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    Gorakhpur News: बोतलबंद पानी में मिला पीलिया का जीवाणु, पेट कर रहा खराब

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 12:11 PM (IST)

    गोरखपुर में गैलेसिया ब्रांड के बोतलबंद पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया पाया गया है जिससे लाइसेंस निलंबन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने फैक्ट्री की जांच की और नमूने में बैक्टीरिया की पुष्टि होने पर कार्रवाई की। विभाग ने लोगों को पैकेज्ड पानी खरीदते समय सावधानी बरतने की सलाह दी है और आरओ प्लांटों की जांच पर जोर दिया है ताकि पानी की शुद्धता सुनिश्चित हो सके।

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    सहजनवां गीडा स्थित गैलेसिया ब्रांड के एक लीटर के पानी के बोतल में मिला कोलीफार्म बैक्टीरिया

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बोतलबंद पानी को शुद्धता का पर्याय मानने वालों के लिए यह खबर चिंतित करने वाली है। सहजनवां के गीडा सेक्टर 15 स्थित जीके फूड्स एंड बेवरेजेज में बनने वाले गैलेसिया ब्रांड के एक लीटर वाले बोतल बंद पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया (जीवाणु) मिला है।

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    यह बैक्टीरिया पीलिया का कारण बनने के साथ ही पेट खराब करता है। बोतलबंद पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया मिलने से खाद्य सुरक्षा एव औषधि प्रशासन की टीम भी हैरान है, क्योंकि यह बैक्टीरिया गंदे स्थानों पर ही मिलता है। अब फैक्ट्री का लाइसेंस निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। साथ ही बैक्टीरिया वाले पूरे बैच के पानी की जांच कराने की भी तैयारी है। फैक्ट्री संचालक को नोटिस दिया जा रहा है।

    जीके फूड्स एंड बेवरेजेज गैलेसिया ब्रांड से पानी बनाता है। 24 मई, 2025 को सहायक आयुक्त खाद्य डा. सुधीर कुमार सिंह के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी संतोष कुमार ने फैक्ट्री की जांच की। यहां डब्लूटी 23 बैच नंबर का एक लीटर फ्लेवर्ड बोतलबंद पानी का नमूना लिया। मौके पर मौजूद लोगों ने अपना नाम, पता व गवाही देने से मना कर दिया। पानी की जांच सार्वजनिक विश्लेषक प्रयोगशाला, अलीगंज, लखनऊ में की गई। इसमें कोलीफार्म बैक्टीरिया की पुष्टि हुई।

    कई जगहों से पानी के लिए गए थे नमूने

    मई में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने कई स्थानों पर पानी की जांच की थी। नौसढ़ में पाउच में पानी पैक होने की जानकारी पर छापा मारा और मशीन काे सील कर दिया। पानी के कई नमूनों को जांच के लिए भेजा गया था।

    पानी में यह कमी मिली

    • कई नमूनों में मैग्नीशियम एवं कैल्शियम की मात्रा मानक सीमा से कम पाई गई।
    • एक नमूने में टोटल डिजाल्व्ड सालिड्स (टीडीएस) भी मानक से कम पाया गया।
    • एक नमूने में कोलीफार्म बैक्टीरिया पाया गया। यह पानी उपमानक एवं असुरक्षित घोषित किया गया।

    कोलीफार्म बैक्टीरिया से यह होता है

    कोलीफार्म बैक्टीरिया की मौजूदगी का मतलब है कि पानी दूषित है। इससे पानी पीने वाले व्यक्ति को पेट में संक्रमण, दस्त, उल्टी, टाइफाइड, हैजा, पीलिया (हेपेटाइटिस ए व ई) जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह संक्रमण और भी खतरनाक हो सकता है।

    ये करें

    • पैकेज्ड वाटर लेते समय हमेशा आइएसआइ मार्क व एफएसएसएआइ लाइसेंस नंबर देखें।
    • बोतल व पाउच का सील टूटा हो तो कभी इस्तेमाल न करें।
    • संदिग्ध ब्रांड या मानक से कम प्रतीत होने वाले पैकेज्ड पानी की सूचना विभाग को दें।

    पानी के पांच प्लांट हो चुके हैं सील

    खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन अब तक पानी के पांच प्लांट सील कर चुका है। इसके साथ ही पानी वाले 50 हजार पाउच भी सील किए गए हैं। जिले में पानी के तकरीबन 18 प्लांट हैं। यहां बोतलबंद पानी तैयार किया जाता है।

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    सबसे अच्छा जमीन से सीधे निकाला गया पानी

    सहायक आयुक्त खाद्य डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि सबसे अच्छा जमीन से सीधे निकाला गया पानी होता है। यदि पीने वाले पानी का स्वाद अच्छा हो, इसे टंकी में न इकट्ठा किया गया हो तो इसी का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि पानी का स्वाद तीखा या अलग हो तो इसे नहीं पीना चाहिए। ज्यादातर बोतलबंद पानी में टीडीएस की मात्रा का पालन नहीं किया जाता है।

    इससे शरीर को पूरे मिनिरल नहीं मिल पाते हैं। इसके अलावा प्लास्टिक के बोतल में पानी के कई नुकसान हैं। लगातार पानी प्लास्टिक की बोतल में होने के कारण माइक्रोप्लास्टिक पानी में मिल जाते हैं। यह कैंसर का भी कारण बन सकते हैं।

    बोतलबंद पानी कई दिनों पहले पैक किया जाता है यानी जो पानी हम पीते हैं वह बासी होता है। ज्यादातर निर्माता प्लास्टिक की बोतल की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते हैं। इस कारण इस बोतल में भरा पानी रोग देने का कारण बन सकता है।

    डिब्बे के पानी की नहीं होती है जांच

    गोरखपुर: एक तरफ प्लास्टिक के बोतल के पानी की गुणवत्ता की हकीकत सामने आ गई है, लेकिन डिब्बों में घरों तक पहुंचाने वाले पानी की जांच नहीं हो पाती है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम इन विक्रेताओं की जांच नहीं कर पाती है।

    पूरे जिले में सैकड़ों आरओ प्लांट संचालक रोजाना लाखों लीटर पानी बेचते हैं। महानगर की कौन कहे गांव की गलियों में भी अब आरओ प्लांट के संचालक घर-घर पानी पहुंचा रहे हैं। इनके पानी की गुणवत्ता की जांच हो जाए तो शुद्धता की हकीकत सामने आ जाए।

    अशुद्ध पानी के कारण कई रोग बढ़ रहे हैं। पेट के रोगों से जुड़े डाक्टरों के यहां रोगियों की लंबी लाइन लगी है। पानी की शुद्धता की अब कोई गारंटी नहीं रह गई है। किस पर भरोसा करें और किस पर न करें, समझ में नहीं आ रहा है।

    -दिनेश गुप्ता, व्यापारी

    यह बहुत खराब स्थिति है। बोतलबंद पानी को हम लोग शुद्ध मानकर पीते हैं। अब इसमें बैक्टीरिया मिलने की पुष्टि होने के बाद किसी को नहीं समझ में आ रहा है कि क्या खाएं और क्या पीएं। आरओ प्लांटों की जांच अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।

    -डाॅ. रेखा चंद्रा, चिकित्सक