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    Gorakhpur एम्स में इलाज कराने आने वाले यात्रियों का बढ़ा खर्चा, बिना टेंडर शुरू हो गया स्टैंड; ये लगेगा चार्ज

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Mon, 29 May 2023 04:22 PM (IST)

    पूर्वांचल बिहार व नेपाल के कई जिलों से गोरखपुर एम्स में इलाज कराने के लिए रोगी पहुंचते हैं। अब इन रोगियों को वाहन खड़ी करने के लिए शुल्क देना होगा। साइकिल बाइक व कार के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया गया है।

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    एम्स में बिना टेंडर शुरू हो गया स्टैंड। -जागरण

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में उपचार के लिए आने वालों का खर्च अब और बढ़ गया है। एम्स प्रशासन ने परिसर में वाहन स्टैंड शुरू कर दिया है। रोगियों व स्वजन को अब साइकिल के लिए पांच रुपये, बाइक के लिए 10 और कार के लिए 20 रुपये देने पड़ रहे हैं। नौ घंटे से 16 घंटे तक गाड़ी खड़ी रही तो शुल्क दोगुणा हो जाएगा। 17 से 24 घंटे पर तीन गुणा शुल्क देना होगा।

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    भर्ती मरीजों के घरवालों को इतने देने हैं शुल्क

    एम्स प्रशासन ने टेंडर किये बिना सीधे निजी एजेंसी को स्टैंड दे दिया। जिनके स्वजन भर्ती होंगे उन्हें बाइक खड़ी करने पर रोजाना 30 और कार के लिए रोजाना 60 रुपये देने होंगे। एम्स में सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त संख्या है। एम्स प्रशासन रोगियों व स्वजन को वाहन के साथ परिसर में नहीं जाने देता है। गेट के बाहर जगह बनाकर वाहनों को खड़ा कराया जाता है। भीड़ ज्यादा होने के कारण वाहन कसया रोड तक पहुंच जाते हैं। इस कारण आए दिन यहां जाम भी लगता है। इसे देखते हुए यातायात पुलिस ने वाहन एम्स परिसर में खड़ा कराने के लिए कहा था। शनिवार को तकरीबन दो हजार वाहन स्टैंड में जमा कराए गए थे।

    निजी एजेंसी को सौंप दिया वसूली का काम

    नियमानुसार एम्स प्रशासन को स्टैंड का टेंडर करना चाहिए था। बिना टेंडर एसएसआइपीएल नाम से पर्ची बनवाकर रुपये लिए जाने लगे। लोगों ने बिना टेंडर निजी एजेंसी को स्टैंड का काम सौंपने पर आपत्ति जताते हुए विरोध शुरू किया तो पर्ची पर से एसएसआइपीएल काट दिया गया। आरोप है कि मिलीभगत कर एक सुपरवाइजर को ठीका दिया गया है।

    मीडिया प्रभारी बोले

    प्रशासनिक अधिकारी भूपेश चंद्र ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार किया। मीडिया प्रभारी पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि वाहन स्टैंड बनाने के लिए प्रशासन का बहुत दबाव था। इस कारण बिना टेंडर के अस्थायी व्यवस्था के तहत स्टैंड बनाया गया है। रुपये एम्स के खाते में जमा कराए जाएंगे। तीन महीने के अंदर नियमानुसार टेंडर निकाला जाएगा। इसके बाद वाहनों की अलग अलग दर भी तय की जाएगी।