Gorakhpur News: गोरखनाथ मंदिर आएंगे सीडीएस, ऑपरेशन सिंदूर पर रखेंगे विचार
गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि पर सात दिवसीय आयोजन किया जा रहा है। 5 सितंबर को सीडीएस अनिल चौहान मुख्य अतिथि होंगे। समारोह में देश भर के संत-महंत भाग लेंगे और विभिन्न विषयों पर संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान-यज्ञ भी होगा। अंतिम दो दिन श्रद्धांजलि सभा के लिए समर्पित हैं।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और महंत अवेद्यनाथ की 11 पुण्यतिथि के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में सात दिवसीय परंपरागत आयोजन की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पांच से 11 सितंबर तक चलने वाले इस आयोजन में आमंत्रित किए जाने ज्यादातर अतिथियों का नाम तय कर लिया गया है।
पांच सितंबर को आयोजन के उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सीडीएस (चीफ आफ डिफेंस स्टाफ) अनिल चौहान (पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल) होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में समारोह के मंच से वह निर्धारित विषय 'ऑपरेशन सिंदूर: समर्थ भारत का प्रतीक' पर अपने विचार रखेंगे। मंदिर प्रबंधन के अनुरोध पर सीडीएस ने इसे लेकर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
आमंत्रित किए जाने वाले अतिथियों की सूची के मुताबिक समारोह का मंच देशभर के संतों-महंतों से सजने वाला है। सात दिवसीय समारोह का समापन 10 व 11 सितंबर को श्रद्धांजलि सभा के आयाेजन के साथ होगा।
आमंत्रित अतिथियों में महंत राघवाचार्य, स्वामी विश्वेश प्रपन्नाचार्य, हरियाणा के शेरनाथ व बालकनाथ, डा. रामविलास वेदांती, स्वामी वासुदेवाचार्य, महंत नरहरिदास, डा. रामकमल दास, आगरा के ब्रह्मचारी दासलाल, अयोध्या के महंत अवधेश दास, महंत धर्मदास, सुरेशदास, महंत नारायण गिरि, स्वामी विद्या चैतन्य जैसे संत-महंत शामिल हैं।
समारोह के दौरान अन्य दिनों में आयोजित होने वाली संगोष्ठी के विषय निर्धारित कर लिए गए हैं। 'भारत की ज्ञान परंपरा', 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित भारत की आधारशिला', 'संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति' और 'भारतीय संस्कृति एवं गो-सेवा' अन्य विषय हैं।
'भारत की ज्ञान परंपरा विषय' पर मोतिहारी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. संजीव शर्मा का उद्घोधन होगा। यह छह सितंबर को आयोजित होगा। समारोह के लिए तैयार रूपरेखा के अनुसार सात दिन तक चलने वाले श्रीमद्भावगत महापुराण कथा ज्ञान-यज्ञ की शुरुआत चार सितंबर से होगी और उसका समापन मुख्य आयोजन के समापन से एक दिन पूर्व यानी 10 सितंबर को होगा।
अंतिम दो दिन होंगे श्रद्धांजलि सभा के नाम
समारोह के अंतिम दो दिन श्रद्धांजलि सभा के नाम होंगे। 10 सितंबर को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित होगी। 11 सितंबर को ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
संगोष्ठी और श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत का समय सुबह 10:30 निर्धारित किया गया है। व्याख्यान और कथा दोनों का आयोजन स्थल मंदिर का महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में होगा। श्रद्धाजंलि सभा के समापन के बाद दोनों ही दिन मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
स्वामी राम दिनेशाचार्य सुनाएंगे श्रीमद्भावगत कथा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में चार सितंबर को शाम तीन बजे श्रीमद्भावगत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ व्यासपीठ पर श्रीमद्भावगत महापुराण और उसके समक्ष अखंड ज्योति की प्रतिष्ठा के साथ होगा। 20 सितंबर तक चलने वाली संगीतमय कथा शाम तीन से छह बजे के बीच आयोजित होगी। कथा सुनाने के लिए व्यासपीठ पर अयोध्या के स्वामी राम दिनेशाचार्य विराजमान होंगे।
संगोष्ठी व कथा का होगा सीधा प्रसारण
संगोष्ठी व श्रीमद्भावगत कथा के सीधे प्रसारण की व्यवस्था भी गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन कर रहा है। फेसबुक, यूट्यूब और एक्स के जरिये कोई भी व्यक्ति इस आयोजन से सीधे जुड़ सकेगा। संगोष्ठी में वक्ताओं के विचार व श्रीमद्भावगत कथा को सुन सकेगा। यह जानकारी गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने दी।
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एक तिथि के अंतर पर ब्रह्मलीन हुए दिग्विजयनाथ व अवेद्यनाथ
ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के साथ मनाए जाने की तिथिगत सार्थकता है। दरअसल यह संयोग है कि दोनों गोरक्षपीठाधीश्वर एक तिथि के अंतर पर ही ब्रह्मालीन हुए थे।
मंदिर प्रबंधन से जुड़े डा. प्रदीप कुमार राव बताते हैं कि महंत दिग्विजयनाथ के ब्रह्मालीन होने की तिथि अश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया है तो महंत अवेद्यनाथ की अश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी। डा. राव ने बताया कि महंत दिग्विजयनाथ के 1969 में ब्रह्मलीन होने के बाद तत्कालीन महंत अवेद्यनाथ ने उनकी पहली पुण्यतिथि यानी 1970 से इस समारोह का आयोजन शुरू कराया।
कथावाचन के साथ साप्ताहिक संगोष्ठी का प्रारूप भी उन्होंने ही तय किया था। 2014 में जब महंत अवेद्यनाथ ब्रह्मलीन हुए तो 2015 में पहली पुण्यतिथि से ही उनके श्रद्धांजलि कार्यक्रम को पुण्यतिथि समारोह का हिस्सा बना दिया गया।
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