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    पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं तक पहुंचेंगी श्रीदुर्गासप्तशती की प्रतियां, शारदीय नवरात्र की तैयारी हुई तेज

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 11:52 AM (IST)

    गोरखपुर के गीताप्रेस ने शारदीय नवरात्र के अवसर पर श्रीदुर्गासप्तशती की लगभग पाँच लाख प्रतियाँ प्रकाशित की हैं जिनमें विभिन्न भाषाओं की प्रतियाँ शामिल हैं। इनमें संस्कृत-हिंदी की 4.70 लाख प्रतियां हैं। अधिकांश पुस्तकें बुक स्टालों पर भेजी जा चुकी हैं और नेपाल भेजी जाने वाली प्रतियाँ स्थिति सामान्य होने पर भेजी जाएंगी। इस वर्ष सात भाषाओं में दुर्गा सप्तशती का प्रकाशन किया गया है।

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    पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं तक पहुंचेंगी श्रीदुर्गासप्तशती की प्रतियां

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गीताप्रेस ने शारदीय नवरात्र के दृष्टिगत श्रीदुर्गासप्तशती की लगभग पांच लाख प्रतियों का प्रकाशन किया है। इनमें संस्कृत-हिंदी की विभिन्न आकार-प्रकार की 4.70 लाख प्रतियां हैं। 53 हजार प्रतियां अन्य भाषाओं में हैं। पुस्तकें छपकर तैयार हो गई हैं, बुक स्टालों को भेजी जा रही हैं।

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    केवल नेपाल भेजी जाने वाली पुस्तकें रोकी गई हैं, उनका भी बंडल तैयार हो गया है। हालात सामान्य होते ही भेज दी जाएंगी। शारदीय नवरात्र के पूर्व पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं तक श्रीदुर्गासप्तशती पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।

    गीताप्रेस 15 भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन करता है। इनमें से आठ भाषाओं में श्रीदुर्गासप्तशती प्रकाशित होती है। इस बार प्रेस ने सात भाषाओं में इस पुस्तक का प्रकाशन किया है। बांग्ला भाषा में पुस्तकें उपलब्ध थीं, इसलिए इस भाषा में प्रकाशन नहीं हुआ है।

    संस्कृत-हिंदी, नेपाली, गुजराती, ओड़िया, मलयालम व तेलुगु भाषा में दुर्गा सप्तशती का प्रकाशन किया जा चुका है। ज्यादातर पुस्तकें बुक स्टालों पर भेजी जा चुकी हैं। शेष प्रक्रिया में हैं।

    इस भाषा में इतनी पुस्तकों का किया गया प्रकाशन

    • संस्कृत व हिंदी- 4,70,000
    • गुजराती- 5,000
    • कन्नड़- 4,000
    • ओड़िया- 13,000
    • तेलुगु- 20,000
    • मलयालम- 3,000
    • नेपाली- 8,000

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    शारदीय नवरात्र के दृष्टिगत श्रीदुर्गासप्तशती की पांच लाख से अधिक प्रतियों का प्रकाशन किया गया है। ज्यादातर पुस्तकें बुक स्टालों पर भेज दी गई हैं। शेष भेजी जा रही हैं। नवरात्र शुरू होने के पहले सभी पुस्तकें बुक स्टालों पर पहुंच जाएंगी। हालात सामान्य होते ही नेपाल में भी पुस्तकें भेज दी जाएंगी।

    -डा. लालमणि तिवारी, प्रबंधक गीताप्रेस