गोरखपुर में खाली जमीन पर झुग्गी-झोपड़ी बसाकर वसूल रहे हजारों रुपये, पुलिस के सत्यापन करते ही भागे लोग
गोरखपुर में खाली जमीनों पर झुग्गी-झोपड़ी बसाई जा रही हैं, जिनसे अवैध रूप से हजारों रुपये वसूले जा रहे हैं। राजघाट, रामगढ़ताल, कैंट और एम्स थाना क्षेत् ...और पढ़ें

राप्ती नदी के तट राजघाट के आसपास झोपड़ी डालकर रहते बाहरी लोग। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहर में खाली जमीनों पर लोगों ने झुग्गी-झोपड़ी बसा दी है। अवैध रुप से बिजली और पानी देकर उनसे हर महीने हजारों रुपये वसूल रहे है। सबसे अधिक राजघाट, रामगढ़ताल, कैंट और एम्स थाना क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ियां बसायी गई हैं। एक झोपड़ी और कमरे का दो से चार हजार रुपये भाड़ा लेते है। इन झुग्गियों में रहने वाले सभी असम और बंगाल के निवासी बताए जा रहे है। शुक्रवार को जागरण की पड़ताल में ये सच्चाई सामने आई।
राजघाट क्षेत्र में मुंशी नाम के युवक ने राप्ती तट के किनारे झुग्गियों को बसाया है। हालांकि ये भी पहले बाहर से आया और फिर जगह बनाने के बाद इसने अन्य साथियों को बुलाया और राप्ती तट की तरफ जाने वाले मांर्ग पर झुग्गी-झोपड़ी बसा दी। इस समय मुंशी खुद आटो चला रहा है। लेकिन, झुग्गी-झोपड़ी में बसे लोग कबाड़ बीनने का काम कर रहे हैं।
मुंशी, प्रति झुग्गी दो से तीन हजार रुपये वसूलता है। फिर ये जमीन मालिक या शरणदाताओं तक पहुंचाता है। रामगढ़ताल के महेवा गांव में स्थित बगीचे में जमीन मालिक खेतान झुग्गी-झोपड़ी बसायी है। बिजली-पानी देने के साथ हर महीने प्रति झुग्गी चार हजार रुपये लें रहे है। हालांकि जमीन मालिक का कहना है कि उसकी जमीन पर रहने वाले बंगाल के है और एक ही समुदाय के हैं। सभी का आधार उसके व पुलिस के पास है।
तारामंडल रोड पर जीडीए कार्यालय से पहले सड़क की दोनों पटिरियों किनारे फुटपाथ और खाली जमीन पर भी झुग्गी-झोपड़ी बसी है। इन्हें कौन बसाया है, इसके बारे में तो नहीं पता चला, लेकिन इनके पास हर तरह के विद्युत उपकरण, जैसे टीवी, पंखा, मिक्सर समेत अन्य। कबाड़ बीनने के साथ अन्य सामान बेचने वाले ये लोग बिजली के लिए पड़ोस के लोगों को हर महीने रुपये दे रहे।
वहीं कुछ ने कटिया कनेक्शन लेकर बिजली का प्रयोग कर रहे हैं। कैंट थाना के इंद्रानगर में भी खाली जमीन पर झुग्गी-झोपड़ी बसी है। यहां पर रहने वाला एक युवक बताता है कि पांच हजार की संख्या में लोग रहते है। इसमें कुछ कबाड़ बीनते हैं तो कुछ मजदूरी करते हैं। हर महीने जमीन मालिक को किराया पहुंचा दिया जाता है।
खोराबार और एम्स थाना के सीमा पर रामपुर, भग्ता, सहारा स्टेट के गेट नंबर चार पर स्थित विद्यालय के प्रबंधन ने कबाड़ बिनने वाले को किराए पर दिया है। एक दर्जन से अधिक यहां पर परिवार के साथ रहने वालों को बिजली-पानी की सुविधा भी है। विद्यालय प्रबंधन हर महीने इनसे 40 हजार रुपये किराया लेता है। यहां के रहने वाले संजीत कुमार सिंह बताते है कि विद्यालय नहीं चलने पर प्रबंधन ने किराए पर दे दिया है।
ये दिन भर कबाड़ बीनते है और फिर विद्यालय के दो कमरे में रहते हुए कबाड़ को भी परिसर में रखते हैं। संजीत का कहना है कि इसके पूर्व ये उनके मकान के बगल में गुप्ता की खाली जमीन पर रहते थे। जमीन मालिक ने टिनशेड डलवाकर इनके रहने की व्यवस्था की थी। इसके बदले हर महीने एक परिवार से छह हजार रुपये किराया ले रहे थे। डेढ़ वर्ष पूर्व टिनशेड में रहने वालों ने नशे में आपस में विवाद किया। पूरे मोहल्ले में घूमकर मारपीट की। शिकायत पर थाने की पुलिस ने सभी भगाया।
इन जगहों पर बसायी गई है झुग्गी-झोपड़िया
हर्बर्ट बंधे के किनारे, राप्ती तट जाने वाले मार्ग पर, अमरुतानी, महेवा बंधे के किनारे, ट्रांसपोर्टनगर-महेवा मार्ग के किनारे खाली जमीन और बगीचे में, रामगढ़ताल के तारामंडल रोड पर जीडीए कार्यालय से पहले सड़क किनारे, देवरिया बाईपास से पैडलेगंज मार्ग पर, खोराबार व एम्स क्षेत्र के एक विद्यालय में, कैंट क्षेत्र में रेलवे स्टेशन किनारे, शाहपुर में फातिमा हास्पिटल के बगल में, खजांची बांसफोड़ बाजार के बगल में, चिलुआताल में महेसरा ताल किनारे, घोसीपुरवा में, गोरखनाथ में जटाशंकर गुरुद्वारा के पीछे, चौरी चौरा के फुलवरिया चौराहे पर, करमहा ओवर ब्रिज के नीचे, गुलरिहा क्षेत्र में फोरलेन किनारे, नौसड़ से आगे लखनऊ फोरलेन पर समेत अन्य कई स्थलों पर झुग्गी-झोपड़ी में अनजान चेहरे रह रहे हैं।

