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    आंख की रोशनी छीन रहे पेट के कीड़े, बीमारी की जद में बच्चे और युवा; BRD मेड‍िकल कॉलेज में सामने आये 13 मामले

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 02:32 PM (IST)

     पेट के कीड़ों से होने वाली एक गंभीर बीमारी चिंता का कारण बनती जा रही है। पेट के कीड़े मस्तिष्क तक पहुंचकर न सिर्फ लकवे का कारण बन रहे हैं, बल्कि आंखो ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। पेट के कीड़ों से होने वाली एक गंभीर बीमारी चिंता का कारण बनती जा रही है। पेट के कीड़े मस्तिष्क तक पहुंचकर न सिर्फ लकवे का कारण बन रहे हैं, बल्कि आंखों की रोशनी भी छीन रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में पिछले तीन माह के भीतर इस तरह के 13 मामले सामने आए हैं। इनकी उम्र 10 से 30 वर्ष के बीच है। चिकित्सकों के अनुसार यह बीमारी सिस्टोसरकोसिस कहलाती है, जो समय पर उपचार न मिलने पर जानलेवा भी साबित हो सकती है।

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    अनेक रोगी दृष्टि कम होने का नेत्र चिकित्सकों के यहां उपचार करा रहे थे। समलबाई व अन्य कारण न होने के बाद भी दवा से कोई सुधार न होने पर जब डाक्टरों ने उनकी हिस्ट्री पूछी तो पता चला कि वे कभी-कभी बेहोश जाते हैं, आंख उलट देते हैं, फिर कुछ समय के बाद सामान्य हो जाते हैं। इसके बाद उनका सीटी स्कैन कराया गया, उसमें सिस्टोसरकोसिस बीमारी पता चली।

    चिकित्सकों के अनुसार सिस्टोसरकोसिस मुख्य रूप से अस्वच्छता, दूषित भोजन और अधपके मांस के सेवन से फैलती है। इसमें पेट में मौजूद कीड़ों के अंडे रक्त प्रवाह के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं और वहां गांठ (सिस्ट) बना लेते हैं। मस्तिष्क में यह गांठें बढ़ने लगती हैं, जिससे बार-बार दौरे पड़ना, लकवा, तेज सिरदर्द, आंखों की रोशनी कम होना और बेहोशी जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

    इस बीमारी की चपेट में बच्चे और युवा आ रहे हैं। अनेक रोगी ऐसे हैं, जिन्हें बार-बार मिर्गी जैसे दौरे पड़ रहे थे, लेकिन प्रारंभिक जांच में बीमारी पकड़ में नहीं आ सकी। बाद में सीटी स्कैन और एमआरआइ जांच के दौरान मस्तिष्क में कीड़ों से बनी गांठों की पुष्टि हुई। कुछ मामलों में आंखों की नसों पर दबाव पड़ने से रोगियों की दृष्टि भी प्रभावित हुई है।

    सिस्टोसरकोसिस पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, बशर्ते लोग साफ-सफाई और खानपान में सावधानी बरतें। खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों, बिना धुले फलों-सब्जियों और अधपके मांस से परहेज करना जरूरी है। इसके साथ ही शौच के बाद और भोजन से पहले हाथ धोना बेहद आवश्यक है।- डॉ. अनिंद्य गुप्ता, न्यूरो सर्जन बीआरडी मेडिकल कालेज

     

    अनेक रोगी ऐसे आए जिनकी आंख की रोशनी लगातार कम हो रही थी, जबकि उनमें कोई खास बीमारी नहीं थी। पूछताछ में सिस्टोसरकोसिस का संदेह होने पर उन्हें न्यूरो सर्जन से दिखाने की सलाह दी गई। जांच में इस बीमारी की पुष्टि हुई, दवा से उन्हें राहत है। दृष्टि कमजोर होने की दवा भी चल रही है।- डॉ. रजत कुमार, नेत्र रोग विशेषज्ञ