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    Gorakhpur News: लूटकांड में फंसे निलंबित पुलिसवालों को हाई कोर्ट से राहत, गिरफ्तारी पर स्टे

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 09:22 AM (IST)

    गोरखपुर में राजघाट पुल पर 90 हजार की लूट के मामले में निलंबित चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव और चार पुलिसकर्मियों को हाईकोर्ट से राहत मिली। कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए विवेचना में सहयोग का निर्देश दिया। साथ ही शिकायतकर्ता रविशंकर शुक्ल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने 14 अक्टूबर तक सबूत पेश करने का आदेश दिया है जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता,गोरखपुर। राजघाट पुल पर हुए 90 हजार रुपये की लूटकांड में आरोपित बनाए गए निलंबित चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव और चार अन्य पुलिसकर्मियों को हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए विवेचना में सहयोग का निर्देश दिया है। साथ ही केस दर्ज कराने वाले रविशंकर को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

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    पांच अगस्त को राजघाट पुल पर बेलीपार के पिछौरा निवासी रविशंकर शुक्ल को अगवार कर 90 हजार रुपये की लूट हुई थी। मामले में पहले अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन बाद में जांच के दौरान चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव समेत पांच पुलिसकर्मियों पर लूट और भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद केस में उनके नाम जोड़े गए।

    आरोप लगते ही पुलिस विभाग ने सभी को निलंबित कर दिया था।इसके बाद से पांचों पुलिसकर्मी फरार चल रहे थे। बीच में उन्होंने मध्य प्रदेश में एक वांछित की गिरफ्तारी के दौरान फूड प्वाइजनिंग का हवाला देते हुए मेडिकल रिपोर्ट भी भेजी थी। लेकिन 22 अगस्त को मेडिकल अवधि समाप्त होने के बाद वे थाने में हाजिर नहीं हुए।

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    इसी बीच आरोपित पुलिसकर्मी हाईकोर्ट पहुंचे और खुद को फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए केस खत्म करने की गुहार लगाई।कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गिरफ्तारी पर स्टे तो दे दिया, मगर आरोपित पुलिसकर्मियों को विवेचना में हर हाल में सहयोग करने का निर्देश दिया। साथ ही केस दर्ज कराने वाले रविशंकर को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

    अदालत ने स्पष्ट किया है कि 14 अक्टूबर से पहले पुलिस को अब तक मिले साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत करने होंगे। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।अब सबकी नजरें कोर्ट में पेश होने वाले साक्ष्यों और आगामी सुनवाई पर टिकी हैं।