Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिना सामान बेचे ले लिया 4.68 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट, छह फर्जी फर्में उजागर

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 12:36 PM (IST)

    गोरखपुर में फर्जी फर्मों द्वारा जीएसटी चोरी का मामला सामने आया है जिसमें दो फर्मों ने 4.68 करोड़ रुपये का अवैध आईटीसी लाभ उठाया। जांच में छह फर्में फर्जी पाई गईं जिनके पते गलत थे। राज्य कर विभाग ने मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी है। इन फर्मों ने बिना बिक्री किए ही आईटीसी का लाभ उठाया जिससे कर चोरी हुई। केंद्र सरकार ने बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जैसे कदम उठाए हैं।

    Hero Image
    बिना सामान बेचे ले लिया 4.68 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एक तरफ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वहीं, इसकी कमियों का फायदा उठा कर कई व्यापारी करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं। फर्जी फर्म बनाकर कुछ व्यापारी करोड़ों का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) का लाभ उठा ले रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोरखपुर जोन में ऐसी छह फर्में पकड़ी गईं हैं। इनमें से दो ने करीब 4.68 करोड़ रुपये का आइटीसी का लाभ उठा लिया है। विभागीय जांच में मौके पर इनका नामोनिशान नहीं मिला है। गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद राज्य कर विभाग के द्वारा इनके संबंध में मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी गई है।

    गोरखपुर जोन में भी फर्जी फर्म बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का मामला सामने आया है। गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज में फर्जी बनाकर व्यापारियों के द्वारा आइटीसी का भुगतान कराने की पुष्टि हुई है। गोरखपुर जोन में दर्ज पते पर राज्य कर विभाग ने छह बोगस फर्मों को जांच कर पकड़ा है। इनमें ने दो ने बिना एक रुपये की बिक्री किए करीब 4.68 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा लिया गया है।

    दरअसल राज्य कर विभाग के मुख्यालय की ओर से पिछले दिनों गोरखपुर-बस्ती मंडल में सक्रिय 12 संदिग्ध फर्मों का नाम स्थानीय अधिकारियों को जांच करने को दिया गया था। जांच में छह फर्में जिस नाम और पते पर पंजीकृत थीं, वहां उनका नामोनिशान नहीं था।

    जिन दो फर्मों से करोड़ों रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया, उनमें से एक बक्शीपुर के पते पर तो दूसरी जाफरा बाजार के पते पर पंजीकृत थी। बक्शीपुर के पते पर पंजीकृत फर्म के नाम पर 3.88 करोड़ और जाफरा बाजार में पंजीकृत फर्म के नाम पर 80 लाख रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया गया है।

    अधिकारियों के मुताबिक, जांच में छह फर्म ऐसी मिलीं जो पूरी तरह से बोगस हैं। जिस एड्रेस पर पंजीकरण था, वहां आवासीय मकान थे, या फिर अन्य दुकान। वहां लोग संदिग्ध फर्मों के विषय में कुछ बताने की स्थिति में नहीं थे।

    मुख्यालय से 12 फर्मों की जांच को लेकर निर्देश मिला था, जिनमें से 6 फर्में फर्जी मिली हैं। इनमें से दो फर्मों के द्वारा साढ़े चार करोड़ से अधिक रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने का मामला मिला है। रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी गई है।

    -संजय कुमार, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन, राज्य कर विभाग

    आइटीसी का लाभ लेने के मकसद से बनाई जाती फर्जी फर्में

    दरअसल इस तरह की फर्जी फर्में गलत ढंग से आइटीसी का लाभ पहुंचाने के मकसद से बनाई जाती हैं। इनका नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी सब फर्जी होता है। इन फर्मों के द्वारा बिना माल भेजे ही बिल बनाकर आगे वाले फर्म को आइटीसी पास कर दिया जाता है। जिसके आधार पर अगली फर्म आइटीसी क्लेम करते हुए उतनी रकम का टैक्स जमा नहीं करती है।

    यह भी पढ़ें- धनतेरस और दीपावली पर यूपी के व्यापारियों को बड़ी राहत, सीएम योगी ने अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश

    प्राथमिक स्तर पर राज्य कर विभाग को इस तरह के फर्जीवाड़ा को प्राथमिक स्तर पर रोकने का कोई इंतजाम नहीं है। हालांकि जब विभागीय स्तर पर शिकायत के बाद आइटीसी की जांच की जाती है तो यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आता है और लाभ लेने वाली फर्म से इसकी वसूली जुर्माना के साथ होती है।

    सेंट्रल जीएसटी की जांच वाले फर्मों में ज्यादा गड़बड़ी

    केंद्र सरकार ने टैक्स चोरी के उद्देश्य से बनाए गए बोगस फर्मों पर नकेल कसने के तहत नई फर्म का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन का प्रावधान किया है। पहले आधार आधारित सत्यापन प्रक्रिया के जरिए नई फर्म का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, जिसमें आधार में दर्ज मोबाइल नंबर पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) जाता है, फिर उसको रजिस्ट्रेशन के समय फीड कर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाता था। लेकिन, लगातार बढ़ रहे जीएसटी चोरी के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को बदल दिया है।

    वहीं, दर्ज किए गए पते की जांच के दौरान फर्जी फर्म की जानकारी मिल पाती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार ज्यादा फर्में वे हैं, जिनकी जांच सेंट्रल जीएसटी के द्वारा कराई गई थी। सेंट्रल जीएसटी में अधिकारियों की कमी की वजह से सही ढंग से जांच नहीं की जा सकी है। जब गड़बड़ी हो रही है तो जांच में फर्जी फर्म का पता चलता है।