नहर ओवर फ्लो होने से 3 एकड़ फसल डूबी, नाराज किसानों ने किया प्रदर्शन
नहरों में पानी आने से किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। सहजनवा ब्लॉक में मझौआ–भेलाभार माइनर के ओवरफ्लो होने से करीब तीन एकड़ फसल जलमग्न हो गई। ...और पढ़ें
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संवाद सूत्र, हरपुर-बुदहट। नहरों में पानी आने के साथ ही किसानों पर आफत भी आने लगी है। नहरें किसानों के लिए नुकसानदेय होती जा रही हैं। रविवार की देर रात को सहजनवा ब्लाक के मझौआ - भेलाभार माइनर ओवर फ्लो हो गया। इससे किसानों की करीब तीन एकड़ फसल डूब गई। नाराज किसानों ने सोमवार को प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया।
सहजनवां ब्लाक के दक्षिणांचल में कटसहरा - सिसवा सोनबरसा माइनर की शाखा मझौआ - भेलाभार माइनर में नहर का पानी ओवरफ्लो होकर किसानों के खेत में जा रहा है। इसके कारण करीब तीन एकड़ से अधिक फसल डूब गई है, जिससे किसानों का काफी नुकसान हो रहा है।
सोमवार को ग्राम भेलाभार के दर्जनों आक्रोशित किसान माइनर के साइफन के पास खड़े होकर सिंचाई विभाग से माइनर में पानी कम करने की मांग की है, जिससे फसल को डूबने से बचाया जा सके।
अवर अभियंता जितेन्द्र कुमार चौहान ने बताया कि बांसगांव माइनर कट जाने से पानी को डाइवर्ट किया गया है, फिर भी माइनर अभी कहीं कटी नहीं है, कुछ पानी ओवरफ्लो हुआ है, फिर भी कंट्रोल में है। प्रदर्शन करने वालों में मुख्य रूप से संजय मिश्रा पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य, गौतम चतुर्वेदी, नरेन्द्र चतुर्वेदी, गुड्डू पांडेय, दुर्गेश चतुर्वेदी, दयाशंकर चतुर्वेदी, विनोद चतुर्वेदी भरत प्रजापति, शिव मूरत यादव , मगन प्रजापति, काशी नाथ पांडेय, राजेन्द्र यादव आदि शामिल रहे।
तीन दिन बाद भी नहीं बंध सकी सरयू नहर, खेतों में भरा लबालब पानी
सरयू नहर परियोजना के विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही के चलते किसानों की सैकड़ों एकड़ गेहूं की फसल जलमग्न हो गई। गगहा क्षेत्र में बाऊंपार और पिछौरा के बीच सरयू नहर शनिवार की रात टूट गई, जिससे आसपास के खेतों में पानी भर गया और फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
रविवार की सुबह जब किसान अपने खेतों की ओर पहुंचे तो फसलों की जगह हर ओर पानी ही पानी दिखाई दिया। बिना बारिश खेतों में पानी भरने से किसान हैरान रह गए। जब नहर के पास जाकर देखा गया तो नहर टूटी हुई मिली। इसकी सूचना तत्काल उच्चाधिकारियों को दी गई, लेकिन रविवार को दूसरे दिन भी काफी प्रयास के बावजूद नहर को नहीं बांधी जा सकी। सोमवार की सुबह तक नहर का पानी खेतों में गिरता रहा। गनीमत रही कि नहर में पानी का बहाव कम हो गया, अन्यथा खेतों के साथ-साथ ग्रामीणों के घरों में भी पानी भर सकता था।
किसानों का कहना है कि सरयू नहर परियोजना काफी जद्दोजहद के बाद शुरू हुई थी, लेकिन यह उनके लिए अभिशाप बनकर रह गई है। पिछले तीन वर्षों से लगातार नहर टूट रही है। जब भी नहर में पानी छोड़ा जाता है, हर साल कहीं न कहीं टूट जाती है और किसानों की फसल डूब जाती है। इसके बाद किसानों को केवल आश्वासन देकर शांत करा दिया जाता है।
किसान नेता दिलीप, समाजसेवी रणजीत सिंह, पंकज तिवारी, कमलेश गुप्ता, उपेंद्र मिश्र, हरिकेश गुप्ता सहित अन्य लोगों ने मांग की कि जब तक बाऊंपार से पिछौरा तक की नहर को पक्का नहीं किया जाता, तब तक उसमें पानी न छोड़ा जाए। उन्होंने डूबी फसलों का उचित मुआवजा देने की भी मांग की। इस संबंध में उप खंड अधिकारी धीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि टूटी हुई नहर को बांध दिया गया है।

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