में लाल झंडी नहीं लगानी पड़ेगी, जिससे मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं की संभावनाएं कम होंगी।

    इस प्रणाली के लागू होने से ट्रेनों की अधिकतम गति 110 से 130 किमी प्रति घंटे तक बढ़ जाएगी, जिससे समय पालन में सुधार होगा और यात्रियों की मांग के अनुसार ट्रेनें चलाई जा सकेंगी।

    पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मार्गों पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। लखनऊ-गोरखपुर-छपरा, छपरा-बनारस-प्रयागराज और सीतापुर-बुढ़वल रूट पर इस सिस्टम की स्वीकृति मिल चुकी है।

    रेल मंत्रालय ने इस कार्य के लिए एक हजार करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। पहले चरण में गोरखपुर से बाराबंकी तक लगभग 425 किमी रेलमार्ग पर यह सिस्टम लगाया जाएगा। आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के अंतर्गत सभी समपार फाटकों को इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग से युक्त किया जाएगा।

    लखनऊ मंडल के जगतबेला से टिनिच-गोविंदनगर के बीच 23 समपार फाटकों पर यह सिस्टम स्थापित किया जा चुका है। इससे क्रासिंग पर भी ट्रेनों की गति धीमी नहीं होगी। सिग्नल पर लोको पायलटों को चार प्रकार के संकेत मिलेंगे: ग्रीन, येलो, डबल येलो और रेड। ये संकेत ट्रेन की गति को नियंत्रित करेंगे।

    सिग्नल पर लोको पायलटों को मिलेंगे चार तरह के संकेत

    आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के अंतर्गत लोको पायलटों को सभी सिग्नल पर ग्रीन, यलो, डबल यलो और रेड कुल चार तरह के संकेत मिलेंगे। ट्रेनें संकेतों के आधार पर एक सेक्शन में निर्धारित गति के अनुसार एक के पीछे एक चलती रहेंगी।

    पूर्वोत्तर रेलवे में अभी भी एब्सल्यूट ब्लाक सिग्नल सिस्टम (परंपरागत) के आधार पर ट्रेनें चल रही हैं। एब्सल्यूट ब्लाक सिग्नल सिस्टम के चलते ट्रेनों की गति 110 किमी प्रति घंटा से अधिक नहीं बढ़ पा रही है। पूर्वोत्तर रेलवे के सभी रूटों पर ट्रेनों की अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटे निर्धारित है।

    संरक्षित और सुरक्षित ट्रेन संचालन को सुदृढ़ करने की दिशा में समपार फाटकों की इंटरलाकिंग का कार्य अर्थात सिग्नलयुक्त बनाने का कार्य जारी है। इसी क्रम में आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम के अंतर्गत आने वाले सभी समपार फाटकों को भी सिग्नलयुक्त बनाया जा रहा है।

    - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे