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    गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बर्तन लेकर नहीं आए जो रोगी, भूख से तड़प रहे

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 09:52 AM (IST)

    गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को बर्तन न होने पर भोजन नहीं मिल रहा है। अस्पताल प्रशासन के आदेश के बावजूद डिस्पोजेबल थालियां उपलब्ध नहीं हैं, जिससे गरीब मरीजों को परेशानी हो रही है। कई मरीज भूखे पेट रहने को मजबूर हैं, और तीमारदारों को बाहर से डिस्पोजेबल खरीदने पड़ रहे हैं। यह स्थिति मरीजों के लिए आर्थिक बोझ बन गई है।

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    नेहरू अस्पताल में भोजन वितरण व्यवस्था बदहाल, कर्मचारी नहीं रखते हैं डिस्पोजल

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में भर्ती रोगियों के सामने अब एक नई परेशानी खड़ी हो गई है। अगर बर्तन नहीं तो भोजन नहीं। अस्पताल प्रशासन के निर्देशों के बावजूद ठीकेदार के कर्मचारी डिस्पोजल थाली, कटोरी नहीं रखते। इस लापरवाही के चलते भोजन वितरण व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जिन रोगियों के पास अपना बर्तन नहीं होता, उन्हें खाना नहीं दिया जा रहा है। मजबूरी में कई रोगी खाली पेट रात गुजार रहे हैं। समर्थ लोग बाहर से खाना मंगा कर खा रहे हैं।

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    अस्पताल में रोज लगभग दो सौ रोगी भर्ती होते हैं। अधिकतर गरीब परिवारों से होते हैं। ये लोग जब अचानक बीमार पड़ते हैं, तो उन्हें यह ध्यान भी नहीं रहता कि अस्पताल में बर्तन साथ ले जाना जरूरी है। भर्ती के बाद पहले दिन तो अधिकांश रोगी भोजन से वंचित रह जाते हैं। जिनके पास बर्तन होता है, केवल उन्हें ही थाली में खाना परोसा जाता है। बाकी रोगियों को ठीकेदार के कर्मचारी यह कहकर टाल देते हैं कि बर्तन लाओ, तभी खाना मिलेगा।

    हालांकि अस्पताल प्रशासन ने पहले ही ठीकेदार को निर्देश दिया था कि सभी रोगियों के लिए डिस्पोजल प्लेट, कटोरी व गिलास की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए, ताकि किसी को भोजन से वंचित न होना पड़े। लेकिन ठीकेदार के कर्मचारी इन निर्देशों को दरकिनार कर रहे हैं। कुछ तीमारदारों ने बताया कि कई वार्डों में भोजन वितरण के समय अफरातफरी मच जाती है।

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    कुछ रोगियों को खाना मिल जाता है, लाइन में खड़े होकर इंतजार के बाद भी कई रोगी बिना भोजन लिए इसलिए लौट जाते हैं कि उनके पास बर्तन नहीं होते। तीमारदारों ने बताया कि वे अस्पताल के बाहर से डिस्पोजल खरीदकर लाते हैं, तब रोगियों को खाना मिल पाता है। इससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता है, बल्कि परेशानी भी होती है। हम गांव से आए हैं, यहां कौन बताएगा कि बर्तन लाना जरूरी है।

    ठीकेदार को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि डिस्पोजल रखें। ताकि सभी रोगियों को भोजन मिल सके। यदि इसमें लापरवाही बरती जा रही है तो इसकी जांच कराकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। रोगियों के उपचार के साथ ही उन्हें भोजन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है।

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    -डाॅ. बीएन शुक्ला, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक बीआरडी मेडिकल कॉलेज