मेडिकल बनवाने के बाद उज्जैन के थाने पर पहुंचे थे पुलिसकर्मी, उलझी राजघाट पुल पर हुए लूटकांड की गुत्थी
गोरखपुर के राजघाट पुल पर हुए लूटकांड की गुत्थी अभी भी अनसुलझी है जिससे पुलिस की साख पर सवाल उठ रहे हैं। निलंबित पुलिसकर्मियों के उज्जैन में मेडिकल कराने और फिर थाने पहुंचने से संदेह और बढ़ गया है। जांच जारी है कि मेडिकल के बावजूद वे थाने क्यों गए। वेतन पर रोक लगा दी गई है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राजघाट पुल पर हुए लूटकांड की गुत्थी अब भी अनसुलझी है।एक माह बीत जाने के बाद भी आरोपितों के न पकड़े जाने की वजह से अब तो पुलिस की साख भी सवाल खड़ा होने लगा है। निलंबित चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव समेत पांच पुलिसकर्मी अभी गैर हाजिर चल रहे हैं।
जांच में सामने आया है कि उज्जैन के सरकारी अस्पताल में उन्होंने डाक्टर को दिखाया तो 10 दिन आराम करने की सलाह दी गई,मेडिकल बनने के बाद वह अपहरण के मुकदमे में छानबीन करने स्थानीय थाने में पहुंचे जहां उनकी आमद हुई है।
उज्जैन में मेडिकल जांच की पुष्टि से यह तो साफ हुआ कि पुलिसकर्मी 12 अगस्त को इलाज कराने पहुंचे थे,डाक्टर ने उन्हें 10 दिन आराम करने की सलाह दी थी।लेकिन उसी दिन दो घंटे बाद वह अपहृत किशोरी की तलाश में नाना खेड़ा थाने पहुंच गए।
इससे अब नया सवाल खड़ा हो गया है कि जब वह सभी बीमार थे, तो थाने क्या करने गए? स्थानीय स्तर अब चर्चा शुरू हो गई है कि लूट की घटना में निलंबित पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध है।पांच अगस्त को राजघाट पुल पर तमंचे के बल पर युवक से लूट करने वाले वालों ने खुद को क्राइम ब्रांच का दारोगा व सिपाही बताकर वारदात की थी।
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निलंबन के बाद पांचों पुलिसकर्मी गैर हाजिर चल रहे हैं,विभागीय नोटिस का उन्होंने जवाब नहीं दिया।इसकी वजह से उनके वेतन पर रोक लगा दी गई है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि उज्जैन से मिली रिपोर्ट को केस डायरी में शामिल कर लिया गया है। अब जांच में यह देखा जाएगा कि मेडिकल के बावजूद नाना खेड़ा थाने में पुलिसकर्मी क्यों और किसके कहने पर पहुंचे थे।
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