महुआचाफी कांड: हाईवे के थानों पर लंबे समय से तैनात पुलिसवाले बने तस्करों की ढाल, अब बड़े पैमाने पर होगी सफाई
गोरखपुर में महुआचाफी कांड के बाद पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। जांच में पता चला है कि कुछ पुलिसकर्मी पशु तस्करों से मिले हुए थे और उन्हें रास्तों की जानकारी देते थे। इसके बदले वे मोटी रकम लेते थे। एडीजी जोन और डीआईजी रेंज ने अब इस मामले में सख्ती दिखाई है और कार्रवाई करने की तैयारी है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महुआचाफी कांड के बाद पुलिस पर उठे सवालों ने गोरखपुर रेंज में तैनाती के पुराने खेल का पर्दाफाश कर दिया है। जांच में सामने आया है कि हाईवे से सटे थानों और चौकियों पर लंबे समय से जमे पुलिसकर्मी पशु तस्करों के लिए सुरक्षा कवच बने हुए थे।
बैरियर और चेकिंग महज दिखावा रह गया था, जबकि तस्कर रातों-रात सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने ठिकानों तक पिकअप और ट्रक लेकर निकल जाते थे।
एसटीएफ व क्राइम ब्रांच की जांच में साफ हुआ है कि कुछ पुलिसकर्मी तस्करों से सांठगांठ कर सूचना देते थे। कौन सा रास्ता सुरक्षित है, कब बैरियर खाली है, कहां गश्त कमजोर है-यह सब तस्करों तक पहुंच जाता था। इसके बदले मोटी रकम पुलिसकर्मियों की जेब में जाती थी।
यह भी पढ़ें- महुआचाफी कांड: तस्करों को निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाता था पिकअप चालक अजहर, तेज रफ्तार में भगाने में था माहिर
यही कारण रहा कि तस्करों की पिकअप बेखौफ होकर गुजरती रही,बैरियर औपचारिकता बनकर रह गए,और स्थानीय पुलिस हर बार घेराबंदी में फेल होती रही। पिपराइच में हुई घटना के बाद अधिकारियों ने छानबीन की तो हाईवे पर लंबे समय से जमे पुलिसकर्मियों को हटा दिया गया।
वर्ष 2016 में भी तस्करों का आतंक बढ़ने पर तत्कालीन डीआइजी ने छानबीन की तो पता चला था कि रेंज के 33 थानाक्षेत्रों में पशु तस्करी के 17 प्रमुख रास्तों से होती है। उन्होंने इसकी सूची तैयार कराई और सभी जिलों के पुलिस कप्तान और थानेदार को भेज बैरियर लगाने और रात की चेकिंग का आदेश भी दिया गया।चिन्हित किए गए पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई लेकिन स्थिति जस की तस रही।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।