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    Vijayadashami 2025: विशिष्ट पूजन कर गोरक्षपीठाधीश्वर ने की विजयदशमी उत्सव की शुरुआत, तस्वीरों में देखें CM योगी का यह रूप

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 11:07 AM (IST)

    गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में दशहरे के अवसर पर विजयादशमी उत्सव शुरू हो गया है। गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरक्षनाथ की विशेष पूजा की। मंदिर परिसर में सभी देव-विग्रहों की पूजा-अर्चना की गई जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिष्यों को आशीर्वाद देंगे। शाम को उनकी विजय शोभायात्रा निकलेगी जो मानसरोवर मंदिर तक जाएगी और रामलीला मैदान में भगवान श्रीराम का राजतिलक किया जाएगा।

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    गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने की विशिष्ट पूजा। सूवि

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। दशहरे के पावन अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत विजयादशमी उत्सव शुरू हो चुका है। सुबह से ही परिसर में गोरक्षपीठ के पारंपरिक व आनुष्ठानिक आयोजन शुरू हो गए। सबसे पहले गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने श्रीनाथजी यानी गुरु गोरक्षनाथ का नाथपीठ के विशेष परिधान में विशिष्ट पूजन किया।

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    इसी क्रम में वह मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित सभी देव-विग्रहों तक भी गए और विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की। इस दौरान नाथपंथ के परंपरागत विशेष वाद्य यंत्र नागफनी, शंख, ढोल, घंट, डमरू की गूंज से पूरा मंदिर परिसर भक्तिभाव में उल्लसित रहा।

    दिन में एक बजे मंदिर के दिग्विजयनाथ सभागार में तिलकोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसमें मुख्यमंत्री अपने शिष्यों व भक्तों को आशीर्वाद देंगे। शाम चार बजे परिसर से गोरक्षपीठाधीश्वर की विजय शोभायात्रा निकलेगी।

    इस शोभायात्रा की अगुवाई मुख्यमंत्री योगी विजयरथ पर सवार होकर करेंगे। शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर जाकर संपन्न होगी, जहां वह देवाधिदेव महादेव सहित मंदिर परिसर में स्थापित सभी देव-विग्रहों की पूजा-अर्चना करेंगे।

    इसी क्रम में वह मानसरोवर रामलीला मैदान पहुंचेंगे और रामलीला के मंच पर भगवान श्रीराम का राजतिलक करेंगे। साथ ही भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण जी व हनुमान जी की आरती उतारेंगे। इस अवसर पर रामलीला के मंच से मुख्यमंत्री का संबोधन भी होगा। शोभायात्रा की गोरखनाथ मंदिर में वापसी के बाद सहभोज का आयोजन किया जाएगा।

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    देर रात पात्र पूजा का आयोजन भी होगा, जिसमें मुख्यमंत्री योगी बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर दंडाधिकारी की भूमिका में होंगे और संतों के विवाद का प्रतीक रूप से समाधान करेंगे। संतगण मुख्यमंत्री की पात्र देवता के रूप में पूजा करेंगे।