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    गोरखपुर AIIMS में चार महिला डाॅक्टरों से विभागाध्यक्ष ने किया बैड टच, विशाखा कमेटी ने की जांच

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 08:31 AM (IST)

    गोरखपुर एम्स में महिला डॉक्टरों ने एक विभागाध्यक्ष पर गलत तरीके से छूने का आरोप लगाया है। विशाखा कमेटी ने जांच की और पाया कि आरोपी डॉक्टर के दूसरे संस्थान में जाने से ऐसी घटनाएं फिर हो सकती हैं। महिला डॉक्टरों ने बताया कि विभागाध्यक्ष बात करते हुए लापरवाही से छूते थे और लैंगिक भेदभाव करते थे। विभागाध्यक्ष ने ऑनलाइन माध्यम से आरोपों का खंडन किया।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स में महिला डाॅक्टरों से बैड टच का बड़ा मामला समने आया है। एक विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष पर चार डाॅक्टरों ने आरोप लगाया है। डाॅक्टरों की शिकायत पर विशाखा कमेटी ने जांच की। आरोपित विभागाध्यक्ष एम्स गोरखपुर को छोड़कर दूसरे एम्स में जा चुके हैं।

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    विशाखा कमेटी ने संस्तुति की है कि विभागाध्यक्ष के रूप में आरोपित डाॅक्टर के किसी अन्य संस्थान में कार्यभार ग्रहण करने के कारण, इस प्रकार के कृत्यों की पुनरावृत्ति की संभावना बनी हुई है। इसलिए यदि कार्यकारी निदेशक एम्स गोरखपुर उचित समझें तो उस संस्थान के डीन/निदेशक को औपचारिक रूप से सूचित कर सकती हैं ताकि उन्हें विधिवत सूचित किया जा सके और इस प्रकार के किसी भी आचरण की पुनरावृत्ति होने पर वे सतर्क रहें।

    मामला वर्ष 2023 का है लेकिन एम्स प्रशासन ने इसे दबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विशाखा कमेटी के सामने महिला डाॅक्टरों ने बताया कि तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डाॅ. सुरेखा किशोर से बताया तो उन्होंने बुलाकर मतभेद दूर करने को कहा। यह सुनते ही तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने चिल्लाना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना शुरू कर दिया।

    यह बताया डाॅक्टरों ने

    विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर नंबर एक - कहा कि तत्कालीन विभागाध्यक्ष बात करते समय लापरवाही से छूते थे और अपने हाथ मेरे कंधों पर रख देते थे। वह अक्सर मुझसे काफी बनाने के लिए कहते थे। उनके व्यवहार के कारण महिला डाक्टरों ने उनसे बचना शुरू कर दिया और उनसे दूरी बनाए रखना शुरू कर दिया।

    वर्ष 2023 में गर्मी की छुट्टियों की पहली छमाही के दौरान, जब दो एसोसिएट प्रोफेसर छुट्टी पर थीं तो तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने अचानक मेरी ड्यूटी बदलनी शुरू कर दी। अक्सर मुझे पढ़ाने की पेशकश की। मैं असहज महसूस करने लगी और पीछे हटने लगी। मैंने उनकी ओटी में जाना बंद कर दिया और कहा कि वह अपनी ओटी की देखभाल कर रही हैं। इसके बाद चीजें बढ़ने लगीं।

    उनके व्यवहार के कारण ही महिला डाॅक्टरों ने ओटी परिसर के कक्ष में बैठना बंद कर दिया था। केवल पुरुष संकाय ही वहां बैठते थे। जब तत्कालीन विभागाध्यक्ष चले गए हैं तब महिला डाॅक्टरों ने ओटी के कक्ष का उपयोग करना शुरू किया। यहां तक की मुझे व एक अन्य डाॅक्टरों को पदोन्नत न करने को कहा। महिला डाॅक्टर ने दावा किया कि यह जानकारी तत्कालीन कार्यकारी निदेशक ने दी थी।

    विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर नंबर दो- कहा कि तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने एक बार मेरी जांघ को छूने की कोशिश की थी। तब से मैंने उनसे दूरी बनाए रखी। कई बार बात करते समय महिला नर्सिंग स्टाफ की ओर उनको झुकते देखा था। एक वरिष्ठ रेजिडेंट के साथ उनका व्यवहार बहुत ज्यादा दोस्ताना था। यह मुझे अनुचित लगा। वह लैंगिक पूर्वाग्रह रखते थे और हमेशा महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अनुचित रूप से तरजीह देते थे।

    विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर नंबर तीन- कहा कि कार्यभार ग्रहण करने के चार से पांच दिन बाद ही तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने मेरी पीठ पर हाथ मारा। इसके बाद मैंने उनसे दूरी बना ली। महिला सीनियर रेजिडेंट्स के साथ उनका व्यवहार ठीक नहीं था। वे सीनियर रेजिडेंट्स को उपनामों से बुलाते थे और मीटिंग के दौरान उनके कान में फुसफुसाते थे, जिससे आसपास के लोग असहज हो जाते थे।

    विभाग की एक स्नातकोत्तर छात्रा ने बताया कि शुरुआती दिनों में विभाग की महिला डाक्टरों ने मुझे विभागाध्यक्ष से दूरी बनाए रखने की चेतावनी दी थी।

    विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर- कहा कि तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने मेरे बढ़ते वजन पर टिप्पणी कर दी। एक महिला सीनियर रेजिडेंट के साथ बेहद मिलनसार और करीबी थे। वह महिला डाक्टरों को घूरते थे और इससे मुझे असहज महसूस होता था।

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    आए नहीं, ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित हुए

    विशाखा कमेटी ने तत्कालीन विभागाध्यक्ष को 24 जुलाई 2025 को ईमेल भेजकर जानकारी मांगी गई थी। 31 जुलाई को पंजीकृत डाक द्वारा दस्तावेज़ भेजे और उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए डाक से भेजा। 11 अगस्त को तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने पुष्टि की कि मुझे दस्तावेज मिल गए हैं।

    उन्हें 12 अगस्त को एक ईमेल भेजकर और दस्तावेज़ और वीडियो मांगे, लेकिन वे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए और लिखा कि वे सभी दस्तावेज़ प्राप्त होने पर ही उपस्थित होंगे। 20 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का एक और अवसर देने का निर्णय लिया गया। उ

    न्होंने न तो काल रिसीव की और न ही ईमेल का जवाब दिया। आए भी नहीं। डॉ. विक्रम को इसकी सूचना ईमेल द्वारा दी गई, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 25 अगस्त की शाम उन्होंने ईमेल पर जवाब देते हुए लिखा कि मैं केवल आनलाइन उपस्थित रहूंगा। 26 अगस्त को वह आनलाइन माध्यम से जुड़े और उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया।