गोरखपुर में CHC पर ही बचा ली जाएगी हार्ट के रोगियों की जान, कार्डियोलॉजिस्ट का बनाया जाएगा वाट्सएप ग्रुप
गोरखपुर में स्वास्थ्य विभाग ने हार्ट अटैक और हृदय संबंधी बीमारियों से होने वाली मौतों को कम करने के लिए सीएचसी पर ही प्राथमिक उपचार देने की तैयारी की ...और पढ़ें

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों डाक्टरों व कर्मियों को दिया जाएगा उपचार का प्रशिक्षण। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। हार्ट अटैक और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों से होने वाली मौतों को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक नई और महत्वपूर्ण पहल शुरू करने की तैयारी की है। अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर ही हार्ट के रोगियों को प्राथमिक और जीवनरक्षक उपचार उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि उन्हें समय रहते कार्डियोलाॅजिस्ट के पास भेजा जा सके। इस व्यवस्था से खासकर ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा। इस व्यवस्था को विभाग ने 'स्टेमी केयर नेटवर्क' नाम दिया है।
सीएमओ डा. राजेश झा ने बताया कि जिले के सभी सीएचसी पर तैनात डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण पहचानने और तत्काल उपचार देने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ईसीजी पढ़ने, ब्लड प्रेशर और आक्सीजन स्तर की निगरानी, आवश्यक दवाओं के सही उपयोग और आपात स्थिति में त्वरित निर्णय लेने की जानकारी दी जाएगी।
इसका उद्देश्य यह है कि हार्ट अटैक के ‘गोल्डन आवर’ में मरीज को जरूरी दवाएं देकर उसकी जान बचाई जा सके। इस योजना की खास बात यह है कि सीएचसी और बीआरडी मेडिकल कालेज के कार्डियोलाजिस्ट के बीच सीधा और त्वरित संपर्क स्थापित किया जाएगा।
इसके लिए एक विशेष वाट्सएप ग्रुप बनाया जाएगा, जिसमें जिले के सभी सीएचसी के डाक्टर और बीआरडी के कार्डियोलाजिस्ट शामिल रहेंगे। जैसे ही किसी मरीज की ईसीजी सीएचसी पर की जाएगी, उसकी रिपोर्ट तुरंत इस ग्रुप पर साझा की जाएगी। कार्डियोलाजिस्ट उसका विश्लेषण करेंगे और तुरंत बताएंगे कि मरीज को कौन-सी दवाएं दी जानी हैं।
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सीएचसी के डाक्टर मरीज को प्राथमिक उपचार देंगे और फिर एंबुलेंस के माध्यम से उसे बीआरडी मेडिकल कालेज भेजा जाएगा। सीएमओ ने कहा कि अब तक कई मामलों में मरीजों को सीएचसी से सीधे जिला अस्पताल या मेडिकल कालेज भेज दिया जाता था। प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण स्थिति बिगड़ जाती थी। नई व्यवस्था से यह कमी दूर होगी। प्राथमिक उपचार मिलने से मरीज की हालत स्थिर रहेगी और विशेषज्ञ उपचार शुरू होने तक जान को खतरा कम होगा।

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