पुलिस के सत्यापन करते ही झुग्गी-झोपड़ी छोड़कर भागने लगे बाहरी
बाहर से आकर रह रहे संदिग्ध अनजान चेहरों की पुलिस ने सत्यापन शुरू कर दिया है। इसका असर यह है कि राती तट मार्ग पर बसी कई अवैध बस्तियां खाली हो गई है। कबाड़ समेत यहां रहने वाले सामान लेकर लापता हो गए है। वहीं पुलिस का सत्यापन शुक्रवार को भी जारी रहा। राजघाट पुलिस ने बंधे के किनारे 15 झोपड़ियों में रहने वाले 60 लोगों की जांच हुई। उनके आधार कार्ड समेत अन्य पहचान पत्र जमा किए।
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जागरण ने समाचारीय अभियान के तहत झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले अनजान चेहरों पर खबर प्रकाशित की थी। जिसका संज्ञान लेकर एसपी सिटी ने जिले के सभी थानेदारों को सत्यापन करने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में राजघाट थाना प्रभारी सदानंद सिन्हा ने पुलिसकर्मियों के साथ गुरुवार को 10 झोपड़ियों में रहने वालों की जांच की। जिसमें सभी एक ही असम के बरपेटा जिले के रहने वाले मिले। पहचान के रुप में उनके पास मिले आधार कार्ड को जमा कराया गया।
इधर, पुलिस के सत्यापन की सूचना मिलने के बाद राजघाट लकड़ी मंडी के पीछे झुग्गी-झोपड़ी खाली हो गई। यहां रहने वाले सामान के साथ अचानक गायब हो गए। जबकि अभी पुलिस ने उनका सत्यापन नहीं किया था। थाना प्रभारी सदानंद ने बताया कि शुक्रवार को 15 परिवार की जांच हुई है। ये भी असम के बरपेटा जनपद के रहने वाले है। इनका पहचान पत्र जमा कराने के साथ उनके गांव के ग्राम प्रधान से भी बात हुई है।

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