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    Gorakhpur AIIMS: डॉक्टरों ने किया मना, पुलिस ने कराया भर्ती; चार घंटे बाद रेफर

    गोरखपुर एम्स में लकवाग्रस्त बुजुर्ग मरीज को भर्ती कराने के लिए परिजनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों के मना करने पर पुलिस के हस्तक्षेप से मरीज भर्ती हुआ। बाद में उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। परिजनों ने डॉक्टरों पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया। एम्स प्रशासन ने न्यूरो सर्जन न होने के कारण रेफर करने की बात कही।

    By Gajadhar Dwivedi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 24 Aug 2025 11:10 AM (IST)
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    एम्स की इमरजेंसी के बाहर रोगी रामनयन को स्ट्रेचर पर लेकर खड़ी स्वजन। सौ. इंटरनेट मीडिया

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। एम्स में लकवाग्रस्त बुजुर्ग रोगी को लेकर पहुंचे स्वजन को असहज स्थितियों का सामना करना पड़ा। पहले डाक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। स्वजन ने पुलिस को बुला लिया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद डाक्टरों ने उन्हें इमरजेंसी में भर्ती किया लेकिन चार घंटे बाद बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया।

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    देवरिया के 75 वर्षीय रामनयन यादव को लकवा मार दिया है। शनिवार को तबीयत बिगड़ने पर स्वजन उन्हें लेकर एम्स के इमरजेंसी में पहुंचे। डाक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। कहा कि बेड खाली नहीं है, ओपीडी में न्यूरो के डाक्टर को दिखाइए।

    स्वजन राकेश यादव ने बताया कि साथ आईं प्रिया यादव के साथ डाक्टरों ने अभद्र व्यवहार किया। गार्ड बुलाकर उन्हें बाहर निकालने को कहा। इस पर राकेश ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आने के बाद दोपहर 2:05 बजे रोगी का पर्चा बना। वे दोपहर 12 से 2:05 पांच बजे तक रोगी को स्ट्रेचर पर लेकर बाहर खड़े रहे।

    इसके बाद इमरजेंसी में भर्ती किया गया। लेकिन शाम होते ही उन्हें बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया। एम्स की मीडिया सेल की चेयरपर्सन डा. आराधना सिंह ने बताया कि इमरजेंसी में आने वाले सभी रोगियों का उपचार किया जाता है। रोगी को न्यूरो की दिक्कत थी। एम्स में अभी न्यूरो सर्जन नहीं है। इसलिए मेडिसिन विभाग के डाक्टरों ने देखा है। प्राथमिक उपचार के बाद न्यूरो के मामले को देखते हुए रेफर किया गया है।

    पेट दर्द से फर्श पर तड़पती रही, नहीं मिला उपचार

    सलेमपुर देवरिया की 22 वर्षीय सोनी कुमारी पेट दर्द से पीड़ित थीं। पेशाब रुक गया था। वह फर्श पर बैठी तड़प रही थीं। भाई सोनू इमरजेंसी गेट पर गार्ड से आग्रह करता रहा, लेकिन नही उसको अंदर नहीं जाने दिया गया। सोनू दोपहर 01:50 बजे उन्हें लेकर इमरजेंसी पहुंचे थे। 02:02 बजे पर्चा बना। 2:30 बजे उसे वार्ड में भेजा गया।

    सुपर स्पेशियलिटी के नए पाठ्यक्रम को मिली मंजूरी

    एम्स में आठवीं स्टैंडिंग एकेडमिक कमेटी (एसएसी) की बैठक शनिवार को हुई। बैठक की अध्यक्षता स्टैंडिंग एकेडमिक कमेटी के चेयरमैन डा. अशोक जाह्नवी प्रसाद ने की। बैठक में कई नए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को स्वीकृति दी गई। तय हुआ कि न्यूरोलाजी में डीएम, एनेस्थीसिया, पेन मेडिसिन एवं क्रिटिकल केयर विभाग में डीएम पेन मेडिसिन तथा डीएम क्रिटिकल केयर मेडिसिन पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। स्नातकोत्तर के बाद प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (पीडीसीसी) के तहत ट्रामा एनेस्थीसिया, स्पाइन ट्रामा, पेल्विक-एसिटेबुलर सर्जरी तथा बाल एवं किशोर स्त्री रोग के कोर्स शुरू होंगे।

    इसी तरह प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में मातृ-भ्रूण चिकित्सा (मेटरनल फिटल मेडिसिन) में पीडीएफ पाठ्यक्रम की शुरुआत होगी। ट्रामा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में एमएस ट्रामा सर्जरी तथा नर्सिंग कालेज में पीएचडी नर्सिंग कार्यक्रम को भी अनुमोदित किया गया। इसके अलावा आपरेशन थिएटर टेक्नोलाजी में बीएससी पाठ्यक्रम को भी स्वीकृति दी गई है। बैठक में कमेटी की सदस्य सचिव तथा कार्यकारी निदेशक सेवानिवृत्त मेजर जनरल डा. विभा दत्ता, जीएसवीएम मेडिकल कालेज की पूर्व प्रो. आरती लालचंदानी, डीएमसी मेडिकल कालेज के डीन प्रो. वीके तिवारी, न्यूरोलाजी के प्रो. रामेश्वर नाथ चौरसिया, प्रो. मनीन्द्र अग्रवाल मौजूद रहे।

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    बर्खास्त किए गए डा. कुमार सतीश की नियुक्ति में कोई भागीदारी नहीं थी

    एम्स के पूर्व डीन व वर्तमान में क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र गोरखपुर के निदेशक डा. हरिशंकर जोशी ने पिछले साल एनाटमी विभाग से बर्खास्त किए गए डा. कुमार सतीश रवि प्रकरण में स्टैंडिंग कमेटी को ईमेल के माध्यम से सफाई पेश की है। उन्होंने बताया है कि जिस वक्त डा. कुमार सतीश रवि की नियुक्ति की गई, उनके चयन में उनकी कोई भी भागीदारी नहीं थी। क्योंकि, 18 अप्रैल 2023 को मुझे डीन अकादमिक बनाया गया था। इसलिए मैंने उनके पूरे दस्तावेज कभी नहीं देखे। केवल वही दस्तावेज देखे जो डा. रवि या पूर्व निदेशक डा. सुरेखा किशोर ने दिखाए। पूर्व निदेशक के दबाव में मैंने यह काम किया था।

    कार्मिक फाइलों का संरक्षक नहीं रहा। डा. रवि ने जो आरोप लगाए थे कि डा. अशोक प्रसाद ने मुझे प्रताड़ित किया, वह बिल्कुल झूठ है। मुझे कभी किसी ने प्रताड़ित नहीं किया। डा. रवि के चयन में मेरी कोई भागीदारी नहीं थी। डा. कुमार सतीश रवि को एम्स ने पिछले साल बर्खास्त कर दिया था। इस मामले में डा. हरिशंकर जोशी पर गंभीर आरोप लगे थे। दूसरी तरफ फेल हुए आठ छात्रों को एम्स ने अंतिम बार मौका दिया गया है। साथ ही छात्रों से लिखित रूप से यह जानकारी ली गई है कि इसके बाद उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा।